जयपुर. प्रदेश में बर्ड फ्लू का कहर जारी है. लगातार पक्षियों की मौत का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है. हालांकि सोमवार को प्रदेश में सबसे कम मौतें हुई हैं. प्रदेश में अब तक 7,294 पक्षियों की मौत हो चुकी है. जिनमें 5,023 कौए, 440 मोर, 692 कबूतर और 1,139 अन्य पक्षियों की मौत हुई है. पूरे प्रदेश में सोमवार को 40 पक्षियों की मौत हुई है. जिनमें 20 कौए, 4 मोर, 5 कबूतर और 11 अन्य पक्षी शामिल हैं.
जयपुर में अब तक 1,639 पक्षियों की मौत हो चुकी है, जिनमें 1,347 कौवे, 18 मोर, 163 कबूतर, 4 मुर्गी और 107 अन्य पक्षी शामिल हैं. पूरे प्रदेश की बात की जाए तो आज जयपुर में 10, अलवर में 01, दौसा में 0, झुंझुनू में 0, सीकर में 0, अजमेर में 02, भीलवाड़ा में 03, नागौर में 0, कुचामन सिटी में 01, टोंक में 01, भरतपुर में 02, धौलपुर में 0, करौली में 0, सवाई माधोपुर में 02, बीकानेर में 0, चूरू में 06, हनुमानगढ़ में 0, श्रीगंगानगर में 0, जोधपुर में 0, बाड़मेर में 0, जैसलमेर में 0, जालौर में 02, पाली में 0, सिरोही 0, कोटा में 04, बारां में 1, बूंदी में 01, झालावाड़ में 0, बांसवाड़ा में 0, चित्तौड़गढ़ में 04 पक्षियों की मौत हुई है. प्रदेश के सभी चिड़ियाघरों में विशेष निगरानी और सतर्कता बरती जा रही है. मृत पक्षियों के डिस्पोजल और सैंपल कलेक्शन के दौरान पूर्ण सावधानी बरती के भी निर्देश दिए गए हैं.
प्रदेश में 27 जिलों से 272 सैंपल जांच के लिए भोपाल लैब में भेजे जा चुके हैं. 1 फरवरी को प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार 17 जिलों में 67 नमूने पॉजिटिव पाए गए हैं. राजस्थान में करीब 17 जिले बर्ड फ्लू से प्रभावित हुए हैं. पशुपालन विभाग और वन विभाग की ओर से सतर्कता बरती जा रही है. पोल्ट्री फार्म पर विशेष निगरानी रखी जा रही है.
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जयपुर चिड़ियाघर में बर्ड फ्लू की पुष्टि होने के बाद वन विभाग ने विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं. साथ ही चिड़ियाघर में हाइपोक्लोराइट सोडियम का छिड़काव भी किया जा रहा है. वन कर्मियों को भी पीपीई किट पहनकर पक्षियों की देखरेख करने के लिए निर्देशित किया गया है.
सबसे पहले झालावाड़ में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई थी. 25 दिसंबर को पहली बार झालावाड़ में कौए के मरने की सूचना मिली थी. जिसके बाद 27 दिसंबर को मरने के कारणों की जांच के लिए सैंपल भोपाल में भेजे गए. जहां बर्ड फ्लू होने की पुष्टि हुई. इसके बाद लगातार प्रदेश में कौओं के मरने के मामले सामने आ रहे हैं.