जयपुर. राजस्थान कांग्रेस पार्टी में राजनीतिक विरासत पुत्र पुत्रियों या परिजनों को सौंपने का सिलसिला नया नहीं है (Parivarvad In Rajasthan Congress). पहले भी कई राजनीतिक परिवारों ने अपनी विरासत सहजता से अगली पीढ़ी को सौंपी है. राजेश पायलट ,महेंद्र कुमारी ,परसराम मदेरणा , नाथूराम मिर्धा , शीशराम ओला, रामनारायण चौधरी, जैसे कई उदाहरण राजस्थान कांग्रेस में मौजूद हैं.
राजनीतिक विरासत उनके बेटे बेटियां न केवल आगे बढ़ा रहे हैं बल्कि सफल भी साबित हो रहे हैं. अब साल 2023 में विधानसभा चुनाव में एक बार फिर ऐसे कई नेता कतार में आ खड़े हुए हैं ,जो अपनी राजनीतिक विरासत अगली पीढ़ी को सौंपने जा रहे हैं. हालांकि अभी भी ये सभी नेता मंत्री या विधायक हैं और आगे भी चुनाव लड़ने में सक्षम हैं. अगर उम्र या एक परिवार, एक टिकट का नियम बाधा बना तो ये सभी वर्तमान मंत्री और विधायक अपनी थाती अगली पीढ़ी को सौंप देंगे. खास बात ये है कि इन नेताओं की अगली पीढ़ी यानी Gen Y सक्रियता से 'विरासत में मिले चुनावी क्षेत्र' में हाजिरी देते रहे हैं.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपवाद: वैसे तो कांग्रेस पार्टी में इस बार यह फार्मूला बन चुका है कि एक परिवार से एक ही टिकट दिया जाएगा, लेकिन इसमें अपवाद स्वरूप उन नेताओं को अलग रखा जाएगा जिनके परिजन लंबे समय से राजनीति में सक्रिय हैं. इस दशा में स्पष्ट है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इस बार भी चुनावी मैदान में होंगे, तो वैभव गहलोत जो जोधपुर सांसद का चुनाव लड़ चुके हैं और लंबे समय से कांग्रेस पार्टी में सक्रिय हैं उन्हें भी टिकट दिया जा सकता है (Political Dynasties in Rajasthan).
मंत्री जिनके पुत्र या पुत्रवधू कतार में
शांति धारीवाल: राजस्थान में कद्दावर कांग्रेस नेता कई बार मंत्री रह चुके मंत्री शांति धारीवाल अपनी उम्र के चलते इस बार चुनाव लड़ेंगे या नहीं यह तय नहीं है. अगर शांति धारीवाल चुनाव नहीं लड़ते हैं ,तो उनके बेटे अमित धारीवाल या उनकी पुत्रवधू एकता धारीवाल टिकट की प्रबल दावेदार है.
परसादी लाल मीणा: कांग्रेस के वरिष्ठ मंत्रियों में से स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा के बेटे कमल मीणा अपने पिता की जगह लालसोट से चुनाव लड़ना चाहते हैं और हो सकता है उन्हें टिकट मिल भी जाए.
सुखराम विश्नोई: मंत्री सुखराम विश्नोई के बेटे डॉक्टर भूपेंद्र विश्नोई चुनाव लड़ने की तैयारी में जुट गए हैं. उम्मीद पूरी है कि सुखराम विश्नोई उम्र के चलते अगली बार अपने बेटे पर ही दांव खेल सकते हैं.
महेश जोशी: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रदेश के जलदाय मंत्री महेश जोशी भी अपने बेटे रोहित जोशी के लिए टिकट चाहते थे लेकिन वर्तमान परिस्थितियों के चलते महेश जोशी अपनी पुत्रवधू को भी चुनावी मैदान में उतार सकते हैं.
विश्वेन्द्र सिंह: कांग्रेस के वरिष्ठ मंत्री विश्वेंद्र सिंह के बेटे से अभी भले ही उनका विवाद चल रहा हो, लेकिन विश्वेंद्र सिंह के बेटे अनिरुद्ध सिंह चुनाव लड़ने का मन पूरी तरह बना चुके हैं.
