जयपुर. बीते कुछ समय से प्रदेश में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में एकाएक इजाफा देखने को मिल रहा है. ऐसे में सरकारी अस्पतालों में इलाज के अलावा राज्य सरकार ने निजी अस्पतालों को भी इलाज के लिए अधिकृत किया है. इन निजी अस्पतालों में इलाज करवाने वाले कोरोना मरीजों के उपचार को लेकर राज्य सरकार की ओर से आदेश जारी कर एक निश्चित राशि भी तय कर दी गई है, ताकि निजी अस्पताल मनमानी नहीं कर सकें.
हालांकि, राज्य सरकार ने कुछ समय पहले कोरोना मरीजों के इलाज को लेकर अस्पताल की दरें निर्धारित की थी, जिसमें कोरोना की जांच आईसीयू बेड और सामान्य बेड की राशि निर्धारित की गई थी. ऐसे में एक बार फिर राज्य सरकार की ओर से नई दरें निजी अस्पतालों के लिए कोरोना के इलाज को लेकर जारी कर दी गई हैं, ताकि निजी अस्पताल अपनी मनमानी नहीं कर सकें.
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मामले को लेकर प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने बताया कि निजी अस्पतालों से सरकार की बातचीत हुई है. हाल ही में जो दरें तय की गई हैं, उन्हें लेकर चर्चा की गई और सहमति के बाद कोरोना मरीजों के इलाज की तैयारी निजी अस्पतालों में नए सिरे से शुरू की जा रही है.
NABL (नेशनल एक्रीडेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कॉलिब्रेशन लैबोरेट्रीज) अधिकृत अस्पतालों में नई दरें...
- ऑक्सीजन युक्त आइसोलेशन बेड के लिए अब 5500 रुपए देने होंगे.
- एचडीयू और आईसीयू के लिए 8250 रुपए देने होंगे.
- आईसीयू विद वेंटीलेटर के लिए 9900 रुपए देने होंगे.
नॉन एनएबीएल अस्पतालों में नई दरें...
- आइसोलेशन बेड के लिए 5000 रुपए लगेंगे.
- एचडीयू और आईसीयू के लिए 7500 रुपए लगेंगे.
- आईसीयू में वेंटिलेटर के लिए प्रतिदिन 9000 रुपए निर्धारित (इन दरों में 12 सौ रुपए की पीपीई किट भी शामिल)
- डेड बॉडी स्टोरेज और कैरिज के लिए अधिकतम 2500 रुपये
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इसके अलावा अलावा परामर्श शुल्क नर्सिंग चार्ज मरीज के लिए दो समय का खाना और नाश्ता डिस्चार्ज होने पर कोविड-19 जांच और हर तरह की मॉनिटरिंग फिजियोथेरेपी, सभी दवाएं, बायोमेडिकल शुल्क सभी प्रकार के डाक्यूमेंट्स चार्ज और सभी प्रकार लेबोरेटरी जांच शामिल की गई है. इसके अलावा इन पैकेज के अंदर महंगी दर वाले इंजेक्शन और प्लाज्मा थेरेपी को शामिल नहीं किया गया है, लेकिन इनकी दरें अलग से निर्धारित की गई हैं.
सरकारी स्तर पर होगी मॉनिटरिंग...
मामले को लेकर मंत्री रघु शर्मा ने कहा कि निजी अस्पतालों में इलाज कराने वाले कोरोना और अन्य बीमारियों से जुड़े मरीजों को किसी तरह की कोई परेशानी नहीं आने दी जाएगी और सरकार अपने स्तर पर मॉनिटरिंग करेगी. इसके अलावा यदि कोई शिकायत सरकार के पास आती है, तो उस पर कार्रवाई की जाएगी.
भर्ती होने पर कोविड-19 टेस्ट जरूरी...
यदि किसी मरीज को प्राइवेट या सरकारी अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती किया जा रहा है, तो सबसे पहले उसका कोविड-19 टेस्ट किया जाता है और इसके बाद ही मरीजों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती किया जा रहा है. क्योंकि यदि इलाज कराने पहुंचे मरीज का कोविड-19 टेस्ट नहीं किया गया तो संक्रमण दूसरे मरीजों और अस्पताल के स्टाफ तक भी पहुंच सकता है.