जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान वित्त निगम के पूर्व कर्मचारियों को राहत देते हुए विभाग को 21 जुलाई 2017 की उस अधिसूचना को रद्द कर दिया है, जिसके तहत वर्ष 2004 के बाद सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों को पेंशन नहीं देने का प्रावधान किया गया था. न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश नरेन्द्र सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश सुदीप कुमार पोखरणा और अन्य की ओर से दायर याचिका पर दिए.
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स को नियम बनाने की शक्ति है, लेकिन इसके लिए तय प्रक्रिया की पालना जरूरी है. मामले में तय प्रक्रिया को अपनाए बिना ही अधिसूचना जारी की गई है. याचिका में कहा गया कि आरएफसी ने अगस्त 2004 को कार्यालय आदेश जारी कर निगम से सेवानिवृत्त हुए कर्मचारियों को पेंशन नहीं देने का प्रावधान किया.
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इस आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर हाईकोर्ट ने मई 2018 में इस आदेश को रद्द कर दिया. इसी बीच निगम ने 21 जुलाई 2017 को अधिसूचना जारी कर वर्ष 2004 के बाद सेवानिवृत्त हुए कर्मचारियों को पेंशन नहीं देने का प्रावधान कर दिया. याचिका में कहा गया कि राजस्थान वित्त निगम अधिनियम की धारा 48 के तहत इस तरह का प्रावधान करने से पूर्व तय प्रक्रिया के तहत राज्य सरकार से मंजूरी लेनी जरूरी थी, लेकिन बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने बिना सरकारी मंजूरी के ही अधिसूचना जारी कर दी. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने अधिसूचना को रद्द कर दिया है.