जयपुर. राजस्थान में कोयले की आपूर्ति के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot Chhattisgarh Visit) छत्तीसगढ़ के एकदिवसीय दौरे पर शुक्रवार को राजधानी रायपुर पहुंचे. इस दौरान मीडिया से बात करते हुए गहलोत ने कहा कि अगर छत्तीसगढ़ से कोल सप्लाई नहीं हुआ तो साढ़े 4 हजार मेगावाट बिजली के पावर प्लांट बंद हो जाएंगे. राजस्थान के अंदर बड़ा बिजली क्राइसिस आएगा. हमें छत्तीसगढ़ पर डिपेंड रहना पड़ता है. काफी लंबे अरसे से हम इसकी मांग कर रहे हैं. गहलोत ने कहा कि हमारे अधिकारी भी छत्तीसगढ़ के अधिकारियों के साथ लगातार संपर्क में थे.
केंद्र ने परमिशन दी : मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि ऐसा नहीं है कि हम सीधे छत्तीसगढ़ सरकार के पास कोयला लेने के लिए आए हैं. इसके लिए हमने अपनी समस्या केंद्र सरकार को बताई थी. केंद्र सरकार की परमिशन के बाद ही हम यहां की सरकार से कोयले की आपूर्ति की बात कर रहे हैं. गहलोत ने कहा कि हम (Coal Crisis in Rajasthan) इतना ही मांग कर रहे हैं जितनी आवश्यकता है. हमें अपनी बिजली की जरूरत तो पूरी करनी पड़ेगी. गहलोत ने कहा कि भारत सरकार ने पर्यावरण नियमों और स्थानीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए ही फैसला किया था.
देश मे संविधान की उड़ाई जा रही है धज्जियां : मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से जब 'The Kashmir Files' को टैक्स फ्री करने को लेकर पूछा गया तो उन्होंने फिल्म को लेकर तो कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन केंद्र सरकार को निशाने पर लेने से भी नहीं चूके. गहलोत ने कहा कि इस समय देश का लोकतंत्र खतरे में है. राज्यों के चुनाव से पहले पेट्रोलियम पदार्थ की कीमतों में कमी किए, चुनाव के बाद फिर बढ़ा दिए. महंगाई हद पार कर गई है देश में. बेरोजगारी से हाल खराब है. देश में संविधान की धज्जियां उड़ा रही है. कहीं फर्जी एनकाउंटर हो रहा है, कहीं ईडी का छापा पड़ रहा है. जिस तरह का माहौल बना दिया गया है, इसमें अब आम जनता को समझना पड़ेगा. देश को बचाना है तो सबको सोचना पड़ेगा.
संयुक्त प्रेस वार्ता: मुलाकात के बाद सीएम भूपेश बघेल और राजस्थान मुख्यमंत्री आशिक गहलोत ने संयुक्त प्रेस वार्ता की. सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि पत्राचार राजस्थान सरकार से भी और भारत सरकार से भी लगातार होता रहा है. राजस्थान सरकार को जो खदान मिला है, वो विधिवत भारत सरकार से ही उसे अलॉट हुआ. इस मांग के अनुरूप जो अलॉट हुआ है, उसकी विधिवत कार्रवाई की जा रही है. इसकी प्रक्रिया में समय लगता है.
लोगों की मांग पर हमने कभी समझौता नहीं किया : खदान अलॉटमेंट के बाद पर्यावरण और बहुत प्रकार के जो भारत सरकार के गाइडलाइन है. राज्य सरकार की गाइडलाइन है, उसे पूरा करना होता है. पर्यावरण और स्थानीय लोगों की मांग से हमने कभी समझौता नहीं किया. हमारी सरकार का मूल मुद्दा भी यही है और उसमें जो स्थानीय लोग हैं और पर्यावरण को लेकर राज्य सरकार हमेशा गंभीर रही है. उसमें हमने कभी समझौता नहीं किया. इसी कारण आपने देखा होगा कि लेमरु एलिफेंट कॉरिडोर, जो हमने बनाया पिछली सरकार में 2007 से उनको अनुमति भारत सरकार से मिल गई थी. 450 वर्ग किलोमीटर की, लेकिन हमने 1995 वर्ग किलोमीटर लेमरु एलिफेंट कॉरिडोर में नोटिफाई किया और उसमें 39 ब्लॉक आयोजित हैं, जिसमें छत्तीसगढ़ सरकार के भी 2 ब्लॉक जो भारत सरकार से अलॉट हुआ था, वो भी लेमरु एलिफेंट में चला गया.
