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बोलने और सुनने में असक्षम खिलाड़ी को आउट ऑफ टर्न नियुक्ति क्यों नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान सरकार ने साल- 2020 में नियमों में संशोधन कर खेल मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों को आउट ऑफ टर्न नोकरी देने का प्रावधान किया था. इस नियम के तहत खिलाड़ियों को केटेगिरी मुताबिक सीधी सरकारी नोकरी दी जाती है. इसी को लेकर जेवलिन-थ्रो के अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी को नियुक्ति नहीं देने पर हाईकोर्ट ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है

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राजस्थान हाईकोर्ट
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Published : Oct 22, 2021, 1:45 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाइकोर्ट ने शारीरिक दिव्यांग जेवलिन-थ्रो के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी को आउट ऑफ टर्न नियुक्ति नहीं देने पर गृह सचिव, कार्मिक सचिव और स्पोर्ट्स कउंसिल से जवाब मांगा है. न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा ने यह आदेश संदीप कुमार स्वामी की याचिका पर दिया है.

याचिका में वकील हनुमान चौधरी ने अदालत को बताया की राज्य सरकार ने साल- 2020 में नियमों में संशोधन कर खेल मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों को आउट ऑफ टर्न नोकरी देने का प्रावधान किया. नियमों के तहत मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों को केटेगिरी अनुसार सरकारी पदों पर सीधे नियुक्ति दी जाती है.

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याचिका में कहा गया है कि जुलाई 2017 में बोलने और सुनने में असक्षम खिलाड़ियों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयोजित जेवलिन थ्रो प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था. आउट ऑफ टर्न नियुक्ति के नियमों में बोलने और सुनने में असक्षम खिलाड़ियों के लिए प्रावधान नहीं होने के कारण उसे नियुक्ति नहीं दी जा रही है. जबकि इन नियमों के तहत अन्य श्रेणी के दिव्यांगों को नियुक्तियां दी गई है.

याचिका में गुहार की गई है कि बोलने और सुनने में असक्षम खिलाड़ियों को भी इन नियमों के तहत आउट ऑफ टर्न नियुक्ति देने का प्रावधान करते हुए याचिकाकर्ता को नियुक्ति दी जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगा है.

जयपुर. राजस्थान हाइकोर्ट ने शारीरिक दिव्यांग जेवलिन-थ्रो के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी को आउट ऑफ टर्न नियुक्ति नहीं देने पर गृह सचिव, कार्मिक सचिव और स्पोर्ट्स कउंसिल से जवाब मांगा है. न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा ने यह आदेश संदीप कुमार स्वामी की याचिका पर दिया है.

याचिका में वकील हनुमान चौधरी ने अदालत को बताया की राज्य सरकार ने साल- 2020 में नियमों में संशोधन कर खेल मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों को आउट ऑफ टर्न नोकरी देने का प्रावधान किया. नियमों के तहत मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों को केटेगिरी अनुसार सरकारी पदों पर सीधे नियुक्ति दी जाती है.

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याचिका में कहा गया है कि जुलाई 2017 में बोलने और सुनने में असक्षम खिलाड़ियों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयोजित जेवलिन थ्रो प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था. आउट ऑफ टर्न नियुक्ति के नियमों में बोलने और सुनने में असक्षम खिलाड़ियों के लिए प्रावधान नहीं होने के कारण उसे नियुक्ति नहीं दी जा रही है. जबकि इन नियमों के तहत अन्य श्रेणी के दिव्यांगों को नियुक्तियां दी गई है.

याचिका में गुहार की गई है कि बोलने और सुनने में असक्षम खिलाड़ियों को भी इन नियमों के तहत आउट ऑफ टर्न नियुक्ति देने का प्रावधान करते हुए याचिकाकर्ता को नियुक्ति दी जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगा है.

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