जयपुर. जानेमाने उद्योगपति और बजाज ग्रुप के पूर्व चेयरमैन राहुल बजाज का शनिवार को निधन (former chairman of Bajaj Group Rahul Bajaj died) हो गया. बजाज समूह के मानद चेयरमैन राहुल बजाज ने पुणे में अंतिम सांस ली. वे 83 साल के थे. बजाज लंबे समय से कैंसर से पीड़ित थे. उनके निधन की खबर आते ही सोशल मीडिया पर लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि देना शुरू कर दिया है.
वे पिछले एक महीने से अस्पताल में भर्ती थे. रूबी हॉल क्लिनिक के मैनेजिंग ट्रस्टी डॉ. पुरवेज ग्रांट ने कहा कि उन्हें निमोनिया था और दिल की बीमारी भी समस्या थी. राहुल बजाज ने शनिवार दोपहर 2.30 बजे आखिरी सांस ली थी. इस दौरान उनके परिवार के करीबी सदस्य उनके पास मौजूद थे. राहुल बजाज प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी सेठ जमुना लाल बजाज के पोते थे. राहुल बजाज मूल रूप से सीकर के ही रहने वाले थे.
सेठ जमनालाल बजाज का जन्म 4 नवम्बर 1889 को सीकर जिले के 'काशी का बास' गांव में (Rahul Bajaj has relation of 4 generations with Sikar of Rajasthan) हुआ था. बहुत ही छोटी उम्र में वर्धा के धनी परिवार ने उनको गोद ले लिया था. केवल 17 वर्ष की उम्र में जमनालाल बजाज ने कारोबार सम्भाला और कई कंपनियों की स्थापना की थी, जो आगे चलकर बजाज समूह कहलाया. जमनालाल बजाज के पैतृक गांव काशी का बास से इसके बाद भी बजाज परिवार का पूरा जुड़ाव रहा. सेठ जमुना लाल बजाज के बेटे कमल नयन बजाज की सन्तान थे राहुल बजाज. लंबे समय तक बजाज समूह के चेयरमैन रहे राहुल बजाज का लगातार सीकर आना-जाना रहा, स्थानीय लोगों के मुताबिक आखिरी बार 2011 में बजाज अपने पैतृक गांव आए थे.
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नेहरू ने रखा "राहुल" नाम
राहुल का जन्म 10 जून, 1938 को कोलकाता में मारवाड़ी बिजनेसमैन कमलनयन बजाज और सावित्री बजाज के घर हुआ था. बजाज और नेहरू परिवार में तीन जनरेशन से फैमिली फ्रैंडशिप चली आ रही थी. राहुल के पिता कमलनयन और इंदिरा गांधी कुछ समय एक ही स्कूल में पढ़े थे. 2001 में उन्हें पद्म भूषण का सम्मान भी मिल चुका है. एक मशहूर किस्सा है कि जब कमलनयन बजाज और सावित्री बजाज को बेटा हुआ, तो इसकी सूचना जवाहर लाल नेहरू को दी गई. उन्होंने बेटे का नाम 'राहुल बजाज' रख दिया. ये बात जब इंदिरा गांधी को पता चली तो वो बहुत नाराज हुईं, क्योंकि वो अपने बेटे का नाम राहुल रखना चाहती थीं. लेकिन 20 अगस्त 1944 को जब उन्हें बेटा हुआ, तो उन्होंने अपने बेटे का नाम थोड़ा बदलकर राजीव रखा.
राहुल बजाज के पिता ने लड़ा था चुनाव, तो राहुल भी रहे मुखर
देश के लीडिंग ब्रांड के लीडर राहुल बजाज ना सिर्फ कारोबारी जगत में कड़े फैसले लेते थे, बल्कि सियासी तौर पर भी मुखर रहते थे. यही वजह है कि उन्होंने एक कार्यक्रम में देश के गृह मंत्री अमित शाह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के सामने भी नरेंद्र मोदी सरकार की तीखी आलोचना की थी. राहुल बजाज के पिता कमल नयन बजाज ने सीकर से राजनीति में भी हाथ आजमाया था.
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साल 1962 में उन्होंने सीकर से चुनाव लड़ा था. उस चुनाव में हार के बाद हालांकि कुछ समय के लिए बजाज परिवार का सीकर से मोहभंग हो गया था, अन्यथा इससे पहले वर्धा में लगा बजाज का सबसे बड़ा प्लांट सीकर में लगने वाला था. कुछ सालों के बाद फिर से बजाज परिवार अपने पैतृक गांव से जुड़ा और इनसे जुड़ा ट्रस्ट भी आज कई काम करवा रहा है. आज भी गांव में वह हवेली मौजूद है. जहां पर जमनालाल बजाज का जन्म हुआ था और हवेली में आज भी इनके परिवार के सदस्य आते रहते हैं. इसके साथ-साथ बजाज परिवार से गांव का अभी भी जुड़ाव है. इस तरह से सीकर के विकास में बजाज परिवार का बहुत बड़ा योगदान है और राहुल बजाज के निधन से सीकर जिले को भी बड़ी क्षति हुई है.
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"हमारा बजाज" दिया था स्लोगन
बजाज ऑटो पहले मुख्य तौर पर 3-व्हीलर्स का काम करती थी, जिसकी नींव राहुल के पिता कमलनयन बजाज ने रखी थी. आज भी बजाज ऑटो दुनिया की सबसे बड़ी 3-व्हीलर एक्सपोर्ट करने वाली कंपनी है. लेकिन 1972 में बजाज ऑटो ने ‘चेतक’ ब्रांड नाम का स्कूटर इंडियन मार्केट में उतारा. इस स्कूटर ने बजाज को देश के कोने-कोने और घर-घर में पहचान दिलाई. इस स्कूटर ने भारत के मध्य वर्ग को एक नया सपना या यूं कहें पहला सपना दिया. बजाज चेतक के लिए कंपनी ने मार्केटिंग स्ट्रैटजी के तौर पर ‘हमारा बजाज’ स्लोगन तैयार किया. इस स्लोगन ने कई पीढ़ियों तक लोगों के मन पर राज किया. आज भी इसे हिंदुस्तान के सबसे सफल मार्केटिंग कैंपेन में से एक माना जाता है.