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SPECIAL : वन और वन्यजीवों की सुरक्षा पर मंडरा रहा खतरा...80 फीसदी वन मंडलों में बैरक तक नहीं

प्रदेश के वन क्षेत्रों में शिकारियों की गतिविधियां तेज हो रही हैं. वन विभाग वन और वन्यजीवों की सुरक्षा व संरक्षण के लिए बड़े-बड़े दावे करता है, लेकिन वन अपराधों में लगातार इजाफा हो रहा है. वन अपराधों को रोकने के लिए वन विभाग के पास पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं.

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जंगल की सुरक्षा राम भरोसे
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Published : Jan 13, 2021, 4:00 PM IST

Updated : Jan 13, 2021, 5:21 PM IST

जयपुर. प्रदेश के वन क्षेत्रों में शिकारियों की गतिविधियां तेज हो रही है. वन विभाग वन और वन्यजीवों की सुरक्षा व संरक्षण के लिए बड़े-बड़े दावे करता है. लेकिन वन अपराधों में लगातार इजाफा हो रहा है. वन अपराधों को रोकने के लिए वन विभाग के पास पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं. वन विभाग वन्यजीवों की सुरक्षा के दावे तो लाख करता है, लेकिन जमीन पर इसकी हकीकत कुछ और ही है. जंगल में बढ़ते अपराध को रोकने के लिए वन विभाग के पास पुख्ता इंतजाम नहीं हैं. अपराधियों को रखने के लिए वन विभाग के पास लॉकअप ही नहीं हैं. लॉकअप नहीं होने की वजह से अपराधी फरार हो जाते हैं. देखिये यह खास रिपोर्ट...

80 फीसदी वन मंडलों में बैरक तक नहीं हैं...

जब वन संरक्षक के कार्यालय को बना दिया बैरक

सलमान खान के हिरण के शिकार के मामले में भी काफी परेशानी हुई थी. सलमान खान को रखने के लिए वन संरक्षक के कार्यालय को ही अस्थाई जेल में तब्दील किया गया था. 7 दिन तक वन संरक्षक के ऑफिस में ही सलमान खान से पूछताछ की गई थी. कांकाणी क्षेत्र में हिरण के शिकार के मामले में वन विभाग के पास आरोपी अभिनेता सलमान खान को रखने के लिए लॉकअप की व्यवस्था नहीं थी. वन संरक्षक के कार्यालय को ही अस्थाई जेल में तब्दील कर सलमान खान से पूछताछ की गई थी. कार्यालय के अंदर वन विभाग के रेंजर और गार्ड तैनात रहे. कार्यालय के बाहर पुलिस बल तैनात किया गया था.

वन मंडलों में बैरकों की भारी कमी,  जोधपुर कांकाणी क्षेत्र हिरण शिकार प्रकरण,  राजस्थान वन विभाग समस्याएं,  Rajasthan Forest Division Forest Barrack Case,  Rajasthan Forest and Wildlife Protection Act,  Lack of barracks in forest circles  Jodhpur Kankani Area Deer Hunting Case,
वन्यजीव सुरक्षा के दावे कसौटी पर फेल

बैरकों के लिए बजट का अभाव

बजट के अभाव में बैरक नहीं बन पा रही हैं. वन विभाग के पास अपराधियों को रखने के लिए लॉकअप या बैरक नहीं हैं. जिसकी वजह से आरोपियों को पुलिस के पास भेजना पड़ता है. वन विभाग के अधिकारी भी मानते हैं कि आरोपियों को रखने के लिए लॉकअप होना जरूरी हैं. आए दिन वन्यजीवों के शिकार की घटनाएं सामने आ रही हैं. वन विभाग ने प्रदेश में बढ़ती शिकार की घटनाओं को देखते हुए रेड अलर्ट भी जारी किया है. रेड अलर्ट जारी होने के बाद भी जंगलो में शिकार की घटनाएं सामने आई हैं. वन विभाग अपराधों को रोकने के पुख्ता इंतजाम नहीं कर पाया.

