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प्रावधान निरस्त होने के बाद भी कैसे किया जा रहा है कर्मचारी को दंडित - एलडीसी भर्ती-2018 बैकलॉग

राजस्थान हाइकोर्ट ने पूछा कि दो से अधिक संतान होने पर दिए जाने वाले दंड के प्रावधान को हटाने के बावजूद याचिकाकर्ता को दंडित क्यों किया गया है. साथ ही इस संबंध में संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब भी मांगा है.

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राजस्थान हाइकोर्ट ने मांगा जवाब
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Published : Nov 25, 2020, 9:50 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव, प्रमुख गृह सचिव और डीजीपी सहित आरएसी 7वीं बटालियन, धौलपुर के कमाडेंट को नोटिस जारी कर पूछा है कि दो से अधिक संतान होने पर दिए जाने वाले दंड के प्रावधान को हटाने के बावजूद याचिकाकर्ता को दंडित क्यों किया गया है.

राजस्थान हाइकोर्ट ने मांगा जवाब

इसके साथ ही अदालत ने दंड आदेशों पर रोक लगाते हुए कहा है कि याचिकाकर्ता को नियमित वेतन दिया जाए और ये दंड आदेश उसकी पदोन्नति के आड़े नहीं आएंगे. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश हामेन्द्र सिंह की याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता रमित पारीक ने अदालत को बताया कि राजस्थान सिविल सेवा नियम, 1971 के नियम 25सी के तहत जून 2002 के बाद दो से अधिक संतान होने पर कर्मचारी को दंडित करने का प्रावधान था. वहीं राज्य सरकार ने 11 मई 2016 को इस प्रावधान को समाप्त कर दिया.

याचिका में कहा गया कि प्रावधान समाप्त होने के बाद भी पुलिस विभाग में तैनात याचिकाकर्ता को इस नियम के तहत गत जुलाई माह में परिनिंदा का दंड देते हुए उसकी एसीपी की रिकवरी निकाल दी. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी करते हुए याचिकाकर्ता के खिलाफ दिए आदेशों पर रोक लगा दी है.

पढ़ेंः पहले कभी नहीं गए...अब कोरोना संक्रमित होने के बावजूद चिकित्सा मंत्री ने किया RUHS का निरीक्षण

एलडीसी भर्ती-2018 में बैकलॉग के पद शामिल नहीं होने पर जवाब

राजस्थान हाईकोर्ट ने एलडीसी भर्ती-2018 में बैकलॉग के पद शामिल नहीं होने के बावजूद भी इन पदों को आरक्षित सूची से भरने पर प्रमुख कार्मिक सचिव, एसीएस प्रशासनिक सुधार, राजस्थान सेवा चयन बोर्ड सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. अदालत ने संबंधित अधिकारियों से पूछा है कि वे बैकलॉग के 1254 पदों पर नियुक्ति क्यों दी जा रही है. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश समता आंदोलन समिति और अन्य की ओर से दायर याचिका पर दिए.

याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार ने वर्ष 2018 में एलडीसी भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया. वहीं बाद में इस भर्ती की आरक्षित सूची में से बैकलॉग के नाम पर 1254 पद भर लिए. जबकि भर्ती विज्ञापन में बैकलॉग के खाली पदों का उल्लेख नहीं था. याचिका में कहा गया कि प्रशासनिक सुधार विभाग ने संबंधित विभागों को पत्र लिखकर एससी, एसटी के खाली पदों को आरक्षित सूची से भरने के निर्देश दिए.

वहीं यदि आरक्षित वर्ग के पद खाली नहीं हो तो उन्हें सामान्य वर्ग के पदों पर भरने और सामान्य के पद भी रिक्त नहीं हो तो उन्हें अलग से भरकर बाद में पद सृजित करने की बात कही गई. याचिका में कहा गया कि बताए जा रहे बैकलॉग के पदों को पहले ही भरा जा चुका है. ऐसे में भर्ती में शामिल नहीं किए पदों को बैकलॉग के नाम पर आरक्षित सूची से भरना गलत है. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

डेयरी फैडरेशन के चेयरमैन पद पर बने रहने का आदेश रद्द

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट की खंडपीठ ने एकलपीठ के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसके तहत एकलपीठ ने अलवर डेयरी फैडरेशन के मौजूदा चेयरमैन बन्नाराम मीना को आगामी आदेश तक कार्य करते रहने को कहा था.

खंडपीठ ने माना कि चेयरमैन ने कार्यकाल खत्म होने के बाद कभी भी पद पर बने रहने का आग्रह नहीं किया है. ऐसे में एकलपीठ का आगामी आदेश तक उन्हें कार्य करते रहने देने का आदेश देने का निर्देश रद्द किया जाता है. न्यायाधीश सबीना खान और न्यायाधीश सीके सोनगरा की खंडपीठ ने यह आदेश सहकारिता रजिस्ट्रार की अपील पर दिए.

