जयपुर. राजस्थान में इस बार दलहन और तिलहन की बंपर पैदावार तो हुई है, लेकिन किसान अभी भी परेशान है. परेशानी का बड़ा कारण है कि अच्छी पैदावार होने के बावजूद प्रदेश में सरकारी खरीद के कोटे में इजाफा ना होना. किसानों की इस परेशानी को देखते हुए प्रदेश सरकार ने तो प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार को पत्र लिख दिया, लेकिन इस मामले में केंद्र सरकार की चुप्पी ने किसानों को परेशान कर रखा है.
दरअसल, कोरोना संकट के चलते किसान पहले ही परेशान है, वहीं इस बार दलहन और तिलहन की बंपर पैदावार हुई, लेकिन कुल उत्पादन की 25% खरीद होने का नियम इस में रोड़ा बन गया. अब किसान चाहते हैं कि खरीद की सीमा में इजाफा हो. इसके लिए प्रदेश सरकार ने केंद्र को पत्र भेजकर खरीद सीमा बढ़ाने का आग्रह भी किया है.
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प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में दलहन और तिलहन की कुल उत्पादन का 25% के बजाय 50% तक खरीद की मांग की गई है. साथ ही खरीद की अवधि 90 दिन से बढ़ाकर 180 दिन करने की भी मांग रखी गई है. लेकिन अब तक केंद्र सरकार की ओर से इस पर कोई भी जवाब या निर्णय नहीं लिया गया है.
किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट के अनुसार इस बार न्यूनतम समर्थन मूल्य और बाजार भाव में काफी अंतर है. ऐसे में यदि खरीद की सीमा नहीं बढ़ी तो किसानों को मजबूरन अपनी उपज सस्ते दामों पर बाजार में भेजना पड़ेगा. रामपाल जाट के अनुसार दलहन में चने कि अब तक हुई खरीद के बावजूद 6 लाख टन से अधिक चने की खरीद प्रदेश में नहीं हो पाएगी, जिसका सीधा घाटा किसानों को होगा.
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साथ ही कहा कि सरसों की भी यहीं स्थिति रहेगी और दलहन और तिलहन की यदि 75 प्रतिशत सरकारी खरीद ना हो पाई तो इस स्थिति में किसानों को करीब 3450 करोड़ से अधिक का नुकसान होगा. वहीं केंद्र में भाजपा की सरकार है और भाजपा नेता इस मामले में अब तक राजस्थान के किसानों को केंद्र से कोई राहत नहीं दिलवा पाए हैं. ऐसे में किसानों की परेशानी बढ़ना लाजमी है.