पढ़ें- अलवर: सरिस्का में बाघ की साइटिंग से पर्यटकों की संख्या में हो रहा इजाफा

वन और वन्यजीव अपराधों में बढ़ोतरी

वन और वन्यजीवो से जुड़े अपराधों में बढ़ोतरी हो रही है. कई बार शिकारी पकड़े भी जाते हैं. लेकिन अपराधियों को रखने के लिए वन विभाग के पास लॉकअप की व्यवस्था भी नहीं है. प्रदेश के कई वन मंडलों में लॉकअप नहीं हैं. जयपुर में भी बैरक की व्यवस्था नहीं है. लॉकअप नहीं होने की वजह से आरोपियों को पुलिस सुरक्षा में रखना पड़ता है. वन विभाग के पास बैरक नहीं होने की वजह से कई बार अपराधी फरार भी हो जाते हैं.वन विभाग के पास बजट की कमी होने की वजह से लॉकअप नहीं बन पा रही है.

पुलिस सुरक्षा में भेजने की मजबूरी

वन अधिनस्थ संघ के प्रदेश संयोजक बनवारी लाल शर्मा के मुताबिक आरोपियों के खिलाफ वन विभाग की ओर से केस दर्ज किए जाते हैं. लेकिन आरोपियों को रखने के लिए हवालात की व्यवस्था नहीं होने की वजह से पुलिस सुरक्षा में भेजना पड़ता है. वन विभाग जब किसी अपराधी को पकड़ता है तो सबसे बड़ी परेशानी उसे रात में रखने में होती है. वन विभाग जिले में कहीं भी अपनी हवालात या बैरक बना ले तो अपराधियों को रखने में आसानी हो सकती है.

वन मंडलों में बैरकों की भारी कमी,  जोधपुर कांकाणी क्षेत्र हिरण शिकार प्रकरण,  राजस्थान वन विभाग समस्याएं,  Rajasthan Forest Division Forest Barrack Case,  Rajasthan Forest and Wildlife Protection Act,  Lack of barracks in forest circles  Jodhpur Kankani Area Deer Hunting Case,
बैरकों की कमी होने से अपराधियों को कस्टडी में नहीं रख पाते

पढ़ें- रणथंभौर में फिर भिड़ीं 'रिद्धि-सिद्धि', देखें वीडियो

80 फीसदी वन मंडलों में बैरक नहीं

वाइल्डलाइफ डिवीजन में सवाई माधोपुर, सरिस्का, मुकुंदरा में बैरक बने हुए हैं. लेकिन अधिकांश वन मंडलों में हवालात की व्यवस्था नहीं है. करीब 80 प्रतिशत वन मंडल ऐसे हैं जहां पर बैरक या हवालात की व्यवस्था नहीं हैं. कैंपा फंड से बहुत जगह पर बैरक या हवालात बनाए गए थे. लेकिन उन बैरकों का वास्तविक उपयोग नहीं हो पा रहा.

वन विभाग के पास स्टाफ की बहुत कमी है. ना ही अपराधियों को पकड़ने के लिए विभाग के पास संसाधन हैं. बैरक या हवालात नहीं होने की वजह से रात के समय अपराधियों को रखना मुश्किल होता है. ऐसे में मजबूरन कई बार आरोपियों को सेल्फ जमानत पर भी छोड़ना पड़ता है. ऐसे में कई आरोपी फरार हो जाते हैं, जिनको पकड़ना भी मुश्किल होता है.

वन मंडलों में बैरकों की भारी कमी,  जोधपुर कांकाणी क्षेत्र हिरण शिकार प्रकरण,  राजस्थान वन विभाग समस्याएं,  Rajasthan Forest Division Forest Barrack Case,  Rajasthan Forest and Wildlife Protection Act,  Lack of barracks in forest circles  Jodhpur Kankani Area Deer Hunting Case,
वन कार्यालयों के पास पूरा जाब्ता तक नहीं है...

