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थानों में स्वागत कक्ष और पुलिस भर्ती में 30 फीसदी महिला आरक्षण को संसदीय समिति ने सराहा : मुख्य सचिव - अत्याचार और अपराध

राजस्थान के मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने बुधवार को नई दिल्ली के संसदीय परिसर में राज्यसभा की गृह कार्य संबंधी संसदीय स्थाई समिति की बैठक में ’महिलाओं और बच्चों के प्रति अत्याचार और अपराध विषय’ पर राजस्थान का पक्ष रखा. इस दौरान उन्होंने कहा कि राज्य में महिलाओं को सुरक्षित माहौल देने के लिए संवेदनशील प्रशासन और पुलिस मुस्तैद है.

जयपुर न्यूज़, Chief Secretary Niranjan Arya
राजस्थान के मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने रखा पक्ष
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Published : Jan 7, 2021, 8:20 AM IST

जयपुर. राजस्थान के मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने बुधवार को नई दिल्ली के संसदीय परिसर में राज्यसभा की गृह कार्य संबंधी संसदीय स्थाई समिति की बैठक में ’महिलाओं और बच्चों के प्रति अत्याचार और अपराध विषय’ पर राजस्थान का पक्ष रखा. इस दौरान उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में प्रदेश में महिलाओं को सुरक्षित माहौल देने के लिए प्रशासन और पुलिस व्यवस्था संवेदनशीलता के साथ कार्य कर रही है. साथ ही संसदीय समिति के सदस्यों ने राज्य सरकार द्वारा महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों को रोकने के लिए उठाए गए कदमों की खूब सराहना की.

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मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने कहा कि हमने संसदीय समिति के समक्ष राजस्थान में महिलाओं और आम लोगों के प्रति सरकार के संवेदनशील कदमों को विस्तार से रखा है. राज्य सरकार द्वारा किसी भी वजह थाने के स्तर पर एफआईआरदर्ज नहीं होने पर पुलिस अधीक्षकों को पाबंद किया गया है. किसी भी जरूरतमंद की एफआईआर अगर थाने में नहीं होती तो पुलिस अधीक्षक द्वारा अपने कार्यालय में अनिवार्य रूप से एफआईआर करवाना सुनिश्चित किया जाएगा. इस कदम के बाद पुलिस थानों में महिलाओं और आम नागरिकों के प्रति जवाबदेही में बढ़ोतरी हुई है. साथ ही निर्बाध और स्वतंत्र रूप से एफआईआर दर्ज होने लगी है.

उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा सभी थानों में स्वागत कक्ष बनाने के निर्णय को भी संसदीय समिति ने सराहा है. स्वागत कक्षों के बनने के बाद महिलाएं और आम नागरिक थानों में जाकर निर्बाध रूप से अपने परिवाद दर्ज करवा रहे हैं. अभी तक प्रदेश के करीब 282 थानों में स्वागत कक्ष बनाए जा चुके हैं. निरंजन आर्य द्वारा संसदीय समिति के समक्ष प्रदेश में बनाए गए अभय कमांड सेंटरों, प्रत्येक थाने में निश्चित रूप से स्थापित महिला डेस्कों तथा पुलिस भर्ती में 30 प्रतिशत महिला आरक्षण सुनिश्चित करने के राज्य सरकार के कदमों को विस्तार से रखा गया. इन सभी कदमों की संसदीय समिति ने खूब प्रसंशा की और अन्य राज्यों को भी अनुसरण करने की सलाह दी.

पढ़ें: शर्तों के साथ 18 जनवरी से खुलेंगे स्कूल-कॉलेज और कोचिंग, नियमों का पालन नहीं करने पर होगी दंडनीय कार्रवाई

मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने कहा कि राज्य में कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने के साथ ही अनिवार्य रूप से एफआईआर दर्ज करवाने तथा महिलाओं और आम नागरिकों को निश्चित रूप से न्याय दिलवाने के लिए उठाए गए संवेदनशील कदमों की वजह से मुकदमों के दर्ज होने में वृद्धि होने का मतलब ये नहीं कि अपराधों में वृद्धि हुई है. उन्होंने संसदीय समिति के समक्ष निर्भया फंड से जुड़े हुए सभी पक्षों को विस्तार से रखा और बताया कि इस फंड के सदुपयोग के लिए राज्य सरकार निरंतर प्रयासरत है .संसदीय समिति के समक्ष महिलाओं और बच्चों के प्रति अत्याचार और अपराध विषय पर राज्य का पक्ष रखने के अवसर पर पुलिस महानिदेशक मोहनलाल लाठर तथा गौरव श्रीवास्तव भी उपस्थित थे.

