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प्रवासी मजदूरों की घर वापसी के बाद सरकार के समक्ष होगी बड़ी चुनौती - भाजपा खबर

लॉकडाउन के बीच ही प्रवासियों को उनके गृह राज्य भेजने का कार्य शुरू हो गया है. अब इनकी वापसी के बाद इनके रोजगार का सामना भी सरकार को करना पड़ेगा. हालांकि सरकार का कहना है कि रोजगार को लेकर भी उनकी तैयारी पूरी है.

राजस्थान सरकार खबर, rajasthan government news
मजदूरों का रोजगार एक चुनौती
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Published : May 4, 2020, 8:06 PM IST

जयपुर. लॉकडाउन के बीच मिली छूट के दौरान प्रवासी मजदूरों को उनके राज्य और जिलों में भेजने का काम शुरू हो गया है. लंबे समय से एक ही स्थान पर फंसे इन मजदूरों की घर वापसी के बाद इन्हें रोजगार उपलब्ध कराना एक बड़ी चुनौती होगा.

मजदूरों के लिए रोजगार होगी सरकार की चुनौती

साथ ही इन मजदूरों और प्रवासियों को बिना किसी संक्रमण के उनके घर तक पहुंचाना भी सरकार के लिए बड़ी चुनौती है. हालांकि प्रदेश सरकार के मंत्री इस चुनौती से निपटने की पूरी तैयारी बताते हैं. वहीं भाजपा इस बेरोजगारी को मनरेगा के जरिए दूर करने का उपाय बता रही है.

33 में से 29 जिले कोरोना की जद में-

राजस्थान में जयपुर कोरोना का गढ़ बन चुका है और उसके बाद जोधपुर में सर्वाधिक कोरोना संक्रमित हैं. प्रदेश के 33 में से 29 जिले वर्तमान में कोरोना के जद में आ चुके हैं. प्रदेश के आर्थिक हालात किसी से छुपे हुए नहीं हैं. बताया जा रहा है कि प्रदेश में एक माह में राजस्व प्राप्ति करीब 15 हजार करोड़ रुपए होनी चाहिए थी. लेकिन घट कर करीब दो हजार करोड़ ही रह गई है.

पढ़ें: 4 मई से शुरू होगी प्लाज्मा थेरेपी और टेलीमेडिसिन की सुविधा : CM गहलोत

इस बीच लाखों की संख्या में मजदूर और लोग अन्य राज्यों से अपने घर राजस्थान लौटना चाह रहे हैं. अब सरकार इसी चिंता में है कि इन्हें अपने घर तक बिना किसी संक्रमण के पहुंचाए और उसके बाद इनके रोजगार की व्यवस्था भी करें. हालांकि ऊर्जा और जलदाय मंत्री डॉक्टर बीडी कल्ला का दावा है कि प्रदेश सरकार ने पूरी तैयारी कर ली है. ताकि कोई भी इस संकट की घड़ी में भूखा ना सोए. जहां तक मजदूरों के रोजगार की बात है तो उसके लिए भी सरकार अपने स्तर पर प्रयास करेगी.

वहीं भाजपा के राज्यसभा सांसद डॉक्टर किरोड़ी लाल मीणा के अनुसार मौजूदा परिस्थितियों में राजस्व अर्जन नहीं के बराबर है. सरकारों के आर्थिक हालात खराब है. इस स्थिति में मनरेगा कार्यों का विस्तार ही एकमात्र उपाय है. जिसके जरिए राज्य में आने वाले मजदूरों को रोजगार दिया जा सकता है. वहीं सरकारी स्तर पर कुछ कामों में इन मजदूरों को खापाया जाना जरूरी है. अन्यथा राजस्थान के हालात विकट होना तय हैं.

