जयपुर. राजस्थान वन विभाग वर्कचार्ज श्रमिक संघ ने वर्क चार्ज नियम 1964 का लाभ देने की मांग की है. वन कर्मचारियों को सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना करते हुए वर्क चार्ज रूल 1973 का लाभ दिया जा रहा है. जिससे कर्मचारियों के भविष्य में पदोन्नति और अन्य लाभ नहीं मिल पा रहे. वर्क चार्ज श्रमिक संघ ने राज्य सरकार को अवगत करवाते हुए मांग की है कि वर्क चार्ज 1964 के लाभ दिए जाएं.
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राजस्थान वन विभाग वर्क चार्ज श्रमिक संघ ने मांग पत्र के माध्यम से सरकार द्वारा जारी अधिसूचना 18 जनवरी 1989 के तहत वर्क चार्ज रूल 1964 का लाभ देने की मांग की है. वन विभाग ने अधिसूचना 18 जनवरी 1989 से मिलने वाले वर्क चार्ज रूल 1964 का लाभ अभी तक नहीं दिया है. ऐसे में कर्मचारियों ने वर्क चार्ज रूल 1964 को लागू करने के लिए प्रधान मुख्य वन संरक्षक से भी मांग की है. वर्क चार्ज श्रमिक संघ ने अधिकारियों पर मनमर्जी का आरोप लगाया है. वर्क चार्ज नियम लागू नहीं करने को कर्मचारियों के साथ धोखा बताया है.
श्रमिक संघ के प्रदेश अध्यक्ष कृष्ण कुमार रावत ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना 1989 और उच्चतम न्यायालय के आदेश की अवहेलना करते हुए वर्क चार्ज नियम 1964 नहीं लगाकर वन विभाग ने वर्क चार्ज नियम 1973 लगाया हुआ है. वर्क चार्ज नियम 1973 से कर्मचारियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इस नियम के तहत किसी भी तरह से पदोन्नति का लाभ नहीं मिल रहा. इसके साथ ही कर्मचारियों को पेमेंट और वेतनमान का भी नुकसान हो रहा है. कर्मचारियों की मांग है कि राज्य सरकार द्वारा जारी वर्क चार्ज रूल्स 1964 के तहत लाभ दिया जाए.
राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना 1889 के तहत वन विभाग में वर्क चार्ज रूल 1964 लागू किया गया था. राज्य सरकार ने तो वर्क चार्ज रूल 1964 लागू करने के आदेश दे दिए. इसके बावजूद भी वन विभाग की ओर से वर्क चार्ज रूल 1973 ही लगाया हुआ है. इससे भविष्य में पदोन्नति की भी कोई आस नहीं है.