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जयपुरः सहायक लेखाधिकारी को जबरन सेवानिवृत्त करने का आदेश रद्द - जयपुर महानगर की स्थाई लोक अदालत

राजस्थान हाईकोर्ट ने एक सहायक लेखाधिकारी को जबरन सेवानिवृत्त करने के सरकार के आदेश को रद्द करने के एकलपीठ के आदेश को सही ठहराया है. साथ ही बीस हजार रुपए के हर्जाने को रद्द किया है.

Rajasthan High Court, जबरन सेवानिवृत्त करने का आदेश रद्द, राजस्थान हाईकोर्ट
सहायक लेखाधिकारी को जबरन सेवानिवृत्त करने का आदेश रद्द
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Published : Feb 1, 2020, 9:37 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने एक सहायक लेखाधिकारी को जबरन सेवानिवृत्त करने के सरकार के आदेश को रद्द करने के एकलपीठ के आदेश को सही ठहराया है. वहीं अदालत ने एकलपीठ की ओर से सरकार पर लगाए बीस हजार रुपए के हर्जाने को रद्द कर दिया है. न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश नरेन्द्र सिंह ने यह आदेश राज्य सरकार की याचिका को खारिज करते हुए दिए.

मामले के अनुसार रतनप्रकाश दर्जी बतौर सहायक लेखा अधिकारी के तौर पर तैनात था. निदेशक कोषागार और लेखा ने 31 दिसंबर, 1999 को उसकी दो वार्षिक वेतनवृद्धि रोकने और निलंबनकाल का वेतन जब्त करने के आदेश दिए थे. इस आदेश के खिलाफ अपील को अपीलीय अधिकारी ने बहाल रखा.

वहीं 21 सितंबर 2000 को दर्जी को जबरन सेवानिवृत्त कर दिया गया. दर्जी ने जबरन सेवानिवृत्ति को हाईकोर्ट में चुनौती दी. जिस पर एकलपीठ ने 26 जुलाई 2016 को आदेश जारी कर जबरन सेवानिवृत्त करने और दो वार्षिक वेतन वृद्धि रोकने के आदेश रद्द करते हुए सरकार पर बीस हजार का हर्जाना लगाया था. सरकार ने एकलपीठ के इस आदेश के खिलाफ खंडपीठ में अपील की थी.

पढ़ेंः जयपुर के युवाओं ने बजट- 2020 को बताया फ्लॉप

निगम और जेडीए को किया तलब

वहीं जयपुर महानगर की स्थाई लोक अदालत ने सांगानेर क्षेत्र के रामपुरा रोड की मुख्य सड़क और बालाजी विहार कॉलोनी में पानी का उचित निकास नहीं होने और घरों से निकलने वाला पानी सड़क पर जमा होने के मामले में नगर निगम और जेडीए के सक्षम अधिकारियों को पांच फरवरी को तलब किया है.

इसके साथ ही नगर निगम कमिश्नर सहित मानसरोवर जोन के डिप्टी कमिश्नर और जेडीए कमिश्नर से जवाब देने के लिए कहा है. लोक अदालत ने यह आदेश सत्यपाल चांदोलिया के परिवाद पर दिया. परिवाद में कहा कि रामपुरा रोड की मुख्य रोड और बालाजी विहार कॉलोनी में पास की दूसरी कॉलोनियों से आने वाला पानी जमा हो जाता है.

पढ़ेंः गणतंत्र दिवस परेडः गणतंत्र दिवस परेड में राजस्थान एनसीसी कैडेट्स ने किया बेहतरीन प्रदर्शन, नेवल विंग ने जीता गोल्ड मेडल

जिससे इस रोड के दुकानदारों और यहां से निकलने वाले लोगों और स्कूली बच्चों को आवाजाही में परेशानी का सामना करना पड़ता है. मामले में जेडीए और नगर निगम से कई बार शिकायतें की लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने एक सहायक लेखाधिकारी को जबरन सेवानिवृत्त करने के सरकार के आदेश को रद्द करने के एकलपीठ के आदेश को सही ठहराया है. वहीं अदालत ने एकलपीठ की ओर से सरकार पर लगाए बीस हजार रुपए के हर्जाने को रद्द कर दिया है. न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश नरेन्द्र सिंह ने यह आदेश राज्य सरकार की याचिका को खारिज करते हुए दिए.