पुलिस पर निर्भर वन विभाग

वन विभाग के अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक अरिजीत बनर्जी ने बताया कि वन क्षेत्रों में मोर, हिरण, पाटागोह, सियार, सेही समेत अन्य वन्यजीवों के शिकार के मामले सामने आते हैं. ऐसे में आरोपियों को पकड़ने के बाद पूछताछ के लिए कार्यालय में ही रखना पड़ता है. रात के समय पुलिस की सहायता लेनी पड़ती है. ऐसे में वन विभाग के पास लॉकअप होना जरूरी है. कई वन मंडलों में बैरक बनी हुई है, जिसका कोई उपयोग ही नहीं हो पा रहा है.

वन मंडलों में बैरकों की भारी कमी,  जोधपुर कांकाणी क्षेत्र हिरण शिकार प्रकरण,  राजस्थान वन विभाग समस्याएं,  Rajasthan Forest Division Forest Barrack Case,  Rajasthan Forest and Wildlife Protection Act,  Lack of barracks in forest circles  Jodhpur Kankani Area Deer Hunting Case,
वनों और वन्य जीवों पर मंडरा रहा खतरा

अधिकतर वन क्षेत्र में दो या तीन थाने आ जाते हैं. जिससे वन विभाग की ओर से पकड़े जाने वाले आरोपियों को थाने में ही भेज दिया जाता है. इसलिए वन विभाग भी लॉकअप बनाने में रुचि नहीं दिखा रहा है. वन विभाग के सामने बड़ी समस्या बजट की आती है, जो बिल्डिंग बनी हुई है वह भी बहुत पुरानी है. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है कि यदि आप किसी आरोपी को कस्टडी में रखते हैं तो उसके लिए विभाग को सीसीटीवी कैमरे हवालात के अंदर और बाहर लगाना होगा. जिसके लिए बड़ा खर्चा करना पड़ेगा। ऐसे में वन विभाग आरोपियों को नजदीकी थाने में भेज देता है.

पढ़ें- फिर गूंजी जंगल में बाघिन की दहाड़, घायल बाघिन MT4 की इलाज के बाद टाइगर रिजर्व में वापसी

अपराधी को रात में कस्टडी में रखना मुश्किल

वन विभाग के अधिकारियों की मानें तो रणथंभोर, सरिस्का, मुकुंदरा में लॉकअप हैं. जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, बांसवाड़ा समेत अन्य स्थानों पर बैरक की कमी है. आरोपियों को पुलिस थानों में रखा जाता है. जिसकी वजह से ज्यादा दिक्कत नहीं आती है. वन विभाग किसी भी आरोपी को लकड़ी चोरी या अन्य मामलों में पकड़ता है, तो अगले दिन कोर्ट में पेश करना पड़ता है. रात के समय आरोपी को अपनी कस्टडी में रखना भी मुश्किल होता है. क्योंकि आरोपी के सुसाइड करने और फरार होने का डर रहता है. जिसकी वजह से पुलिस कस्टडी में आरोपी को भेज दिया जाता है.

वन मंडलों में बैरकों की भारी कमी,  जोधपुर कांकाणी क्षेत्र हिरण शिकार प्रकरण,  राजस्थान वन विभाग समस्याएं,  Rajasthan Forest Division Forest Barrack Case,  Rajasthan Forest and Wildlife Protection Act,  Lack of barracks in forest circles  Jodhpur Kankani Area Deer Hunting Case,
वन विभाग जूझ रहे हैं संसाधनों की कमी से

होती रही हैं कस्टडी से फरार होने की घटनाएं

करीब 2 साल पहले नाहरगढ़ रेंज की चौकी से तस्करी का आरोपी रात को फरार हो गया था. आरोपी को वापस पकड़ना वन विभाग के लिए मुश्किल हो गया था. इसी तरह करीब एक साल पहले कोलायत क्षेत्र में गिरफ्तार एक शिकारी वन विभाग की हिरासत से भाग गया था. आधी रात को लघु शंका के बहाने आरोपी बाहर निकला और कर्मचारी पर हमला करके फरार हो गया. ऐसे में वन विभाग को लॉकअप बनाने की आवश्यकता है. प्रदेश भर में करीब 300 से भी ज्यादा वन रेंज में वन्यजीवों की सुरक्षा और तस्करी को रोकने के लिए लॉकअप बनाने की जरूरत है.

