जयपुर. राजधानी क्वींस रोड अब परमवीर चक्र विजेता कर्नल होशियार सिंह के नाम से जानी जाएगी. स्वर्णिम विजय वर्ष कार्यक्रम के तहत मंगलवार को राजधानी जयपुर में वैशाली नगर स्थित विजय द्वार पर एक कार्यक्रम किया गया. जिसमें विजय द्वार पर परमवीर चक्र कर्नल होशियार सिंह की प्रतिमा का अनावरण और इस सड़क का नामांकरण किया गया.
इस दौरान कार्यक्रम में जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ दक्षिण पश्चिम कमान लेफ्टिनेंट जनरल आलोक कलेर भी मौजूद रहे. कार्यक्रम के दौरान परमवीर चक्र विजेता कर्नल होशियार सिंह की पत्नी धन्नो देवी, उनके बेटे कर्नल एस के दहिया और उनका पूरा परिवार मौजूद रहा. बता दें कि भारत-पाकिस्तान के बीच 1971 में हुई जंग में भारत की जीत के 16 दिसंबर 2020 को 49 साल पूरे हो चुके हैं और 50 वा साल शुरू हो गया है. 16 दिसंबर 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के नेशनल वॉर मेमोरियल पर स्वर्णिम विजय मशाल जलाई. इन मसालों को देश के अलग-अलग हिस्सों में ले जाया गया. स्वर्णिम विजय वर्ष के तहत भारत-पाक युद्ध के परमवीर चक्र महावीर चक्र विजेताओं के गांव तक भी यह मशाल पहुंची. नेशनल वॉर मेमोरियल बनते समय भी सभी वीरता पुरस्कार विजेताओं को सम्मान देने के लिए उनके गांव की मिट्टी लाई गई थी. इसी कड़ी में मंगलवार को कर्नल होशियार सिंह के नाम पर जयपुर की क्वींस रोड का नाम किया गया है.
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स्वर्गीय परमवीर चक्र विजेता कर्नल होशियार सिंह ने 1963 में 3 ग्रेनेडियर्स में कमीशन प्राप्त किया. उन्होंने जरपाल की प्रसिद्ध लड़ाई के दौरान बसंतर नदी के उस पार जरपाल नामक जगह पर कब्जा करने पर देश का सर्वोच्च वीरता पुरस्कार प्राप्त किया. कर्नल होशियार सिंह के वीरता पूर्ण नेतृत्व में कई दुश्मन काउंटर अटैक को उनकी राइफल कंपनी ने रद्द किया. निडर और बहादुर अधिकारी मेजर होशियार सिंह ने जख्मी होने के बावजूद भी मैदान-ए-जंग छोड़कर जाने से इंकार कर दिया. उनके कुशल नेतृत्व में उनके साथ के कई जवानों ने उनकी बहादुरी और धैर्य के कई उदाहरण देखें.
उनकी वीरता की गाथा भारतीय सेना में आज भी एक उदाहरण है. बता दें कि अपने पराक्रम से इस युद्ध में 4 जवानों को परमवीर चक्र मिला था लेकिन उनमें से कर्नल होशियार सिंह एकमात्र ऐसे परमवीर चक्र विजेता रहे. जिन्हें यह पुरस्कार जीवित रहते हुए मिला. इस कार्यक्रम के तहत परमवीर चक्र विजेता कर्नल होशियार सिंह को पुष्पांजलि भी अर्पित की गई.