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राजस्थान हाई कोर्ट ने जेडीए की कार्रवाई पर लगाई रोक - जेडीए को नोटिस जारी

राजस्थान हाई कोर्ट ने शरणार्थी से खरीदी गई जमीन पर किए निर्माण को अतिक्रमण बताकर उसे तोड़ने की कार्रवाई पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने जेडीए को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

राजस्थान हाई कोर्ट
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Published : Aug 5, 2021, 6:25 PM IST

Updated : Aug 5, 2021, 7:03 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाई कोर्ट (Rajasthan High Court) ने शरणार्थी से खरीदी गई जमीन पर किए निर्माण को अतिक्रमण बताकर उसे तोड़ने की कार्रवाई पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने जेडीए (JDA) को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. न्यायाधीश अशोक गौड़ की एकलपीठ ने यह आदेश सतीश कट्टा की ओर से दायर याचिका पर दिए.

पढ़ेंः CBSE: बोर्ड Exam Result से संबंधित विवादों को सुलझाने के लिए 'कमेटी' का गठन, पॉलिसी के अनुरूप करेगी काम

याचिका में अधिवक्ता राकेश कुमार सैनी ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार ने टोपन दास नामक व्यक्ति को रामजीपुरा में शरणार्थी पट्टा जारी कर भूमि आवंटित की थी. याचिकाकर्ता ने 23 मई 2001 के आवंटी की विधवा से भूखंड खरीदा था. वहीं गत 12 अप्रैल को जेडीए ने इस भूमि को जेडीए के स्वामित्व की होना बताकर याचिकाकर्ता को अतिक्रमण हटाने का नोटिस जारी कर दिया.

पढ़ेंः हेरिटेज नगर निगम में सफाई पर सियासत, सफाई कर्मचारियों के धरने के दौरान भाजपा पार्षदों ने किया हंगामा

याचिका में कहा गया कि तत्कालीन कलक्टर ने शरणार्थियों को दुर्गापुरा और रामजीपुरा में 160 भूखंड आवंटित कर पट्टे दिए थे. इसमें से कई लोगों ने अपने भूखंड बेच दिए. इसमें से एक भूखंड याचिकाकर्ता ने भी खरीदा था. ऐसे में वह अतिक्रमी की श्रेणी में नहीं माना जा सकता. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने जेडीए की कार्रवाई पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाई कोर्ट (Rajasthan High Court) ने शरणार्थी से खरीदी गई जमीन पर किए निर्माण को अतिक्रमण बताकर उसे तोड़ने की कार्रवाई पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने जेडीए (JDA) को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. न्यायाधीश अशोक गौड़ की एकलपीठ ने यह आदेश सतीश कट्टा की ओर से दायर याचिका पर दिए.

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याचिका में अधिवक्ता राकेश कुमार सैनी ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार ने टोपन दास नामक व्यक्ति को रामजीपुरा में शरणार्थी पट्टा जारी कर भूमि आवंटित की थी. याचिकाकर्ता ने 23 मई 2001 के आवंटी की विधवा से भूखंड खरीदा था. वहीं गत 12 अप्रैल को जेडीए ने इस भूमि को जेडीए के स्वामित्व की होना बताकर याचिकाकर्ता को अतिक्रमण हटाने का नोटिस जारी कर दिया.

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याचिका में कहा गया कि तत्कालीन कलक्टर ने शरणार्थियों को दुर्गापुरा और रामजीपुरा में 160 भूखंड आवंटित कर पट्टे दिए थे. इसमें से कई लोगों ने अपने भूखंड बेच दिए. इसमें से एक भूखंड याचिकाकर्ता ने भी खरीदा था. ऐसे में वह अतिक्रमी की श्रेणी में नहीं माना जा सकता. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने जेडीए की कार्रवाई पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

Last Updated : Aug 5, 2021, 7:03 PM IST
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