जयपुर. प्रदेश के वन क्षेत्रों में शिकारियों की गतिविधियां तेज हो रही है. वन विभाग वन और वन्यजीवों की सुरक्षा व संरक्षण के लिए बड़े-बड़े दावे करता है. लेकिन वन अपराधों में लगातार इजाफा हो रहा है. वन अपराधों को रोकने के लिए वन विभाग के पास पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं. वन विभाग वन्यजीवों की सुरक्षा के दावे तो लाख करता है, लेकिन जमीन पर इसकी हकीकत कुछ और ही है. जंगल में बढ़ते अपराध को रोकने के लिए वन विभाग के पास पुख्ता इंतजाम नहीं हैं. अपराधियों को रखने के लिए वन विभाग के पास लॉकअप ही नहीं हैं. लॉकअप नहीं होने की वजह से अपराधी फरार हो जाते हैं. देखिये यह खास रिपोर्ट...

80 फीसदी वन मंडलों में बैरक तक नहीं हैं...

जब वन संरक्षक के कार्यालय को बना दिया बैरक

सलमान खान के हिरण के शिकार के मामले में भी काफी परेशानी हुई थी. सलमान खान को रखने के लिए वन संरक्षक के कार्यालय को ही अस्थाई जेल में तब्दील किया गया था. 7 दिन तक वन संरक्षक के ऑफिस में ही सलमान खान से पूछताछ की गई थी. कांकाणी क्षेत्र में हिरण के शिकार के मामले में वन विभाग के पास आरोपी अभिनेता सलमान खान को रखने के लिए लॉकअप की व्यवस्था नहीं थी. वन संरक्षक के कार्यालय को ही अस्थाई जेल में तब्दील कर सलमान खान से पूछताछ की गई थी. कार्यालय के अंदर वन विभाग के रेंजर और गार्ड तैनात रहे. कार्यालय के बाहर पुलिस बल तैनात किया गया था.

वन मंडलों में बैरकों की भारी कमी,  जोधपुर कांकाणी क्षेत्र हिरण शिकार प्रकरण,  राजस्थान वन विभाग समस्याएं,  Rajasthan Forest Division Forest Barrack Case,  Rajasthan Forest and Wildlife Protection Act,  Lack of barracks in forest circles  Jodhpur Kankani Area Deer Hunting Case,
वन्यजीव सुरक्षा के दावे कसौटी पर फेल

बैरकों के लिए बजट का अभाव

बजट के अभाव में बैरक नहीं बन पा रही हैं. वन विभाग के पास अपराधियों को रखने के लिए लॉकअप या बैरक नहीं हैं. जिसकी वजह से आरोपियों को पुलिस के पास भेजना पड़ता है. वन विभाग के अधिकारी भी मानते हैं कि आरोपियों को रखने के लिए लॉकअप होना जरूरी हैं. आए दिन वन्यजीवों के शिकार की घटनाएं सामने आ रही हैं. वन विभाग ने प्रदेश में बढ़ती शिकार की घटनाओं को देखते हुए रेड अलर्ट भी जारी किया है. रेड अलर्ट जारी होने के बाद भी जंगलो में शिकार की घटनाएं सामने आई हैं. वन विभाग अपराधों को रोकने के पुख्ता इंतजाम नहीं कर पाया.

