ETV Bharat / city

Rajasthan ACB Action: 1 करोड़ रुपए में खरीदे भूखंड पर RFC ने दिया 9 करोड़ का लोन, 11 साल बाद ACB ने दर्ज की FIR - Scam in Rajasthan Finance Corporation

राजस्थान एसीबी (Rajasthan ACB Action) ने राजस्थान वित्त निगम में 9 करोड़ रुपए के घोटाले (9 crore scam in Rajasthan Finance Corporation) में पूर्व आईएएस अधिकारी सहित 11 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. एसीबी ने एफआईआर दर्ज करने का निर्णय 11 साल चली प्राथमिक जांच के आधार पर लिया है.

Rajasthan ACB
Rajasthan ACB
author img

By

Published : Jun 11, 2022, 11:04 AM IST

जयपुर. राजस्थान एसीबी (Rajasthan ACB Action) ने राजस्थान वित्त निगम (आरएफसी) में 9 करोड़ रुपए के घोटाले (9 crore scam in Rajasthan Finance Corporation) में पूर्व आईएएस अधिकारी सहित 11 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. एसीबी ने एफआईआर दर्ज करने का निर्णय 11 साल चली प्राथमिक जांच के आधार पर लिया है. एसीबी डीजी बीएल सोनी के अनुसार राजस्थान वित्त निगम के अधिकारियों ने मिलीभगत कर 2 करोड़ रुपए के भूखंड पर 9 करोड़ रुपए का लोन स्वीकृत कर दिया.

एसीबी की ओर से दर्ज किए गए मामले में आरएफसी के तत्कालीन अधिकारियों में सीएमडी अतुल कुमार गर्ग, एफए और कार्यकारी निदेशक सुरेश चंद सिंघल, प्रबंधक नरेश कुमार जैन, उप प्रबंधक अजय कुमार, प्रबंधक प्रेम दयाल वर्मा, उप महाप्रबंधक आशुतोष प्रसाद माथुर, प्रबंधक मनोज मोदवाल, एम.के. चतुर्वेदी, उप प्रबंधक रूप नारायण नागर और कृष्णा विला प्राइमा अपार्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड के प्रवर्तक मेराज उन्नबी खान और नावेद सैदी नामजद हैं. एफआईआर के अनुसार नियमों को दरकिनार कर अधिकारियों ने मिली भगत से आरएफसी को लोन के जरिए 9 करोड़ रुपए की चपत लगा दी.

पढ़ें- Udaipur Acb Action: आबकारी थाना प्रहराअधिकारी और आबकारी गार्ड 7 हजार रिश्वत लेते गिरफ्तार

इस तरह से किया गया पूरा खेल- अधिकारियों ने कृष्णा विला प्राइम अपार्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड को 9 करोड़ रुपए का लोन दिया. जिस भूखंड पर लोन दिया गया उसको 1 करोड़ रुपए में खरीदा गया था. उसके कंवर्जन सहित अन्य शुल्क जमा होने के बाद कीमत 2.08 करोड़ रुपए हुई थी. फर्म ने अपनी लेखा पुस्तकों में उसकी कीमत बढ़ाकर 10.07 करोड़ दर्ज की. इसके बाद आरएफसी के अधिकारियों ने कीमत 14.07 आंकने की रिपोर्ट तैयार की. इस आधार पर 9 करोड़ रुपए का लोन स्वीकृत कर दिया. लोन मेराज उन्नबी खान और नावेद ने लिया था. उन्होंने समय पर ब्याज व किस्तें जमा नहीं कराई.

इसके बाद भी उनसे कम वित्तीय क्षमता वाली कंपनी के प्रबंधक रोहित सूरी, विनोद जैन और राहुल महाना को प्रबंधन में शामिल करने की छूट आरएफसी के अधिकारियों ने दी. मामला प्रकाश में आने पर एसीबी ने वर्ष 2011 में प्राथमिक जांच रिपोर्ट दर्ज की थी. अब प्रकरण में 11 साल बाद एफआईआर का निर्णय लिया गया. प्रकरण को लेकर एसीबी की ओर से की गई जांच में यह तथ्य सामने आया है कि भूखंड पर निर्माण चल रहा है. ऐसे में प्रोजेक्ट लोन स्कीम के तहत लोन दिया जाना चाहिए था. जिसमें प्रोजेक्ट की लागत शामिल होती है और निर्माण के स्तर पर किस्तों में भुगतान किया जाता. जबकी यहां पर फाइनेसिंग अगेंस्ट एसेट्स स्कीम के तहत लोन दिया गया. जिसमें कुल लोन का नब्बे फीसदी 8.1 करोड़ रुपए 3 दिसंबर 2008 को और शेष 90 लाख रुपए 9 जनवरी 2009 को दिया गया.

