जयपुर. राज्यसभा चुनाव के संपन्न होने के बाद प्रदेश में अब राजनीतिक नियुक्तियों की सुगबुगाहट शुरू हो गई है, साथ ही प्रदेश कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता भी सक्रिय हो गए हैं. माना जा रहा है कि राजनीतिक नियुक्तियों का पिटारा भी जुलाई महीने में खुल सकता है. ऐसे में अब इन चर्चाओं के बाद नियुक्तियों की उम्मीद लगाए नेताओं ने दिल्ली की दौड़ लगानी शुरू कर दी है.
राजनीतिक नियुक्ति की हलचल तेज होने के बाद कई नेताओं ने दिल्ली में आलाकमान से संपर्क साधना शुरू कर दिया है, तो वहीं कई नेता ऐसे भी हैं जो पिछले 5 साल के कामकाज का लेखा-जोखा लेकर दिल्ली पहुंच गए हैं. साथ ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात कर विपक्ष में रहते हुए 5 साल काम करने और लोकसभा, विधानसभा व पंचायत चुनाव में पार्टी के लिए जी-जान लगाने के दावे कर खुद को राजनीतिक नियुक्तियों में शामिल करने की बात कर रहे हैं.
वहीं, राजधानी जयपुर में भी राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर सियासी पारा गर्म है और सीएम अशोक गहलोत, डिप्टी सीएम सचिन पायलट से कांग्रेसी कार्यकर्ता मुलाकात कर खुद को राजनीतिक नियुक्तियों में समायोजित करने की मांग कर रहे हैं.
कई नेता सरकार में चाहते हैं अपनी भागीदारी
राजनीतिक नियुक्तियों में ऐसे कई युवा चेहरे हैं, जो विधायक भी हैं और खुद के लिए अब मंत्री पद ना सही, लेकिन राजनीतिक नियुक्ति की मांग कर रहे हैं. राज्यसभा चुनाव में हुई बाड़ेबंदी में भी इन नेताओं ने आलाकमान के सामने अपनी बात रखी है. युवा विधायक, युवा बोर्ड, राजस्थान क्रीड़ा परिषद सहित कई निगम वार्डों के लिए लॉबिंग कर रहे हैं. माना जा रहा है कि इन विधायकों को आशंका है कि उनका नंबर मंत्रिमंडल में नहीं आएगा, ऐसे में राजनीतिक नियुक्तियों के जरिए वह सरकार में अपनी भागीदारी चाहते हैं.
बता दें कि राजनीतिक नियुक्ति को लेकर कुछ विधायकों ने तो राज्यसभा चुनाव के लिए हुई बाड़ेबंदी को भी अपने लिए एक मौका बनाया था और बड़े नेताओं के समक्ष अपनी मांग भी रख दी थी. हालांकि, प्रदेश में संगठन के कुछ नेताओं की ओर से यह बात भी कही जा रही है कि जिन्हें चुनाव लड़ने का मौका मिल चुका है उन्हें अब राजनीतिक नियुक्तियों में मौका नहीं दिया जाए.
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जुलाई में हो सकती है को-ऑर्डिनेशन कमेटी की बैठक
कांग्रेस में सत्ता और संगठन में तालमेल के लिए बनी कांग्रेस को-ऑर्डिनेशन कमेटी की एक बैठक हो चुकी है, लेकिन सोनिया गांधी के 30 मार्च तक राजनीतिक नियुक्तियां करने के सर्कुलर के बावजूद भी राजस्थान में अब तक यह नियुक्तियां नहीं हो सकी है. प्रदेश में नियुक्ति नहीं होने का सबसे बड़ा कारण बना है कोरोना वायरस का संक्रमण. कोविड-19 के कारण राजनीतिक गतिविधियां लगभग ठप हो गई है और अब एक बार फिर जुलाई महीने में राजनीतिक नियुक्तियों के पिटारे के खुलने की संभावना है.
को-ऑर्डिनेशन कमेटी की बैठक के बाद होगी राजनीतिक नियुक्ति
बताया जा रहा है कि सत्ता और संगठन के बीच को-ऑर्डिनेशन के लिए बनाई गई को-ऑर्डिनेशन कमेटी की दूसरी बैठक जुलाई के पहले या दूसरे सप्ताह में होगी. इस कमेटी की पहली बैठक 16 फरवरी को हुई थी. हाल ही में प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट ने भी साफ संकेत दिए हैं कि को-ऑर्डिनेशन कमेटी की बैठक के बाद ही राजनीतिक नियुक्तियों में आगे की कार्रवाई होगी. लेकिन इसके साथ ही उन्होंने फिर यह दोहरा दिया था कि राजनीतिक नियुक्तियों में उन कार्यकर्ताओं का विशेष ध्यान रखा जाएगा जिन्होंने 5 साल तक विपक्ष में रहते हुए कड़ी मेहनत की थी.