पढ़ें- अलवर: सरिस्का में बाघ की साइटिंग से पर्यटकों की संख्या में हो रहा इजाफा

वन और वन्यजीव अपराधों में बढ़ोतरी

वन और वन्यजीवो से जुड़े अपराधों में बढ़ोतरी हो रही है. कई बार शिकारी पकड़े भी जाते हैं. लेकिन अपराधियों को रखने के लिए वन विभाग के पास लॉकअप की व्यवस्था भी नहीं है. प्रदेश के कई वन मंडलों में लॉकअप नहीं हैं. जयपुर में भी बैरक की व्यवस्था नहीं है. लॉकअप नहीं होने की वजह से आरोपियों को पुलिस सुरक्षा में रखना पड़ता है. वन विभाग के पास बैरक नहीं होने की वजह से कई बार अपराधी फरार भी हो जाते हैं.वन विभाग के पास बजट की कमी होने की वजह से लॉकअप नहीं बन पा रही है.

पुलिस सुरक्षा में भेजने की मजबूरी

वन अधिनस्थ संघ के प्रदेश संयोजक बनवारी लाल शर्मा के मुताबिक आरोपियों के खिलाफ वन विभाग की ओर से केस दर्ज किए जाते हैं. लेकिन आरोपियों को रखने के लिए हवालात की व्यवस्था नहीं होने की वजह से पुलिस सुरक्षा में भेजना पड़ता है. वन विभाग जब किसी अपराधी को पकड़ता है तो सबसे बड़ी परेशानी उसे रात में रखने में होती है. वन विभाग जिले में कहीं भी अपनी हवालात या बैरक बना ले तो अपराधियों को रखने में आसानी हो सकती है.

वन मंडलों में बैरकों की भारी कमी,  जोधपुर कांकाणी क्षेत्र हिरण शिकार प्रकरण,  राजस्थान वन विभाग समस्याएं,  Rajasthan Forest Division Forest Barrack Case,  Rajasthan Forest and Wildlife Protection Act,  Lack of barracks in forest circles  Jodhpur Kankani Area Deer Hunting Case,
बैरकों की कमी होने से अपराधियों को कस्टडी में नहीं रख पाते

पढ़ें- रणथंभौर में फिर भिड़ीं 'रिद्धि-सिद्धि', देखें वीडियो

80 फीसदी वन मंडलों में बैरक नहीं

वाइल्डलाइफ डिवीजन में सवाई माधोपुर, सरिस्का, मुकुंदरा में बैरक बने हुए हैं. लेकिन अधिकांश वन मंडलों में हवालात की व्यवस्था नहीं है. करीब 80 प्रतिशत वन मंडल ऐसे हैं जहां पर बैरक या हवालात की व्यवस्था नहीं हैं. कैंपा फंड से बहुत जगह पर बैरक या हवालात बनाए गए थे. लेकिन उन बैरकों का वास्तविक उपयोग नहीं हो पा रहा.

वन विभाग के पास स्टाफ की बहुत कमी है. ना ही अपराधियों को पकड़ने के लिए विभाग के पास संसाधन हैं. बैरक या हवालात नहीं होने की वजह से रात के समय अपराधियों को रखना मुश्किल होता है. ऐसे में मजबूरन कई बार आरोपियों को सेल्फ जमानत पर भी छोड़ना पड़ता है. ऐसे में कई आरोपी फरार हो जाते हैं, जिनको पकड़ना भी मुश्किल होता है.

वन मंडलों में बैरकों की भारी कमी,  जोधपुर कांकाणी क्षेत्र हिरण शिकार प्रकरण,  राजस्थान वन विभाग समस्याएं,  Rajasthan Forest Division Forest Barrack Case,  Rajasthan Forest and Wildlife Protection Act,  Lack of barracks in forest circles  Jodhpur Kankani Area Deer Hunting Case,
वन कार्यालयों के पास पूरा जाब्ता तक नहीं है...

पुलिस पर निर्भर वन विभाग

वन विभाग के अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक अरिजीत बनर्जी ने बताया कि वन क्षेत्रों में मोर, हिरण, पाटागोह, सियार, सेही समेत अन्य वन्यजीवों के शिकार के मामले सामने आते हैं. ऐसे में आरोपियों को पकड़ने के बाद पूछताछ के लिए कार्यालय में ही रखना पड़ता है. रात के समय पुलिस की सहायता लेनी पड़ती है. ऐसे में वन विभाग के पास लॉकअप होना जरूरी है. कई वन मंडलों में बैरक बनी हुई है, जिसका कोई उपयोग ही नहीं हो पा रहा है.

