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गहलोत-पायलट कैंप के बीच खींचतान में उलझे गोविंद डोटासरा का बतौर अध्यक्ष 1 साल पूरा, इन चुनौतियों का नहीं मिला तोड़... - Rajasthan Congress President

राजस्थान कांग्रेस (Rajasthan Congress) के लिए 14 जुलाई का दिन काफी अहम है. 14 जुलाई को सबसे लंबे समय तक कांग्रेस अध्यक्ष रहे सचिन पायलट (Sachin Pilot) को अध्यक्ष पद से बर्खास्त किया गया. वहीं सचिन पायलट को हटाकर गोविंद डोटासरा को राजस्थान कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया.

Rajasthan Congress, गोविंद डोटासरा, Govind Dotasara
डोटासरा के कार्यकाल का एक साल पूरा, चुनौतियां बरकरार
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Published : Jul 14, 2021, 6:02 AM IST

जयपुर: 14 जुलाई 2020 को गोविंद डोटासरा को प्रदेश कांग्रेस का 29वां अध्यक्ष बनाया गया. हालांकि उनके नाम का अनाउंसमेंट तो 14 जुलाई को कर दिया गया था लेकिन आदेश 15 जुलाई को जारी हुए. 29 जुलाई को डोटासरा ने कार्यभार संभाला था.

गोविंद सिंह डोटासरा को विपरीत परिस्थितियों में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष का पद मिला. एक साल बाद भी उनकी चुनौतियां बरकरार हैं. जिस समय उन्हें जिम्मेदारी मिली, उस समय पार्टी के अध्यक्ष सचिन पायलट पर अपनी ही पार्टी की सरकार गिराने के षडयंत्र करने के आरोप लगे. इन्हीं आरोपों के चलते गोविंद डोटासरा को सचिन पायलट की कुर्सी संभालनी पड़ी.

डोटासरा के कार्यकाल का एक साल पूरा, चुनौतियां बरकरार

पढ़ें: डोटासरा की टीम के 25 सदस्य अबतक PCC या AICC सदस्य नहीं, राष्ट्रीय कांग्रेस के चुनाव हुए तो नहीं कर सकेंगे वोटिंग

जब गोविंद डोटासरा को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया, उस समय कांग्रेस विधायकों की बगावत के कारण राजस्थान कांग्रेस की गहलोत सरकार भी संकट में आई हुई थी. डोटासरा के अध्यक्ष बनने के साथ ही राजस्थान कांग्रेस की कार्यकारिणी समेत सभी जिला कांग्रेस और ब्लॉक कांग्रेस कमेटियों को भंग कर दिया गया. इसका मतलब साफ था कि डोटासरा को अकेले ही राजस्थान कांग्रेस की बागडोर ऐसी विपरीत परिस्थितियों में संभालनी थी, जब उनके साथ काम करने के लिए एक भी पदाधिकारी नहीं था.

गोविंद डोटासरा जब अध्यक्ष बने तो उनके सामने कांग्रेस पार्टी को फिर से खड़ा करने की चुनौती थी, लेकिन रास्ता आसान नहीं था. यही कारण था कि गोविंद डोटासरा को अपनी प्रदेश कार्यकारिणी बनाने में ही 6 महीने का समय लगा. किसी तरीके से 6 जनवरी को प्रदेश अध्यक्ष गोविंद डोटासरा को उनकी प्रदेश कार्यकारिणी तो मिल गई लेकिन आज तक इस बात का इंतजार हो रहा है कि इस कांग्रेस कार्यकारिणी का विस्तार, जिला अध्यक्ष और उनकी कार्यकारिणी ,ब्लॉक अध्यक्ष और उनकी कार्यकारिणी कब बनती है.

पढ़ें: राजनीतिक संकट और 'जुलाई' : क्या पायलट कैंप की मांग होगी पूरी...गहलोत ने तोड़ा सियासी क्वॉरेंटाइन, अब क्या होगा ?

जिस तरीके से अभी गहलोत गुट और पायलट गुट के बीच पदों को लेकर खींचतान चल रही है, अब भी डोटासरा को उनकी पूरी टीम मिल जाए यह आसान नहीं होगा. राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट के बीच चल रहा शीत युद्ध हर कांग्रेसी की नजर में है. इसी बीच लगातार दोनों कैंपों के समर्थक विधायकों की ओर से हो रही बयानबाजी राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के लिए एक मुसीबत बनी हुई है. इस बयानबाजी को रोकना और पार्टी को एक रखना गोविंद डोटासरा के लिए सबसे बड़ी चुनौती है.

