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राजस्थान हाई कोर्ट: 70 से अधिक अतिक्रमियों को बिना अनुमति बेदखल करने पर लगाई रोक

राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) ने झुंझुनूं की सूरजगढ़ तहसील की सरकारी भूमि पर 6 दशकों से रह रहे करीब 70 से अधिक अतिक्रमियों को हटाने पर रोक लगा दी है. साथ ही एकलपीठ ने याचिकाकर्ताओं को अदालती अनुमति के बिना हटाने पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब भी तलब किया है.

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Published : Sep 23, 2021, 8:20 PM IST

Rajasthan High Court bans eviction of more than 70 trespassers without permission
राजस्थान हाई कोर्ट ने 70 से अधिक अतिक्रमियों को बिना अनुमति बेदखल करने पर लगाई रोक

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) ने झुंझुनूं की सूरजगढ़ तहसील की सरकारी भूमि पर 6 दशकों से रह रहे करीब 70 से अधिक लोगों को हटाने पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने मुख्य सचिव (Chief Secretary) और स्थानीय कलेक्टर सहित अन्य से जवाब भी मांगा है. मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत महांति (Chief Justice Indrajit Mohanty) की एकलपीठ ने यह आदेश सवाई सिंह व अन्य की याचिका पर दिए हैं.

पढ़ें. महापरीक्षा पर मंथन : REET को लेकर CM गहलोत की अहम बैठक, नकलचियों पर कसेगी नकेल

याचिका में अधिवक्ता मोहित बलवदा ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता परिवार करीब 6 दशक से इस भूमि पर पक्का मकान बनाकर रह रहे हैं. इसके अलावा घरों में बिजली का कनेक्शन भी लिया हुआ है. वहीं स्थानीय तहसीलदार ने अपनी सर्वे रिपोर्ट में माना है कि याचिकाकर्ताओं के पास रहने के लिए दूसरा कोई स्थान नहीं है.

इसके बावजूद भी राज्य सरकार ने गत दिनों नोटिस जारी कर याचिकाकर्ताओं को सात दिन में निर्माण हटाने को कहा है. ऐसा नहीं करने पर जबरन कब्जा खाली करने का आदेश भी दिया गया है. ऐसे में राज्य सरकार के नोटिस को रद्द किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ताओं को अदालती अनुमति के बिना हटाने पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) ने झुंझुनूं की सूरजगढ़ तहसील की सरकारी भूमि पर 6 दशकों से रह रहे करीब 70 से अधिक लोगों को हटाने पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने मुख्य सचिव (Chief Secretary) और स्थानीय कलेक्टर सहित अन्य से जवाब भी मांगा है. मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत महांति (Chief Justice Indrajit Mohanty) की एकलपीठ ने यह आदेश सवाई सिंह व अन्य की याचिका पर दिए हैं.

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याचिका में अधिवक्ता मोहित बलवदा ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता परिवार करीब 6 दशक से इस भूमि पर पक्का मकान बनाकर रह रहे हैं. इसके अलावा घरों में बिजली का कनेक्शन भी लिया हुआ है. वहीं स्थानीय तहसीलदार ने अपनी सर्वे रिपोर्ट में माना है कि याचिकाकर्ताओं के पास रहने के लिए दूसरा कोई स्थान नहीं है.

इसके बावजूद भी राज्य सरकार ने गत दिनों नोटिस जारी कर याचिकाकर्ताओं को सात दिन में निर्माण हटाने को कहा है. ऐसा नहीं करने पर जबरन कब्जा खाली करने का आदेश भी दिया गया है. ऐसे में राज्य सरकार के नोटिस को रद्द किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ताओं को अदालती अनुमति के बिना हटाने पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

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