वन मंडलों में बैरकों की भारी कमी,  जोधपुर कांकाणी क्षेत्र हिरण शिकार प्रकरण,  राजस्थान वन विभाग समस्याएं,  Rajasthan Forest Division Forest Barrack Case,  Rajasthan Forest and Wildlife Protection Act,  Lack of barracks in forest circles  Jodhpur Kankani Area Deer Hunting Case,
वनों और वन्य जीवों पर मंडरा रहा खतरा

अधिकतर वन क्षेत्र में दो या तीन थाने आ जाते हैं. जिससे वन विभाग की ओर से पकड़े जाने वाले आरोपियों को थाने में ही भेज दिया जाता है. इसलिए वन विभाग भी लॉकअप बनाने में रुचि नहीं दिखा रहा है. वन विभाग के सामने बड़ी समस्या बजट की आती है, जो बिल्डिंग बनी हुई है वह भी बहुत पुरानी है. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है कि यदि आप किसी आरोपी को कस्टडी में रखते हैं तो उसके लिए विभाग को सीसीटीवी कैमरे हवालात के अंदर और बाहर लगाना होगा. जिसके लिए बड़ा खर्चा करना पड़ेगा। ऐसे में वन विभाग आरोपियों को नजदीकी थाने में भेज देता है.

पढ़ें- फिर गूंजी जंगल में बाघिन की दहाड़, घायल बाघिन MT4 की इलाज के बाद टाइगर रिजर्व में वापसी

अपराधी को रात में कस्टडी में रखना मुश्किल

वन विभाग के अधिकारियों की मानें तो रणथंभोर, सरिस्का, मुकुंदरा में लॉकअप हैं. जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, बांसवाड़ा समेत अन्य स्थानों पर बैरक की कमी है. आरोपियों को पुलिस थानों में रखा जाता है. जिसकी वजह से ज्यादा दिक्कत नहीं आती है. वन विभाग किसी भी आरोपी को लकड़ी चोरी या अन्य मामलों में पकड़ता है, तो अगले दिन कोर्ट में पेश करना पड़ता है. रात के समय आरोपी को अपनी कस्टडी में रखना भी मुश्किल होता है. क्योंकि आरोपी के सुसाइड करने और फरार होने का डर रहता है. जिसकी वजह से पुलिस कस्टडी में आरोपी को भेज दिया जाता है.

वन मंडलों में बैरकों की भारी कमी,  जोधपुर कांकाणी क्षेत्र हिरण शिकार प्रकरण,  राजस्थान वन विभाग समस्याएं,  Rajasthan Forest Division Forest Barrack Case,  Rajasthan Forest and Wildlife Protection Act,  Lack of barracks in forest circles  Jodhpur Kankani Area Deer Hunting Case,
वन विभाग जूझ रहे हैं संसाधनों की कमी से

होती रही हैं कस्टडी से फरार होने की घटनाएं

करीब 2 साल पहले नाहरगढ़ रेंज की चौकी से तस्करी का आरोपी रात को फरार हो गया था. आरोपी को वापस पकड़ना वन विभाग के लिए मुश्किल हो गया था. इसी तरह करीब एक साल पहले कोलायत क्षेत्र में गिरफ्तार एक शिकारी वन विभाग की हिरासत से भाग गया था. आधी रात को लघु शंका के बहाने आरोपी बाहर निकला और कर्मचारी पर हमला करके फरार हो गया. ऐसे में वन विभाग को लॉकअप बनाने की आवश्यकता है. प्रदेश भर में करीब 300 से भी ज्यादा वन रेंज में वन्यजीवों की सुरक्षा और तस्करी को रोकने के लिए लॉकअप बनाने की जरूरत है.

Last Updated : Jan 13, 2021, 5:21 PM IST
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