जयपुर. सरकार ने राज्य बजट में घरेलू बिजली उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए निश्चित उपभोग तक 2 से 3 प्रति यूनिट तक की सब्सिडी देने का ऐलान किया है, जिससे आम उपभोक्ता तो खुश है. लेकिन बिजली कंपनियों की हालत इससे और खस्ताहाल होने की संभावना है. सब्सिडी के एवज में पहले ही हजारों करोड़ रुपए का बकाया (Rajasthan discom facing financial crisis) सरकार पर चल रहा है, जिसका भुगतान समय पर ना होने से डिस्कॉम को बार-बार ऋण लेना पड़ता है.
दरअसल, इस बार राज्य बजट में 100 यूनिट तक प्रतिमाह बिजली का उपभोग करने वाले उपभोक्ताओं को 50 यूनिट फ्री, डेढ़ सौ यूनिट प्रति वहां उपयोग करने वालों को 3 रुपए प्रति यूनिट की सब्सिडी और डेढ़ सौ से तीन सौ यूनिट प्रतिमाह उपभोग करने वाले उपभोक्ताओं को 2 रुपये प्रति यूनिट की सब्सिडी दिए जाने का ऐलान किया गया है.
सरकार पर इस बजट घोषणा से करीब 4500 करोड़ रुपए का आर्थिक भार आएगा, लेकिन यह भार डिस्कॉम पर भी पड़ेगा. क्योंकि बजट घोषणा के बाद डिस्कॉम कि ओर से बिजली उपभोक्ताओं को यह छूट दी जाएगी, लेकिन इसका पुनर्भरण के रूप में सरकार से मिलने वाली राशि समय पर नहीं मिलेगी जैसा कि अब तक होता आया है.
करीब 15 हजार करोड़ का अनुदान सरकार पर बकाया : राजस्थान सरकार बिजली कंपनियों को हजारों करोड़ का अनुदान सालाना देती हा, लेकिन इतना ही अनुदान बकाया भी रहता है. खास तौर पर किसानों को डिस्कॉम 90 पैसे प्रति यूनिट किधर पर बिजली देता है लेकिन बची हुई राशि अनुदान के रूप में सरकार डिस्कॉम को मुहैया कराती है.
वहीं बीपीएल सहित अन्य वर्गों के लिए जो रियायत सरकार ने घोषित की है उसका पैसा भी अनुदान के रूप में ही पुनर्भरण किया जाता है. लेकिन पिछले कई समय से करीब 13 से 15 हजार करोड़ रुपए का सब्सिडी का भुगतान डिस्कॉम को किया जाना बाकी है. समय के साथ ही अनुदान बढ़ता जा रहा है हालांकि बीच-बीच में सरकार कुछ राशि डिस्कॉम को रिलीज जरूर करती है लेकिन अभी करोड़ों रुपए बकाया चल रहे हैं.
राजस्थान में जयपुर, अजमेर और जोधपुर तीनों डिस्कॉम इस समय घाटे में हैं और घाटे से उबर पाने में अब तक के सभी प्रयास विफल साबित हुए हैं. इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है सरकार की कार्यशैली भी है. सरकार जनता को राहत देने के लिए घोषणा तो कर देती है लेकिन अनुदान राशि का समय पर भुगतान डिस्कॉम को नहीं हो पाता क्योंकि डिस्कॉम को आम उपभोक्ताओं को घोषित की गई छूट देना है.
लिहाजा डिस्कॉम लगातार बैंकों से ऋण लेती है. जिसका ब्याज भी काफी भारी भरकम होता है. मतलब ऋणग्रसित से डिस्कॉम उबर ही नहीं पाता. सूत्र बताते हैं कि अब भी सालाना डिस्कॉम को 12 से 13 सौ करोड़ रुपए तो बैंकों को ब्याज के रूप में ही चुकाना पड़ रहे हैं.
बजट घोषणा में सरकार ने एमेनेस्टी योजना के जरिए विद्युत निगमों में विद्युत सतर्कता जांच प्रतिवेदन यानी वीसीआर के निस्तारण की योजना बनाई है. इसमें बकाया मांगो पर ब्याज पेनल्टी में छूट तो दी ही जाएगी साथ ही जो मूल राशि है उसमें भी रियायत का प्रावधान किया जा रहा है. जिसका सीधा भार डिस्कॉम पर ही आना है. आपको बता दें प्रदेश में करीब 95 हजार मामले बिजली चोरी के लंबित चल रहे हैं जिन पर 175 करोड़ रुपए से ज्यादा बकाया है. यह स्थिति जयपुर, अजमेर और जोधपुर तीनों डिस्कॉम की है लेकिन इसमें 85 करोड़ अकेले जयपुर डिस्कॉम के बकाया हैं.
तीनों डिस्कॉम में ये है छीजत/बिजली चोरी का आंकड़ा
- जयपुर डिस्कॉम में करीब 22% ट्रांसमिशन व डिस्ट्रीब्यूशन लॉस है.
- जोधपुर डिस्कॉम में 23% ट्रांसमिशन व डिसटीब्यूशन लॉस है.
- अजमेर डिस्कॉम में 12.16 प्रतिशत ट्रांसमिशन डिस्ट्रीब्यूशन लॉस है.