जयपुर. राज्य सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर एक तीर से दो निशाने लगाने का काम किया है. गृह कर और नगरीय विकास कर में छूट की अवधि बढ़ाते (Now deposit house tax and urban development tax till June with discount) हुए ना सिर्फ आम जनता को राहत देने की कोशिश की है. बल्कि नगरीय निकायों की बिगड़ी वित्तीय स्थिति को सुधारने का एक मौका और दिया है. ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग छूट के चलते अपना बकाया भुगतान जमा कराने में रुचि दिखाएं.
राजस्थान नगरपालिका अधिनियम 2009 की धारा 107 (4) के अंतर्गत राज्य सरकार ने गृह कर और नगरीय विकास कर की राशि एकमुश्त जमा कराने पर छूट के प्रावधान तय किए हैं. सरकार ने 1 अप्रेल, 2022 से 30 जून, 2022 तक आवासीय/व्यवसायिक भूखंड/भवनों का गृह कर एकमुश्त जमा कराने पर मूल बकाए पर 50 फीसदी की छूट और शास्ति (पेनल्टी) पर शत प्रतिशत छूट के प्रावधान तय किए हैं. वहीं 2022-23 तक का एकमुश्त नगरीय विकास कर जमा कराने पर ब्याज और शास्ति (पेनल्टी) पर शत प्रतिशत छूट दी है. जिन प्रकरणों में वर्ष 2011-12 से पहले का नगरीय विकास कर बकाया है, उन प्रकरणों में एकमुश्त जमा कराने पर उस अवधि के नगरीय विकास कर में शास्ति (पेनल्टी) की छूट के साथ मूल बकाए में 50 फीसदी की छूट के प्रावधान तय किए गए हैं.
हालांकि अधिसूचना में स्पष्ट किया गया है कि पूर्व में निस्तारित प्रकरणों को दोबारा नहीं खोला जाएगा और जमा राशि भी दोबारा नहीं लौटाई जाएगी. आपको बता दें कि वर्तमान वित्तीय वर्ष में हेरिटेज नगर निगम ने 21 करोड़ तो वहीं ग्रेटर नगर निगम ने करीब 41 करोड़ नगरीय विकास कर जमा किया है. अब राज्य सरकार ने छूट की अवधि बढ़ाते हुए बकायेदारों को एक और मौका दिया है. इससे निकायों में भी राजस्व बढ़ोतरी के द्वार खुलेंगे.
जानकारी के अनुसार पिछली बार 2005 में हाउस टैक्स के नाते सर्वे कराया गया था. हाउस टैक्स खत्म करने के बाद 2007 में नगरीय विकास कर लागू किया गया और इसको वसूलने का आधार डीएलसी तय किया गया. इस दौरान हाउस टैक्स सर्विस डाटा को ही यूडी टैक्स वसूलने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था. चूंकि बीते डेढ़ दशक में संपत्तियों में काफी बदलाव हुए हैं. ऐसे में दोबारा हाईटेक तरीके से सर्वे के लिए 2020 में जयपुर निगम ने इसकी जिम्मेदारी प्राइवेट फर्म को सौंपी. साथ ही लक्ष्य 6 लाख संपत्तियों का तय किया गया. बता दें कि 300 वर्ग गज से बड़े आवासीय और 100 वर्ग गज से बड़े व्यवसायिक भूखंड पर यूडी टैक्स वसूलने के नियम हैं. वहीं हाउस टैक्स पुराने बकायेदारों से वसूल किया जा रहा है.