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राजस्थान हाईकोर्ट : शराब कारोबारी सरकार के सामने रखें आपत्तियां..हाईकोर्ट ने 121 याचिकाएं की खारिज - Rajasthan High Court

हाईकोर्ट ने कहा कि छूट देने के संबंध में आदेश देना अदालत का क्षेत्राधिकार नहीं है. ऐसे में याचिकाकर्ता व्यवसायी इस संबंध में राज्य सरकार के समक्ष अपनी बात रखें. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश 121 याचिकाओं को खारिज करते हुए दिए.

राजस्थान हाईकोर्ट में शराब कारोबारी
राजस्थान हाईकोर्ट में शराब कारोबारी
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Published : Sep 15, 2021, 8:36 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में कोरोना के चलते शराब उठाव में छूट को लेकर दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया है. अदालत ने कहा है कि छूट देना सरकार का विवेकाधिकार है.

हाईकोर्ट ने कहा कि छूट देने के संबंध में आदेश देना अदालत का क्षेत्राधिकार नहीं है. ऐसे में याचिकाकर्ता व्यवसायी इस संबंध में राज्य सरकार के समक्ष अपनी बात रखें. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश 121 याचिकाओं को खारिज करते हुए दिए. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ताओं ने आबकारी नीति को स्वीकार करते हुए ऊंची बिड लगाई थी. उनके नुकसान को सरकार के कंधों पर नहीं डाला जा सकता.

पढ़ें- ब्लाइंड मर्डर का खुलासा: ऑनर किलिंग का निकला मामला, लड़की के घरवालों ने ही की थी प्रेमी युगल की हत्या

याचिकाओं में कहा गया कि वर्तमान वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में करीब 70 फीसदी समय तक शराब की दुकानें बंद रही हैं. इसके अलावा राज्य सरकार ने समय-समय पर आदेश जारी कर इन दुकानों के खुलने की अवधि में भी कटौती की थी. जिसके चलते शराब की बिक्री काफी प्रभावित हुई.

ऐसे में उन्हें इस अवधि में करीब सत्तर फीसदी मासिक उठाव के शुल्क की छूट दी जाए. वहीं राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि याचिकाकर्ताओं को कोरोना के हालातों की पूरी जानकारी थी. आबकारी नीति के तहत सरकार दुकान खुलने की अवधि पर निर्णय कर सकती है. इसके अलावा बिक्री गिरने की गलत जानकारी दी जा रही है. वहीं सरकार ने मई और जून माह में तीस फीसदी व पन्द्रह फीसदी की छूट दी थी. याचिकाकर्ताओं को छूट लेने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है. इसलिए याचिकाओं को खारिज कर दिया गया.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में कोरोना के चलते शराब उठाव में छूट को लेकर दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया है. अदालत ने कहा है कि छूट देना सरकार का विवेकाधिकार है.

हाईकोर्ट ने कहा कि छूट देने के संबंध में आदेश देना अदालत का क्षेत्राधिकार नहीं है. ऐसे में याचिकाकर्ता व्यवसायी इस संबंध में राज्य सरकार के समक्ष अपनी बात रखें. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश 121 याचिकाओं को खारिज करते हुए दिए. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ताओं ने आबकारी नीति को स्वीकार करते हुए ऊंची बिड लगाई थी. उनके नुकसान को सरकार के कंधों पर नहीं डाला जा सकता.

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याचिकाओं में कहा गया कि वर्तमान वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में करीब 70 फीसदी समय तक शराब की दुकानें बंद रही हैं. इसके अलावा राज्य सरकार ने समय-समय पर आदेश जारी कर इन दुकानों के खुलने की अवधि में भी कटौती की थी. जिसके चलते शराब की बिक्री काफी प्रभावित हुई.

ऐसे में उन्हें इस अवधि में करीब सत्तर फीसदी मासिक उठाव के शुल्क की छूट दी जाए. वहीं राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि याचिकाकर्ताओं को कोरोना के हालातों की पूरी जानकारी थी. आबकारी नीति के तहत सरकार दुकान खुलने की अवधि पर निर्णय कर सकती है. इसके अलावा बिक्री गिरने की गलत जानकारी दी जा रही है. वहीं सरकार ने मई और जून माह में तीस फीसदी व पन्द्रह फीसदी की छूट दी थी. याचिकाकर्ताओं को छूट लेने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है. इसलिए याचिकाओं को खारिज कर दिया गया.

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