जयपुर. याचिका में वरिष्ठ अधिवक्ता अभय भंडारी ने अदालत को बताया कि कोरोना वैक्सीन के नाम पर इसकी निर्माता कंपनियां मुनाफा वसूल रही हैं. एक ही वैक्सीन की कीमत केंद्र सरकार के लिए अलग और राज्य सरकार के लिए अलग तय की गई है. वहीं, निजी अस्पतालों को कई गुणा अधिक कीमत पर वैक्सीन लेने के लिए बाध्य किया जा रहा है. जबकि केंद्र सरकार को शक्ति है कि वह वैक्सीन निर्माताओं को वैक्सीन की कीमत कम और एक समान रखने के लिए पाबंद कर सकती है.
याचिका में कहा गया कि सीरम इंस्टीट्यूट अपनी वैक्सीन कोविशील्ड केंद्र सरकार को 150 रुपए, राज्य सरकार को 400 रुपए और निजी अस्पतालों को 600 रुपए में देना तय किया है. इसी तरह भारत बायोटेक अपनी कोवैक्सीन के 600 रुपए और 1200 रुपए तक लेने का निर्णय किया है. यह कीमत विश्व में सबसे अधिक है. नियमानुसार कोई भी निर्माता सिर्फ 16 फीसदी तक ही मुनाफा कमा सकता है, जबकि ये कंपनियां 800 फीसदी तक मुनाफा वसूल रही हैं.
याचिका में कहा गया की पीएम केयर्स फंड में गत 9 जुलाई तक 30 अरब रुपए से अधिक जमा हो चुका है. याचिका में गुहार की गई है कि केंद्र सरकार की ओर से सभी को फ्री वैक्सीन लगवाई जाए और वैक्सीन निर्माताओं को वैक्सीन की न्यूनतम कीमत ही वसूलने के निर्देश दिए जाएं. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों व वैक्सीन निर्माताओं को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है.