अपील में कहा गया कि एकलपीठ ने अंतरिम आदेश देते हुए तीस जून और 13 अगस्त के आदेश पर रोक लगाते हुए चेयरमैन बन्नाराम मीना को काम करते रहने को कहा था. चेयरमैन का कार्यकाल 22 सितंबर को पूरा हो गया है. ऐसे में उन्हें कार्यकाल समाप्त होने के बाद पद पर बने रहने का अधिकार नहीं है. इसलिए एकलपीठ के आदेश को रद्द किया जाए.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव, प्रमुख गृह सचिव और डीजीपी सहित आरएसी 7वीं बटालियन, धौलपुर के कमाडेंट को नोटिस जारी कर पूछा है कि दो से अधिक संतान होने पर दिए जाने वाले दंड के प्रावधान को हटाने के बावजूद याचिकाकर्ता को दंडित क्यों किया गया है.

राजस्थान हाइकोर्ट ने मांगा जवाब

इसके साथ ही अदालत ने दंड आदेशों पर रोक लगाते हुए कहा है कि याचिकाकर्ता को नियमित वेतन दिया जाए और ये दंड आदेश उसकी पदोन्नति के आड़े नहीं आएंगे. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश हामेन्द्र सिंह की याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता रमित पारीक ने अदालत को बताया कि राजस्थान सिविल सेवा नियम, 1971 के नियम 25सी के तहत जून 2002 के बाद दो से अधिक संतान होने पर कर्मचारी को दंडित करने का प्रावधान था. वहीं राज्य सरकार ने 11 मई 2016 को इस प्रावधान को समाप्त कर दिया.

याचिका में कहा गया कि प्रावधान समाप्त होने के बाद भी पुलिस विभाग में तैनात याचिकाकर्ता को इस नियम के तहत गत जुलाई माह में परिनिंदा का दंड देते हुए उसकी एसीपी की रिकवरी निकाल दी. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी करते हुए याचिकाकर्ता के खिलाफ दिए आदेशों पर रोक लगा दी है.

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एलडीसी भर्ती-2018 में बैकलॉग के पद शामिल नहीं होने पर जवाब

राजस्थान हाईकोर्ट ने एलडीसी भर्ती-2018 में बैकलॉग के पद शामिल नहीं होने के बावजूद भी इन पदों को आरक्षित सूची से भरने पर प्रमुख कार्मिक सचिव, एसीएस प्रशासनिक सुधार, राजस्थान सेवा चयन बोर्ड सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. अदालत ने संबंधित अधिकारियों से पूछा है कि वे बैकलॉग के 1254 पदों पर नियुक्ति क्यों दी जा रही है. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश समता आंदोलन समिति और अन्य की ओर से दायर याचिका पर दिए.

याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार ने वर्ष 2018 में एलडीसी भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया. वहीं बाद में इस भर्ती की आरक्षित सूची में से बैकलॉग के नाम पर 1254 पद भर लिए. जबकि भर्ती विज्ञापन में बैकलॉग के खाली पदों का उल्लेख नहीं था. याचिका में कहा गया कि प्रशासनिक सुधार विभाग ने संबंधित विभागों को पत्र लिखकर एससी, एसटी के खाली पदों को आरक्षित सूची से भरने के निर्देश दिए.

वहीं यदि आरक्षित वर्ग के पद खाली नहीं हो तो उन्हें सामान्य वर्ग के पदों पर भरने और सामान्य के पद भी रिक्त नहीं हो तो उन्हें अलग से भरकर बाद में पद सृजित करने की बात कही गई. याचिका में कहा गया कि बताए जा रहे बैकलॉग के पदों को पहले ही भरा जा चुका है. ऐसे में भर्ती में शामिल नहीं किए पदों को बैकलॉग के नाम पर आरक्षित सूची से भरना गलत है. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

डेयरी फैडरेशन के चेयरमैन पद पर बने रहने का आदेश रद्द

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट की खंडपीठ ने एकलपीठ के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसके तहत एकलपीठ ने अलवर डेयरी फैडरेशन के मौजूदा चेयरमैन बन्नाराम मीना को आगामी आदेश तक कार्य करते रहने को कहा था.

खंडपीठ ने माना कि चेयरमैन ने कार्यकाल खत्म होने के बाद कभी भी पद पर बने रहने का आग्रह नहीं किया है. ऐसे में एकलपीठ का आगामी आदेश तक उन्हें कार्य करते रहने देने का आदेश देने का निर्देश रद्द किया जाता है. न्यायाधीश सबीना खान और न्यायाधीश सीके सोनगरा की खंडपीठ ने यह आदेश सहकारिता रजिस्ट्रार की अपील पर दिए.

अपील में कहा गया कि एकलपीठ ने अंतरिम आदेश देते हुए तीस जून और 13 अगस्त के आदेश पर रोक लगाते हुए चेयरमैन बन्नाराम मीना को काम करते रहने को कहा था. चेयरमैन का कार्यकाल 22 सितंबर को पूरा हो गया है. ऐसे में उन्हें कार्यकाल समाप्त होने के बाद पद पर बने रहने का अधिकार नहीं है. इसलिए एकलपीठ के आदेश को रद्द किया जाए.

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