मामले के अनुसार रतनप्रकाश दर्जी बतौर सहायक लेखा अधिकारी के तौर पर तैनात था. निदेशक कोषागार और लेखा ने 31 दिसंबर, 1999 को उसकी दो वार्षिक वेतनवृद्धि रोकने और निलंबनकाल का वेतन जब्त करने के आदेश दिए थे. इस आदेश के खिलाफ अपील को अपीलीय अधिकारी ने बहाल रखा.

वहीं 21 सितंबर 2000 को दर्जी को जबरन सेवानिवृत्त कर दिया गया. दर्जी ने जबरन सेवानिवृत्ति को हाईकोर्ट में चुनौती दी. जिस पर एकलपीठ ने 26 जुलाई 2016 को आदेश जारी कर जबरन सेवानिवृत्त करने और दो वार्षिक वेतन वृद्धि रोकने के आदेश रद्द करते हुए सरकार पर बीस हजार का हर्जाना लगाया था. सरकार ने एकलपीठ के इस आदेश के खिलाफ खंडपीठ में अपील की थी.

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निगम और जेडीए को किया तलब

वहीं जयपुर महानगर की स्थाई लोक अदालत ने सांगानेर क्षेत्र के रामपुरा रोड की मुख्य सड़क और बालाजी विहार कॉलोनी में पानी का उचित निकास नहीं होने और घरों से निकलने वाला पानी सड़क पर जमा होने के मामले में नगर निगम और जेडीए के सक्षम अधिकारियों को पांच फरवरी को तलब किया है.

इसके साथ ही नगर निगम कमिश्नर सहित मानसरोवर जोन के डिप्टी कमिश्नर और जेडीए कमिश्नर से जवाब देने के लिए कहा है. लोक अदालत ने यह आदेश सत्यपाल चांदोलिया के परिवाद पर दिया. परिवाद में कहा कि रामपुरा रोड की मुख्य रोड और बालाजी विहार कॉलोनी में पास की दूसरी कॉलोनियों से आने वाला पानी जमा हो जाता है.

पढ़ेंः गणतंत्र दिवस परेडः गणतंत्र दिवस परेड में राजस्थान एनसीसी कैडेट्स ने किया बेहतरीन प्रदर्शन, नेवल विंग ने जीता गोल्ड मेडल

जिससे इस रोड के दुकानदारों और यहां से निकलने वाले लोगों और स्कूली बच्चों को आवाजाही में परेशानी का सामना करना पड़ता है. मामले में जेडीए और नगर निगम से कई बार शिकायतें की लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.

Intro:जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने एक सहायक लेखाधिकारी को जबरन सेवानिवृत्त करने के सरकार के आदेश को रद्द करने के एकलपीठ के आदेश को सही ठहराया है। वहीं अदालत ने एकलपीठ की ओर से सरकार पर लगाए बीस हजार रुपए के हर्जाने को रद्द कर दिया है। न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश नरेन्द्र सिंह ने यह आदेश राज्य सरकार की याचिका को खारिज करते हुए दिए।Body:मामले के अनुसार रतनप्रकाश दर्जी बतौर सहायक लेखा अधिकारी के तौर पर तैनात था। निदेशक कोषागार व लेखा ने 31 दिसंबर, 1999 को उसकी दो वार्षिक वेतनवृद्धि रोकने और निलंबनकाल का वेतन जब्त करने के आदेश दिए थे। इस आदेश के खिलाफ अपील को अपीलीय अधिकारी ने बहाल रखा। वहीं 21 सितंबर 2000 को दर्जी को जबरन सेवानिवृत्त कर दिया गया। दर्जी ने जबरन सेवानिवृत्ति को हाईकोर्ट में चुनौती दी। जिस पर एकलपीठ ने 26 जुलाई 2016 को आदेश जारी कर जबरन सेवानिवृत्त करने और दो वार्षिक वेतन वृद्धि रोकने के आदेश रद्द कर दियाते हुए सरकार पर बीस हजार का हर्जाना लगाया था। सरकार ने एकलपीठ के इस आदेश के खिलाफ खंडपीठ में अपील की थी।Conclusion:
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