पढ़ें: ममता की छांव में नन्ही परी, आइसोलेशन वार्ड में कोरोना पॉजिटिव बेटी की देखरेख कर रही मां

बहरहाल अभी राजस्थान से बाहरी राज्यों में रहने वाले मजदूरों को भेजा जा रहा है. लेकिन अन्य राज्यों में जो राजस्थान के मजदूर हैं, उन्हें भी लाए जाने का दबाव सरकार पर है. जब उनका आने का सिलसिला शुरू होगा, तो एक और चुनौती प्रदेश सरकार के सामने खड़ी होना तय है. जिसका समाधान करने में सरकार जुटी है.

जयपुर. लॉकडाउन के बीच मिली छूट के दौरान प्रवासी मजदूरों को उनके राज्य और जिलों में भेजने का काम शुरू हो गया है. लंबे समय से एक ही स्थान पर फंसे इन मजदूरों की घर वापसी के बाद इन्हें रोजगार उपलब्ध कराना एक बड़ी चुनौती होगा.

मजदूरों के लिए रोजगार होगी सरकार की चुनौती

साथ ही इन मजदूरों और प्रवासियों को बिना किसी संक्रमण के उनके घर तक पहुंचाना भी सरकार के लिए बड़ी चुनौती है. हालांकि प्रदेश सरकार के मंत्री इस चुनौती से निपटने की पूरी तैयारी बताते हैं. वहीं भाजपा इस बेरोजगारी को मनरेगा के जरिए दूर करने का उपाय बता रही है.

33 में से 29 जिले कोरोना की जद में-

राजस्थान में जयपुर कोरोना का गढ़ बन चुका है और उसके बाद जोधपुर में सर्वाधिक कोरोना संक्रमित हैं. प्रदेश के 33 में से 29 जिले वर्तमान में कोरोना के जद में आ चुके हैं. प्रदेश के आर्थिक हालात किसी से छुपे हुए नहीं हैं. बताया जा रहा है कि प्रदेश में एक माह में राजस्व प्राप्ति करीब 15 हजार करोड़ रुपए होनी चाहिए थी. लेकिन घट कर करीब दो हजार करोड़ ही रह गई है.

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इस बीच लाखों की संख्या में मजदूर और लोग अन्य राज्यों से अपने घर राजस्थान लौटना चाह रहे हैं. अब सरकार इसी चिंता में है कि इन्हें अपने घर तक बिना किसी संक्रमण के पहुंचाए और उसके बाद इनके रोजगार की व्यवस्था भी करें. हालांकि ऊर्जा और जलदाय मंत्री डॉक्टर बीडी कल्ला का दावा है कि प्रदेश सरकार ने पूरी तैयारी कर ली है. ताकि कोई भी इस संकट की घड़ी में भूखा ना सोए. जहां तक मजदूरों के रोजगार की बात है तो उसके लिए भी सरकार अपने स्तर पर प्रयास करेगी.

वहीं भाजपा के राज्यसभा सांसद डॉक्टर किरोड़ी लाल मीणा के अनुसार मौजूदा परिस्थितियों में राजस्व अर्जन नहीं के बराबर है. सरकारों के आर्थिक हालात खराब है. इस स्थिति में मनरेगा कार्यों का विस्तार ही एकमात्र उपाय है. जिसके जरिए राज्य में आने वाले मजदूरों को रोजगार दिया जा सकता है. वहीं सरकारी स्तर पर कुछ कामों में इन मजदूरों को खापाया जाना जरूरी है. अन्यथा राजस्थान के हालात विकट होना तय हैं.

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बहरहाल अभी राजस्थान से बाहरी राज्यों में रहने वाले मजदूरों को भेजा जा रहा है. लेकिन अन्य राज्यों में जो राजस्थान के मजदूर हैं, उन्हें भी लाए जाने का दबाव सरकार पर है. जब उनका आने का सिलसिला शुरू होगा, तो एक और चुनौती प्रदेश सरकार के सामने खड़ी होना तय है. जिसका समाधान करने में सरकार जुटी है.

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