माननीय जो बेटों/बेटी पर खेल लगा सकते है दांव
पूर्व स्पीकर दीपेंद्र सिंह शेखावत: राजस्थान के पूर्व स्पीकर रहे दीपेंद्र सिंह शेखावत के बेटे बालेंद्र सिंह भी अब राजनीति में हाथ आजमाना चाहते हैं. ऐसे में इस बार दीपेंद्र सिंह शेखावत अपनी जगह बालेंद्र सिंह शेखावत को टिकट दिलवा सकते हैं.
बाबूलाल बैरवा: कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक बाबूलाल बैरवा अभी अस्वस्थ हैं. उम्रदराज हैं. संभावना पूरी है कि वो बेटे अवधेश बैरवा के लिए टिकट मांग सकते हैं.
रुपाराम मेघवाल: कांग्रेस विधायक रूपाराम मेघवाल अस्वस्थ हैं. उम्मीद पूरी है कि वो अपनी बेटी जैसलमेर की पूर्व जिला प्रमुख अंजना मेघवाल के लिए टिकट मांग सकते हैं.
जोहरी लाल मीणा: कांग्रेस विधायक जोहरी लाल मीणा की उम्र भी अब ज्यादा हो चुकी हैं. कहा जा रहा है कि इस बार वो अपने बेटे उम्मीदी लाल के लिए टिकट मांग सकते हैं.
परसराम मोरदिया: कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक परसराम मोरदिया की आयु ज्यादा हो चुकी है. सेहत भी उनका साथ नहीं दे रही. उम्मीद पूरी है कि वो अपने बेटे राकेश मोरदिया या महेश के लिए टिकट मांग सकते हैं. राकेश पहले सचिव रह चुके हैं.
भंवर लाल शर्मा: कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक भंवरलाल शर्मा की आयु बहुत ज्यादा हो चुकी है और वह अस्वस्थ भी हैं ऐसे में वह इस बार अपने बेटे अनिल शर्मा के लिए टिकट की डिमांड करेंगे.अनिल शर्मा अभी ईडब्ल्यूएस बोर्ड के अध्यक्ष हैं.
नरेंद्र बुडानिया: कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक नरेंद्र बुडानिया इस बार अपने बेटे अमित बुडानिया को राजनीति में टिकट दिला कर आगे करने का मन बना चुके हैं.
रघु शर्मा: पूर्व मंत्री और गुजरात के प्रभारी रघु शर्मा वैसे तो अबकी बार खुद ही चुनाव लड़ेंगे लेकिन यह भी कहा जा रहा है कि वह खुद सांसद का चुनाव लड़ सकते हैं और विधायकी के लिए बेटे सागर शर्मा का नाम आगे कर सकते हैं.
गायत्री त्रिवेदी: उपचुनाव में सहाड़ा विधानसभा से दिवंगत विधायक कैलाश त्रिवेदी की जगह उनकी पत्नी गायत्री त्रिवेदी को इसलिए टिकट दिया गया क्योंकि कैलाश त्रिवेदी के भाई और कैलाश त्रिवेदी के बेटे में टिकट को लेकर तकरार थी. सूत्रों की मानें तो इस बार गायत्री त्रिवेदी अपने बेटे राजेंद्र त्रिवेदी के लिए टिकट मांग सकती हैं.
ये पूर्व मंत्री भी कतार में : पूर्व मंत्री ब्रजकिशोर शर्मा का कांग्रेस ने पिछली बार टिकट काट दिया था, लेकिन बृज किशोर शर्मा ने कोई शोरगुल नहीं मचाया. पार्टी से बगावत नहीं की. उनकी चुप्पी का इनाम कांग्रेस सरकार ने बखूबी दिया. उन्हें खादी बोर्ड का चेयरमैन बना कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है. कहा जा रहा है कि बढ़ती उम्र उनके आड़े आ रही है उम्मीद पूरी है कि शर्मा बेटे आशुतोष या अभिषेक शर्मा में से किसी एक के लिए टिकट मांग सकते हैं.