डोटासरा के नेतृत्व में निकाय और उपचुनाव में पार्टी को बड़ी सफलता मिली. निगम में मिली-जुली और पंचायत चुनाव में हार से डोटासरा के नेतृत्व पर सवाल भी उठे. कहा जाता है कि किसी नेता के प्रदर्शन और उसके नेतृत्व क्षमता को देखना हो तो उस नेता के कार्यकाल में हुए चुनाव के नतीजों से अंदाजा लगाया जा सकता है. राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद डोटासरा के कार्यकाल में राजस्थान में अब तक जो चुनाव हुए हैं, उनमें से कांग्रेस पार्टी ने पहली बार राजस्थान में भाजपा पर निकाय चुनाव में बढ़त बनाई.

इन्हीं गोविंद डोटासरा के कार्यकाल में पंचायत चुनाव में कांग्रेस फिसड्डी रह गई. जिसमें हमेशा कांग्रेस राजस्थान में बाजी मारती रही है. जबकि निकाय के जिन चुनाव में भाजपा को आगे माना जाता है, उसमें डोटासरा के नेतृत्व में कांग्रेस ने बाजी मारी.

पढ़ें: कांग्रेस में वर्चस्व की लड़ाई, 11 महीने बाद भी जिलाध्यक्षों की नियुक्ति नहीं...जानें किस जिले में किस नेता का विवाद

हालांकि निगम के चुनाव कांग्रेस पार्टी के लिए मिले-जुले साबित हुए लेकिन उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी 3 में से 2 सीटों को बरकरार रखते हुए भाजपा पर बढ़त बनाने में कामयाब हुई. ऐसे में कहा जा सकता है कि डोटासरा के समय हुए चुनाव में पंचायत चुनाव को छोड़ दिया जाए तो डोटासरा का प्रदर्शन अच्छा ही माना जाएगा.

राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा केवल 15 साल में ही प्रदेश की राजनीति के शीर्ष पद पर पहुंच गए. 1 अक्टूबर 1964 को लक्ष्मणगढ़ के कृपा राम की ढाणी में जन्में गोविंद सिंह डोटासरा ने राजस्थान यूनिवर्सिटी से बीकॉम, बीएड और एलएलबी की शिक्षा ग्रहण की. शिक्षा पूरी करने के बाद गोविंद सिंह डोटासरा ने सीकर कोर्ट में ही वकालत शुरू की और करीब 20 साल तक उन्हें सीकर में बेहतरीन वकीलों में से एक माना जाता था.

पढ़ें: Special: राजस्थान में सत्ता की चाबी हाथ में होने के बाद भी कांग्रेसियों को क्यों हो रहा विपक्ष में होने का अहसास?

साल 2005 में गोविंद डोटासरा ने पंचायत का इलेक्शन लड़ा और लक्ष्मणगढ़ के प्रधान बने. इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा और साल 2008 में कांग्रेस पार्टी के टिकट पर पहला चुनाव महज 34 वोटों से जीते. साल 2013 में कांग्रेस के टिकट पर सुभाष महरिया जैसे कद्दावर नेता को भाजपा की लहर में हराया.

कांग्रेस पार्टी जब विपक्ष में थी तो डोटासरा को कांग्रेस पार्टी का सचेतक बनाया गया. उन्होंने 5 साल तक एक बेहतरीन विपक्षी नेता की भूमिका निभाते हुए तत्कालीन वसुंधरा सरकार को सदन में घेरने का काम किया. एक अविवादित चेहरा होने के चलते जब साल 2018 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने तीसरी बार जीत दर्ज की तो शिक्षा मंत्री जैसे महत्वपूर्ण महकमे की जिम्मेदारी दी गई. लेकिन 14 जुलाई 2020 को जब सचिन पायलट को हटाकर डोटासरा को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद की कमान सौंपी गई तो यह साबित हुआ कि कांग्रेस पार्टी में एक कार्यकर्ता 15 साल में प्रधान से लेकर प्रदेश अध्यक्ष पद पर पहुंच सकता है.