जयपुर. राजस्थान के मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने बुधवार को नई दिल्ली के संसदीय परिसर में राज्यसभा की गृह कार्य संबंधी संसदीय स्थाई समिति की बैठक में ’महिलाओं और बच्चों के प्रति अत्याचार और अपराध विषय’ पर राजस्थान का पक्ष रखा. इस दौरान उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में प्रदेश में महिलाओं को सुरक्षित माहौल देने के लिए प्रशासन और पुलिस व्यवस्था संवेदनशीलता के साथ कार्य कर रही है. साथ ही संसदीय समिति के सदस्यों ने राज्य सरकार द्वारा महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों को रोकने के लिए उठाए गए कदमों की खूब सराहना की.

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मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने कहा कि हमने संसदीय समिति के समक्ष राजस्थान में महिलाओं और आम लोगों के प्रति सरकार के संवेदनशील कदमों को विस्तार से रखा है. राज्य सरकार द्वारा किसी भी वजह थाने के स्तर पर एफआईआरदर्ज नहीं होने पर पुलिस अधीक्षकों को पाबंद किया गया है. किसी भी जरूरतमंद की एफआईआर अगर थाने में नहीं होती तो पुलिस अधीक्षक द्वारा अपने कार्यालय में अनिवार्य रूप से एफआईआर करवाना सुनिश्चित किया जाएगा. इस कदम के बाद पुलिस थानों में महिलाओं और आम नागरिकों के प्रति जवाबदेही में बढ़ोतरी हुई है. साथ ही निर्बाध और स्वतंत्र रूप से एफआईआर दर्ज होने लगी है.

उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा सभी थानों में स्वागत कक्ष बनाने के निर्णय को भी संसदीय समिति ने सराहा है. स्वागत कक्षों के बनने के बाद महिलाएं और आम नागरिक थानों में जाकर निर्बाध रूप से अपने परिवाद दर्ज करवा रहे हैं. अभी तक प्रदेश के करीब 282 थानों में स्वागत कक्ष बनाए जा चुके हैं. निरंजन आर्य द्वारा संसदीय समिति के समक्ष प्रदेश में बनाए गए अभय कमांड सेंटरों, प्रत्येक थाने में निश्चित रूप से स्थापित महिला डेस्कों तथा पुलिस भर्ती में 30 प्रतिशत महिला आरक्षण सुनिश्चित करने के राज्य सरकार के कदमों को विस्तार से रखा गया. इन सभी कदमों की संसदीय समिति ने खूब प्रसंशा की और अन्य राज्यों को भी अनुसरण करने की सलाह दी.

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मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने कहा कि राज्य में कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने के साथ ही अनिवार्य रूप से एफआईआर दर्ज करवाने तथा महिलाओं और आम नागरिकों को निश्चित रूप से न्याय दिलवाने के लिए उठाए गए संवेदनशील कदमों की वजह से मुकदमों के दर्ज होने में वृद्धि होने का मतलब ये नहीं कि अपराधों में वृद्धि हुई है. उन्होंने संसदीय समिति के समक्ष निर्भया फंड से जुड़े हुए सभी पक्षों को विस्तार से रखा और बताया कि इस फंड के सदुपयोग के लिए राज्य सरकार निरंतर प्रयासरत है .संसदीय समिति के समक्ष महिलाओं और बच्चों के प्रति अत्याचार और अपराध विषय पर राज्य का पक्ष रखने के अवसर पर पुलिस महानिदेशक मोहनलाल लाठर तथा गौरव श्रीवास्तव भी उपस्थित थे.

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