जयपुर. प्रदेश में अक्षय ऊर्जा जिसमें खास तौर पर सौर ऊर्जा की असीम संभावना (Renewable energy in Rajasthan) है, लेकिन बिजली की डिमांड के अनुरूप अक्षय ऊर्जा के उपयोग से जुड़े नियमों पर राजस्थान अमल नहीं कर रहा. नियम है बिजली की कुल डिमांड के साढ़े 19 प्रतिशत अक्षय ऊर्जा के उपयोग का. लेकिन राजस्थान में अभी 17 प्रतिशत अक्षय ऊर्जा की ही खरीद हो रही है. यही कारण है कि अब प्रदेश में अक्षय ऊर्जा की खरीद पर ज्यादा फोकस किया जा रहा है.
थर्मल से उत्पादित बिजली की तुलना में अक्षय ऊर्जा बेहद सस्ती और किफायती होती है. लेकिन राजस्थान में इसका उत्पादन सरकारी क्षेत्र से ज्यादा निजी क्षेत्र से जुड़ी कंपनियां कर रही हैं. यही कंपनियां राजस्थान में उत्पादित अक्षय ऊर्जा को प्रदेश के बाहर बेच रही है. देश भर में इन दिनों कोयले का संकट चल रहा है, ऐसे में राजस्थान सहित अन्य प्रदेशों की निगाह अक्षय ऊर्जा की खरीद पर है.
हाल ही में राजस्थान ऊर्जा विकास निगम, सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के जरिए 1200 मेगावाट बिजली की खरीद करने जा रहा है. यह पवन ऊर्जा कर्नाटक और तमिलनाडु से 2 रुपये 78 पैसे प्रति यूनिट के हिसाब से खरीदी जाएगी. ऊर्जा विकास निगम ने इसके लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है. माना जा रहा है कि प्रक्रिया पूरी होने के 6 माह बाद ही बिजली मिल पाएगी.
राजस्थान में अक्टूबर के बाद खड़ा होगा बिजली का संकट: प्रदेश में कोयले के संकट के (Coal crisis in Rajasthan) चलते बिजली का उत्पादन अधिकतर इकाइयों में बंद पड़ा है, लेकिन इसका असर राजस्थान में नहीं दिख रहा. इसके पीछे सबसे बड़ा कारण मौसम में आए बदलाव को माना जा सकता है. मानसून के आने के बाद तापमान में कमी आई है, जिसके चलते बिजली की डिमांड भी कम हो गई. ऐसे में कोयले की कमी और कम उत्पादन के बावजूद बिजली की सप्लाई सुचारू रूप से चल रही है.
हालांकि अक्टूबर के बाद स्थिति में बदलाव होगा, क्योंकि तब बरसात का सीजन भी खत्म और रबी का सीजन शुरू होगा. ऐसे में खेती के लिए बिजली की डिमांड ज्यादा रहेगी. तब प्रदेश में यदि पर्याप्त कोयला नहीं मिला तो बिजली का संकट खड़ा होना तय है. यही कारण है कि राजस्थान ऊर्जा विकास निगम अभी से संभावित बिजली संकट के समाधान में जुट गया है और अक्षय ऊर्जा के विभिन्न माध्यमों के जरिए सस्ती बिजली की खरीद आगामी माह के लिए की जा रही है.