प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के 1 साल पूरे होने पर कांग्रेस संगठन के आगामी कार्यक्रम 14 जुलाई को घोषित किए जाएंगे. इसके तहत प्रदेश में पहले संभाग स्तर पर प्रशिक्षण कार्यक्रम होंगे. इसके बाद प्रदेश कांग्रेस सदस्यों को ट्रेनिंग दी जाएगी. फिर कांग्रेस पार्टी के सभी बीएलए को प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिसमें कांग्रेस पार्टी कि सरकार की योजनाओं को लेकर भी जानकारी दी जाएगी.

जयपुर: 14 जुलाई 2020 को गोविंद डोटासरा को प्रदेश कांग्रेस का 29वां अध्यक्ष बनाया गया. हालांकि उनके नाम का अनाउंसमेंट तो 14 जुलाई को कर दिया गया था लेकिन आदेश 15 जुलाई को जारी हुए. 29 जुलाई को डोटासरा ने कार्यभार संभाला था.

गोविंद सिंह डोटासरा को विपरीत परिस्थितियों में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष का पद मिला. एक साल बाद भी उनकी चुनौतियां बरकरार हैं. जिस समय उन्हें जिम्मेदारी मिली, उस समय पार्टी के अध्यक्ष सचिन पायलट पर अपनी ही पार्टी की सरकार गिराने के षडयंत्र करने के आरोप लगे. इन्हीं आरोपों के चलते गोविंद डोटासरा को सचिन पायलट की कुर्सी संभालनी पड़ी.

डोटासरा के कार्यकाल का एक साल पूरा, चुनौतियां बरकरार

पढ़ें: डोटासरा की टीम के 25 सदस्य अबतक PCC या AICC सदस्य नहीं, राष्ट्रीय कांग्रेस के चुनाव हुए तो नहीं कर सकेंगे वोटिंग

जब गोविंद डोटासरा को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया, उस समय कांग्रेस विधायकों की बगावत के कारण राजस्थान कांग्रेस की गहलोत सरकार भी संकट में आई हुई थी. डोटासरा के अध्यक्ष बनने के साथ ही राजस्थान कांग्रेस की कार्यकारिणी समेत सभी जिला कांग्रेस और ब्लॉक कांग्रेस कमेटियों को भंग कर दिया गया. इसका मतलब साफ था कि डोटासरा को अकेले ही राजस्थान कांग्रेस की बागडोर ऐसी विपरीत परिस्थितियों में संभालनी थी, जब उनके साथ काम करने के लिए एक भी पदाधिकारी नहीं था.

गोविंद डोटासरा जब अध्यक्ष बने तो उनके सामने कांग्रेस पार्टी को फिर से खड़ा करने की चुनौती थी, लेकिन रास्ता आसान नहीं था. यही कारण था कि गोविंद डोटासरा को अपनी प्रदेश कार्यकारिणी बनाने में ही 6 महीने का समय लगा. किसी तरीके से 6 जनवरी को प्रदेश अध्यक्ष गोविंद डोटासरा को उनकी प्रदेश कार्यकारिणी तो मिल गई लेकिन आज तक इस बात का इंतजार हो रहा है कि इस कांग्रेस कार्यकारिणी का विस्तार, जिला अध्यक्ष और उनकी कार्यकारिणी ,ब्लॉक अध्यक्ष और उनकी कार्यकारिणी कब बनती है.

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जिस तरीके से अभी गहलोत गुट और पायलट गुट के बीच पदों को लेकर खींचतान चल रही है, अब भी डोटासरा को उनकी पूरी टीम मिल जाए यह आसान नहीं होगा. राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट के बीच चल रहा शीत युद्ध हर कांग्रेसी की नजर में है. इसी बीच लगातार दोनों कैंपों के समर्थक विधायकों की ओर से हो रही बयानबाजी राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के लिए एक मुसीबत बनी हुई है. इस बयानबाजी को रोकना और पार्टी को एक रखना गोविंद डोटासरा के लिए सबसे बड़ी चुनौती है.

