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रेरा अधिनियम के प्रावधान बैंक पर भी होंगे लागू : HC - ETV Bharat Rajasthan News

राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि यदि बैंक की ओर से डेवलपर के लोन न चुकाने की स्थिति में संबंधित बिल्डिंग को अपने कब्जे में ले लिया जाता है तो ऐसे में उस परिसर के आवंटी बैंक के खिलाफ (Provisions of RERA Act will Also Apply to the Bank) रेरा में शिकायत दर्ज करा सकते हैं. ऐसी स्थिति में बैंक उस बिल्डिंग के प्रमोटर की परिभाषा में आ जाएगा, जिसके चलते रेरा को बैंक को निर्देश देने का क्षेत्राधिकार होगा.

Rajasthan High Court
राजस्थान हाईकोर्ट
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Published : Dec 21, 2021, 9:28 PM IST

जयपुर. अदालत ने माना कि यदि रेरा एक्ट (RERA Act.) के प्रावधानों और बैंक की वसूली के कानून में कोई विरोधाभास होता है तो रेरा एक्ट के प्रावधानों को प्रभावी माना जाएगा. सीजे अकील कुरैशी और जस्टिस उमाशंकर व्यास की खंडपीठ ने यह आदेश यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की ओर से दायर याचिका पर दिए.

यूनियन बैंक ने रेरा के उस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, जिसके तहत रेरा ने बैंक की नीलामी प्रक्रिया को रद्द कर इमारत का कब्जा रेरा को सौंपने के आदेश दिए थे. याचिकाकर्ता बैंक की ओर से कहा गया कि रेरा अधिनियम सिर्फ बिल्डर पर ही लागू होते हैं और बैंक बिल्डर या प्रमोटर की परिभाषा में नहीं आता. ऐसे में रेरा को बैंक के विरुद्ध आदेश पारित करने का अधिकार नहीं है. इसके साथ ही बैंक कर लोन वसूली की प्रक्रिया को रेरा की ओर से प्रभावित नहीं किया जा सकता.

पढ़ें : No Action on Trespassers in Bansur : अदालती आदेश की पालना नहीं करने पर SDO और तहसीलदार तलब

यह है मामला...

आवंटियों की ओर से पक्ष रखने वाले अधिवक्ता मोहित खंडेलवाल ने बताया कि सी-स्कीम के अशोक मार्ग स्थित निर्माणाधीन रिहायशी परिसर सनराइजर्स के डेवलपर ने वर्ष 2016 में प्रोजेक्ट को तत्कालीन आंध्रा बैंक को गिरवी रखकर 15 करोड़ रुपए का लोन लिया था. जबकि कई आवंटियों ने पूर्व में ही इस परिसर में अपने फ्लेट बुक करवा दिए थे. डेवलपर के लोन नहीं चुकाने पर बैंक ने पूरी इमारत को अपने कब्जे में लेकर इसकी नीलामी करना तय किया था. इसके विरुद्ध कई आवंटियों ने रेरा में याचिका पेश की थी. जिस पर सुनवाई करते हुए रेरा ने बैंक की नीलामी प्रक्रिया रद्द कर इमारत का कब्जा रेरा को सौंपने को कहा था.

जयपुर. अदालत ने माना कि यदि रेरा एक्ट (RERA Act.) के प्रावधानों और बैंक की वसूली के कानून में कोई विरोधाभास होता है तो रेरा एक्ट के प्रावधानों को प्रभावी माना जाएगा. सीजे अकील कुरैशी और जस्टिस उमाशंकर व्यास की खंडपीठ ने यह आदेश यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की ओर से दायर याचिका पर दिए.

यूनियन बैंक ने रेरा के उस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, जिसके तहत रेरा ने बैंक की नीलामी प्रक्रिया को रद्द कर इमारत का कब्जा रेरा को सौंपने के आदेश दिए थे. याचिकाकर्ता बैंक की ओर से कहा गया कि रेरा अधिनियम सिर्फ बिल्डर पर ही लागू होते हैं और बैंक बिल्डर या प्रमोटर की परिभाषा में नहीं आता. ऐसे में रेरा को बैंक के विरुद्ध आदेश पारित करने का अधिकार नहीं है. इसके साथ ही बैंक कर लोन वसूली की प्रक्रिया को रेरा की ओर से प्रभावित नहीं किया जा सकता.

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यह है मामला...

आवंटियों की ओर से पक्ष रखने वाले अधिवक्ता मोहित खंडेलवाल ने बताया कि सी-स्कीम के अशोक मार्ग स्थित निर्माणाधीन रिहायशी परिसर सनराइजर्स के डेवलपर ने वर्ष 2016 में प्रोजेक्ट को तत्कालीन आंध्रा बैंक को गिरवी रखकर 15 करोड़ रुपए का लोन लिया था. जबकि कई आवंटियों ने पूर्व में ही इस परिसर में अपने फ्लेट बुक करवा दिए थे. डेवलपर के लोन नहीं चुकाने पर बैंक ने पूरी इमारत को अपने कब्जे में लेकर इसकी नीलामी करना तय किया था. इसके विरुद्ध कई आवंटियों ने रेरा में याचिका पेश की थी. जिस पर सुनवाई करते हुए रेरा ने बैंक की नीलामी प्रक्रिया रद्द कर इमारत का कब्जा रेरा को सौंपने को कहा था.

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