कोयले की किल्लत का राजस्थान में होगा ये असर : इस दौरान सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि छत्तीसगढ़ में कोल सप्लाई बंद होने पर बड़ा नुकसान हुआ है. इससे राज्य में बिजली संकट उत्पन्न होगा. कोयले के लिए हम भी छत्तीसगढ़ पर आश्रित हैं. कोयले की समस्या से राजस्थान के कई पावर प्लांट बंद हो जाएंगे.
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ये है पूरा मामला: गौरतलब है कि राजस्थान थर्मल बिजली के उत्पादन के लिए आवश्यक कोयले के लिए मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ पर निर्भर है. जानकारी के अनुसार, भारत सरकार ने राजस्थान को 2015 में चार हजार 340 मेगावाट बिजली उत्पादन इकाइयों के लिए छत्तीसगढ़ के पारसा ईस्ट-कांटा बासन (पीईकेबी) में 15 एमटीपीए तथा पारसा में 5 एमटीपीए क्षमता के कोल ब्लॉक आवंटित किये थे. इनमें से पारसा ईस्ट-कांटा बासन कोल ब्लॉक के प्रथम चरण में हनन इस महीने पूरा हो चुका है और यहां से राजस्थान को कोयले की आपूर्ति अब नहीं हो सकेंगी. जिससे बिजली संकट पैदा हो सकता है. केन्द्रीय वन पर्यावरण एवं जलवायू परिवर्तन मंत्रालय और कोयला मंत्रालय ने पारसा कोल ब्लॉक से राजस्थान को कोयले की आपूर्ति के लिए आवश्यक स्वीकृतियां दे दी है. अब द्वितीय चरण में वन से संबंधित स्वीकृति छत्तीसगढ़ सरकार के समक्ष विचाराधीन है. राजस्थान का अधिकांश भू-भाग रेगिस्तानी है, जहां बिजली उत्पादन के लिए ना तो हाईड्रो पावर उपलब्ध है और ना ही कोयला उपलब्ध है.
बघेल बोले पहली बार कोई सीएम स्वयं आया है : छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राजस्थान की जरूरतों के मद्देनजर आश्वस्त किया कि राजस्थान को कोयला आपूर्ति के लिए विधिवत कार्रवाई की जा रही है. पर्यावरण संरक्षण, स्थानीय हितों और नियमों के अनुरूप सकारात्मक सोच के साथ अग्रिम कार्रवाई की जाएगी. केन्द्र सरकार और राजस्थान सरकार से इस विषय को लेकर लगातार पत्राचार भी होता रहा है, लेकिन पहली बार किसी राज्य के मुख्यमंत्री अपने प्रदेश के हित में इस विषय को लेकर स्वयं छत्तीसगढ़ आए हैं.
यह भी रहे मौजूद : इस दौरान ऊर्जा राज्यमंत्री भंवर सिंह भाटी, अतिरिक्त मुख्य सचिव ऊर्जा सुबोध अग्रवाल, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव कुलदीप रांका, राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम के सीएमडी आरके शर्मा भी साथ रहे. छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से वहां के वन मंत्री मोहम्मद अकबर, मुख्य सचिव अमिताभ जैन, अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, वन विभाग के प्रमुख सचिव मनोज कुमार पिंगुआ, खनिज विभाग के सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेसी, ऊर्जा सचिव अंकित आनन्द मौजूद थे.