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Lumpy Skin Disease in Cattle: मवेशियों में तेजी से फैल रहा संक्रामक रोग, मंत्री लालचंद कटारिया ने ली समीक्षा बैठक

राजस्थान के कई जिलों में पशुपालकों के सामने लम्पी स्किन डिजीज ने बड़ी मुश्किल पैदा कर दी है (lumpy skin disease in Rajasthan). इस बीमारी से पशु के शरीर पर गांठें बन जाती हैं, बुखार हो जाता है और उसकी मौत भी हो सकती है. बीमारी से बचाव और इलाज संबंधी तैयारियों को लेकर सोमवार को पशुपालन मंत्री लालचंद कटारिया ने एक समीक्षा बैठक की (Meeting Over Cattle lumpy disease).

Lumpy Skin Disease in Cattle
मंत्री लालचंद कटारिया ने ली समीक्षा बैठक
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Published : Jul 19, 2022, 9:32 AM IST

जयपुर. पशुपालन मंत्री लालचंद कटारिया ने सोमवार को पंत कृषि भवन में विभागीय उच्चाधिकारियों के साथ पश्चिमी राजस्थान में मवेशियों में फैल रही लम्पी स्किन डिजीज की स्थिति की समीक्षा की (lumpy skin disease in Rajasthan). उन्होंने अधिकारियों को बीमारी की रोकथाम एवं उपचार के लिए आवश्यक दवाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित करने और आपातकालीन परिस्थितियों में दवाइयां खरीदने के लिए बजट आंवटित करने के निर्देश दिए.

पशुपालन मंत्री कटारिया ने बताया कि हाल ही में राजस्थान सहित तमिलनाडु, ओड़िशा, कर्नाटक, केरल, असम, छत्तीसगढ़, उत्तरप्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे कई राज्यों में यह बीमारी देखी गई है (lumpy skin disease in Cattle). उन्होंने अधिकारियों को दवाइयों की पर्याप्त उपलब्धता और आपातकालीन परिस्थितियों में दवा खरीद के लिए बजट आंवटित करने के निर्देश दिए, साथ ही प्रभावित जिलों में जहां पशु चिकित्सा कार्मिकों की कमी है वहां आस-पास के जिलों से चिकित्सा दल गठित कर उपचार की समुचित व्यवस्था करने के निर्देश दिए.

निदेशालय स्तर से अधिकारियों को प्रभावित क्षेत्रों में दौरा कर निगरानी एवं प्रभावी कार्यवाही करने का आदेश भी दिया. कटारिया ने बताया कि कुछ दिनों से जैसलमेर, जालोर, बाड़मेर, पाली, जोधपुर एवं बीकानेर जिलों में यह संक्रामक रोग तेजी से गायों एवं भैंसों में फैल रहा है. पशु भी एक राज्य से दूसरे राज्य में आते-जाते रहते हैं, जिससे ये बीमारी एक से दूसरे राज्य में भी फैल रही है. साथ ही इस रोग से संक्रमित पशुओं के अन्य स्वस्थ पशुओं के सम्पर्क में आने पर यह बीमारी फैल रही है.

पढ़ें-Jaipur Cow Dung Export: जयपुर से गल्फ देशों तक पहुंचेगा देसी गाय का गोबर ,पशु पालकों के लिए बेहतर आय का जरिया

पशुपालन मंत्री ने बताया कि लम्पी स्किन डिजीज से बचाव के लिए अभी तक कोई टीका नहीं बना है, ऐसे में पशु चिकित्सकों द्वारा लक्षण आधारित उपचार किया जा रहा है. उन्होंने पशुपालको से आग्रह करते हुए कहा कि अन्य स्वस्थ पशुओं को बीमारी से बचाने के लिए संक्रमित पशु को एकदम अलग बांधें और बुखार एवं गांठ आदि लक्षण दिखाई देने पर तुरन्त पशु चिकित्सक से सम्पर्क कर इलाज कराएं.

जयपुर. पशुपालन मंत्री लालचंद कटारिया ने सोमवार को पंत कृषि भवन में विभागीय उच्चाधिकारियों के साथ पश्चिमी राजस्थान में मवेशियों में फैल रही लम्पी स्किन डिजीज की स्थिति की समीक्षा की (lumpy skin disease in Rajasthan). उन्होंने अधिकारियों को बीमारी की रोकथाम एवं उपचार के लिए आवश्यक दवाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित करने और आपातकालीन परिस्थितियों में दवाइयां खरीदने के लिए बजट आंवटित करने के निर्देश दिए.

पशुपालन मंत्री कटारिया ने बताया कि हाल ही में राजस्थान सहित तमिलनाडु, ओड़िशा, कर्नाटक, केरल, असम, छत्तीसगढ़, उत्तरप्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे कई राज्यों में यह बीमारी देखी गई है (lumpy skin disease in Cattle). उन्होंने अधिकारियों को दवाइयों की पर्याप्त उपलब्धता और आपातकालीन परिस्थितियों में दवा खरीद के लिए बजट आंवटित करने के निर्देश दिए, साथ ही प्रभावित जिलों में जहां पशु चिकित्सा कार्मिकों की कमी है वहां आस-पास के जिलों से चिकित्सा दल गठित कर उपचार की समुचित व्यवस्था करने के निर्देश दिए.

निदेशालय स्तर से अधिकारियों को प्रभावित क्षेत्रों में दौरा कर निगरानी एवं प्रभावी कार्यवाही करने का आदेश भी दिया. कटारिया ने बताया कि कुछ दिनों से जैसलमेर, जालोर, बाड़मेर, पाली, जोधपुर एवं बीकानेर जिलों में यह संक्रामक रोग तेजी से गायों एवं भैंसों में फैल रहा है. पशु भी एक राज्य से दूसरे राज्य में आते-जाते रहते हैं, जिससे ये बीमारी एक से दूसरे राज्य में भी फैल रही है. साथ ही इस रोग से संक्रमित पशुओं के अन्य स्वस्थ पशुओं के सम्पर्क में आने पर यह बीमारी फैल रही है.

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पशुपालन मंत्री ने बताया कि लम्पी स्किन डिजीज से बचाव के लिए अभी तक कोई टीका नहीं बना है, ऐसे में पशु चिकित्सकों द्वारा लक्षण आधारित उपचार किया जा रहा है. उन्होंने पशुपालको से आग्रह करते हुए कहा कि अन्य स्वस्थ पशुओं को बीमारी से बचाने के लिए संक्रमित पशु को एकदम अलग बांधें और बुखार एवं गांठ आदि लक्षण दिखाई देने पर तुरन्त पशु चिकित्सक से सम्पर्क कर इलाज कराएं.

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