डोटासरा के नेतृत्व में निकाय और उपचुनाव में पार्टी को बड़ी सफलता मिली. निगम में मिली-जुली और पंचायत चुनाव में हार से डोटासरा के नेतृत्व पर सवाल भी उठे. कहा जाता है कि किसी नेता के प्रदर्शन और उसके नेतृत्व क्षमता को देखना हो तो उस नेता के कार्यकाल में हुए चुनाव के नतीजों से अंदाजा लगाया जा सकता है. राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद डोटासरा के कार्यकाल में राजस्थान में अब तक जो चुनाव हुए हैं, उनमें से कांग्रेस पार्टी ने पहली बार राजस्थान में भाजपा पर निकाय चुनाव में बढ़त बनाई.

इन्हीं गोविंद डोटासरा के कार्यकाल में पंचायत चुनाव में कांग्रेस फिसड्डी रह गई. जिसमें हमेशा कांग्रेस राजस्थान में बाजी मारती रही है. जबकि निकाय के जिन चुनाव में भाजपा को आगे माना जाता है, उसमें डोटासरा के नेतृत्व में कांग्रेस ने बाजी मारी.

पढ़ें: कांग्रेस में वर्चस्व की लड़ाई, 11 महीने बाद भी जिलाध्यक्षों की नियुक्ति नहीं...जानें किस जिले में किस नेता का विवाद

हालांकि निगम के चुनाव कांग्रेस पार्टी के लिए मिले-जुले साबित हुए लेकिन उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी 3 में से 2 सीटों को बरकरार रखते हुए भाजपा पर बढ़त बनाने में कामयाब हुई. ऐसे में कहा जा सकता है कि डोटासरा के समय हुए चुनाव में पंचायत चुनाव को छोड़ दिया जाए तो डोटासरा का प्रदर्शन अच्छा ही माना जाएगा.

राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा केवल 15 साल में ही प्रदेश की राजनीति के शीर्ष पद पर पहुंच गए. 1 अक्टूबर 1964 को लक्ष्मणगढ़ के कृपा राम की ढाणी में जन्में गोविंद सिंह डोटासरा ने राजस्थान यूनिवर्सिटी से बीकॉम, बीएड और एलएलबी की शिक्षा ग्रहण की. शिक्षा पूरी करने के बाद गोविंद सिंह डोटासरा ने सीकर कोर्ट में ही वकालत शुरू की और करीब 20 साल तक उन्हें सीकर में बेहतरीन वकीलों में से एक माना जाता था.

पढ़ें: Special: राजस्थान में सत्ता की चाबी हाथ में होने के बाद भी कांग्रेसियों को क्यों हो रहा विपक्ष में होने का अहसास?

साल 2005 में गोविंद डोटासरा ने पंचायत का इलेक्शन लड़ा और लक्ष्मणगढ़ के प्रधान बने. इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा और साल 2008 में कांग्रेस पार्टी के टिकट पर पहला चुनाव महज 34 वोटों से जीते. साल 2013 में कांग्रेस के टिकट पर सुभाष महरिया जैसे कद्दावर नेता को भाजपा की लहर में हराया.

कांग्रेस पार्टी जब विपक्ष में थी तो डोटासरा को कांग्रेस पार्टी का सचेतक बनाया गया. उन्होंने 5 साल तक एक बेहतरीन विपक्षी नेता की भूमिका निभाते हुए तत्कालीन वसुंधरा सरकार को सदन में घेरने का काम किया. एक अविवादित चेहरा होने के चलते जब साल 2018 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने तीसरी बार जीत दर्ज की तो शिक्षा मंत्री जैसे महत्वपूर्ण महकमे की जिम्मेदारी दी गई. लेकिन 14 जुलाई 2020 को जब सचिन पायलट को हटाकर डोटासरा को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद की कमान सौंपी गई तो यह साबित हुआ कि कांग्रेस पार्टी में एक कार्यकर्ता 15 साल में प्रधान से लेकर प्रदेश अध्यक्ष पद पर पहुंच सकता है.

प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के 1 साल पूरे होने पर कांग्रेस संगठन के आगामी कार्यक्रम 14 जुलाई को घोषित किए जाएंगे. इसके तहत प्रदेश में पहले संभाग स्तर पर प्रशिक्षण कार्यक्रम होंगे. इसके बाद प्रदेश कांग्रेस सदस्यों को ट्रेनिंग दी जाएगी. फिर कांग्रेस पार्टी के सभी बीएलए को प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिसमें कांग्रेस पार्टी कि सरकार की योजनाओं को लेकर भी जानकारी दी जाएगी.

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