जयपुर. राजस्थान कृषि प्रतिस्पर्धात्मक परियोजना की स्टीयरिंग कमेटी की बैठक आयोजित हुई. शासन सचिवालय में हुई बैठक में मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने कहा कि वल्र्ड बैक के सहयोग से साल 2012 से संचालित राजस्थान कृषि प्रतिस्पर्धात्मक परियोजना राज्य में कृषि उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने, कृषकों की आय में वृद्धि करने में सहायक रही है.
मुख्य सचिव ने कहा कि ये परियोजना जलवायु प्रतिरोधक क्षमतायुक्त कृषि, कृषि के लिए सिंचाई जल का उपयोग कम करने एवं कृषि उत्पादों के प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन बढाने में भी अत्यन्त सराहनीय रही है. मुख्य सचिव ने कहा कि ये परियोजना कृषि, होर्टीकल्चर, पशुपालन, वाटर शैड, जल संसाधन और भूजल विभाग के समन्वय से चलाई जा रही है. इस परियोजना के अन्तर्गत संचालित कार्यों की वल्र्ड बैंक सहित आयोजना विभाग ने प्रशंसा की है.
कृषि विभाग के प्रमुख शासन सचिव कुुंजीलाल मीणा ने बताया कि ये परियोजना 6 विभागों के समन्वय से विभिन्न जिलों के 17 क्लस्टरों में संचालित की जा रही है. इस परियोजना में सतही जल, भू-जल और वॉटर शेड पर आधारित क्लस्टरों का निर्माण किया गया है. वर्ष 2015-16 में परियोजना का पुनर्गठन किया गया था. परियोजना के तहत अनेक नवाचार किए गए जिससे से सबसे प्रमुख नवाचार में टोंक के धूणी गांव में एक लाख बकरियों का प्लांट लगाया गया.
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मीणा ने कहा कि ये परियोजना अपने उदेश्यों को पूरा करने में पूरी तरह से सफल रही है. बैठक में आयुक्त, कृषि विभाग डॉ. ओमप्रकाश, परियोजना निदेशक, आर ए सीपी, आलोक रंजन सहित सभी विभागों के सचिव और विभागाध्यक्ष उपस्थित रहे.