जयपुर. राजस्थान एसीबी (Rajasthan ACB Action) ने राजस्थान वित्त निगम (आरएफसी) में 9 करोड़ रुपए के घोटाले (9 crore scam in Rajasthan Finance Corporation) में पूर्व आईएएस अधिकारी सहित 11 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. एसीबी ने एफआईआर दर्ज करने का निर्णय 11 साल चली प्राथमिक जांच के आधार पर लिया है. एसीबी डीजी बीएल सोनी के अनुसार राजस्थान वित्त निगम के अधिकारियों ने मिलीभगत कर 2 करोड़ रुपए के भूखंड पर 9 करोड़ रुपए का लोन स्वीकृत कर दिया.

एसीबी की ओर से दर्ज किए गए मामले में आरएफसी के तत्कालीन अधिकारियों में सीएमडी अतुल कुमार गर्ग, एफए और कार्यकारी निदेशक सुरेश चंद सिंघल, प्रबंधक नरेश कुमार जैन, उप प्रबंधक अजय कुमार, प्रबंधक प्रेम दयाल वर्मा, उप महाप्रबंधक आशुतोष प्रसाद माथुर, प्रबंधक मनोज मोदवाल, एम.के. चतुर्वेदी, उप प्रबंधक रूप नारायण नागर और कृष्णा विला प्राइमा अपार्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड के प्रवर्तक मेराज उन्नबी खान और नावेद सैदी नामजद हैं. एफआईआर के अनुसार नियमों को दरकिनार कर अधिकारियों ने मिली भगत से आरएफसी को लोन के जरिए 9 करोड़ रुपए की चपत लगा दी.

पढ़ें- Udaipur Acb Action: आबकारी थाना प्रहराअधिकारी और आबकारी गार्ड 7 हजार रिश्वत लेते गिरफ्तार

इस तरह से किया गया पूरा खेल- अधिकारियों ने कृष्णा विला प्राइम अपार्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड को 9 करोड़ रुपए का लोन दिया. जिस भूखंड पर लोन दिया गया उसको 1 करोड़ रुपए में खरीदा गया था. उसके कंवर्जन सहित अन्य शुल्क जमा होने के बाद कीमत 2.08 करोड़ रुपए हुई थी. फर्म ने अपनी लेखा पुस्तकों में उसकी कीमत बढ़ाकर 10.07 करोड़ दर्ज की. इसके बाद आरएफसी के अधिकारियों ने कीमत 14.07 आंकने की रिपोर्ट तैयार की. इस आधार पर 9 करोड़ रुपए का लोन स्वीकृत कर दिया. लोन मेराज उन्नबी खान और नावेद ने लिया था. उन्होंने समय पर ब्याज व किस्तें जमा नहीं कराई.

इसके बाद भी उनसे कम वित्तीय क्षमता वाली कंपनी के प्रबंधक रोहित सूरी, विनोद जैन और राहुल महाना को प्रबंधन में शामिल करने की छूट आरएफसी के अधिकारियों ने दी. मामला प्रकाश में आने पर एसीबी ने वर्ष 2011 में प्राथमिक जांच रिपोर्ट दर्ज की थी. अब प्रकरण में 11 साल बाद एफआईआर का निर्णय लिया गया. प्रकरण को लेकर एसीबी की ओर से की गई जांच में यह तथ्य सामने आया है कि भूखंड पर निर्माण चल रहा है. ऐसे में प्रोजेक्ट लोन स्कीम के तहत लोन दिया जाना चाहिए था. जिसमें प्रोजेक्ट की लागत शामिल होती है और निर्माण के स्तर पर किस्तों में भुगतान किया जाता. जबकी यहां पर फाइनेसिंग अगेंस्ट एसेट्स स्कीम के तहत लोन दिया गया. जिसमें कुल लोन का नब्बे फीसदी 8.1 करोड़ रुपए 3 दिसंबर 2008 को और शेष 90 लाख रुपए 9 जनवरी 2009 को दिया गया.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.