जयपुर. 9 फरवरी से शुरू हो रहे राजस्थान विधानसभा के बजट सत्र में इस बार बिगड़ती कानून-व्यवस्था और किसान कर्ज माफी के साथ ही रीट परीक्षा अनियमितता भी एक बड़ा मुद्दा रहने वाला है, जिस पर विपक्ष सरकार को घेरेगी. भाजपा विधायकों ने सत्र में कई सवाल लगाए हैं, जिनमें बिगड़ती कानून-व्यवस्था और बेरोजगारों से जुड़े सवाल प्रमुख (BJP issues in Budget session 2022) हैं. वहीं, सदन में बीजेपी रोज एक नई रणनीति के साथ सरकार को घेरने का काम करेगी. क्या है इस बार विपक्ष की तैयारी? यह जाना प्रतिपक्ष के उपनेता राजेन्द्र राठौड़ से खास बातचीत के दौरान.
ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि बजट सत्र सबसे लंबा चलने वाला विधानसभा सत्र होता है. लिहाजा इस बार उन तमाम विषयों को उठाया जाएगा, जो सीधे तौर पर जनता से जुड़े हुए हैं. इनमें भी प्रदेश में बढ़ते महिला अपराध और बिगड़ती कानून-व्यवस्था सबसे प्रमुख विषय रहेगा. वहीं बेरोजगारों से जुड़े रीट परीक्षा अनियमितता का मामला भी इस बार प्रमुख रूप से उठाया जाना है. नेता प्रतिपक्ष के अनुसार इन विषयों को लेकर विपक्ष सदन के भीतर सरकार को घेरने का काम करेगी.
- रीट परीक्षा अनियमितता मामला.
- बिगड़ती कानून व्यवस्था व महिलाओं पर हो रहे अत्याचार के मामले.
- अलवर बालिका से दरिंदगी मामला सहित महिला बलात्कार से जुड़े मामले में.
- किसान कर्जमाफी और ऋण न चुका पाने के कारण जमीन नीलामी का मामला.
- बिजली की दरों में अप्रत्यक्ष रूप से विभिन्न शुल्क के जरिए बढ़ोत्तरी का मामला.
- बेरोजगारों से जुड़ी अलग-अलग मांगें
- वादे के अनुरूप सभी पंजीकृत बेरोजगारों को अब तक बेरोजगारी भत्ता नहीं मिल पाने का मामला.
- कांग्रेस के जन घोषणा पत्र के अब तक अधूरे वादों पर सदन में गहलोत सरकार को घेरने की रणनीति.
- संविदाकर्मियों को नियमित करने के अधूरे वादे पर सरकार का घेराव.
- अवैध खनन से जुड़ा मामला.
- पिछले तीन बजट में की गई घोषणाओं जिस पर अब तक कोई काम नहीं हुआ का मुद्दा.
प्रतिदिन तय होगा एक बड़ा मुद्दा : राजस्थान विधानसभा के बजट सत्र के दौरान सरकार को सदन में घेरने के लिए विपक्षी दल भाजपा प्रतिदिन एक नया मुद्दा हाथ में लेगी. यह मुद्दा रोज सुबह 10 बजे पार्टी के प्रमुख नेता और विधायक मिलकर तय करेंगे. इनमें राजस्थान के तत्कालिक बड़े विषय से जुड़े मुद्दे शामिल रहेंगे, जिस पर रणनीति के तहत सदन के भीतर भाजपा के विधायक सरकार को घेरेंगे. फिर चाहे प्रश्नकाल में सवालों के जरिए व शून्य काल में नियम 295 के जरिए सरकार को घेरने का मामला क्यों ना हो.
भाजपा विधायकों की शत-प्रतिशत उपस्थिति पर रहेगा फोकस : विधानसभा सत्र के दौरान भाजपा के सभी विधायकों की शत-प्रतिशत मौजूदगी सदन में रहे, इस पर भी पार्टी का विशेष फोकस रहेगा. विधायक दल की बैठक में इसको लेकर आवश्यक दिशा-निर्देश भी दिए जाएंगे. वहीं यह भी तय किया गया है कि जो विधायक सदन में बीच-बीच में नदारद रहेगा, उस पर पार्टी के स्तर पर भी कार्रवाई की जाएगी. पार्टी चाहती है कि सदन के भीतर भाजपा विधायकों की मौजूदगी से ही सत्ता पक्ष को पुरजोर तरीके से घेरा जा सके. विधायकों की संख्या पर नजर रखने की जिम्मेदारी भी पार्टी के वरिष्ठ विधायकों को इस बार सौंपी जाएगी.
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विषय विशेषज्ञ विधायकों को मिलेगी जिम्मेदारी : पार्टी ने तय किया है कि सदन के भीतर उन विधायकों को आगे रखा जाए जो संबंधित विषय और मुद्दे के जानकार हैं. संभवता शिक्षा से जुड़े मामले में पूर्व शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी को आगे रखा जाएगा. वहीं चिकित्सा से जुड़े मामले में पूर्व मंत्री राजेंद्र राठौड़ और कालीचरण सराफ को. इसी तरह गृह विभाग से जुड़े मामलों में गुलाबचंद कटारिया, सतीश पूनिया और राजेंद्र राठौड़ उठाएंगे. वहीं किसानों और बेरोजगारों से जुड़े मामले में भी पूनिया, विधायक रामलाल शर्मा सहित अन्य प्रमुख विधायक प्रमुखता से विषयों को उठाएंगे. वहीं, नगरीय विकास विभाग से जुड़े मामलों में विधायक अशोक लाहोटी, प्रताप सिंह सिंघवी को आगे रखा जाएगा.
हर विधायक को मुद्दा उठाने का मिलेगा मौका : भाजपा विधायक दल में हर विधायक को अपने क्षेत्र और मुद्दों को उठाने का मौका मिले, इसका भी ध्यान रखा जाएगा, क्योंकि पिछले सत्रों में समुचित मौका ना मिल पाने के कारण कई विधायकों ने विरोध किया था. बीजेपी विधायक दल की बैठक में इस मामले में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया के खिलाफ वरिष्ठ विधायक कैलाश मेघवाल समेत कई विधायकों ने मुखर रूप से विरोध भी किया था. यही कारण है कि मौजूदा सत्र में हर विधायक को अपनी बात रखने और उठाने का पूरा मौका मिले इस पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा.