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हिंदी स्कूलों को बंद करने के विरोध में आंदोलन, मातृभाषा को बचाने के लिए सड़कों पर उतरेंगे अभिभावक

प्रदेश में संचालित कई हिंदी स्कूलों को अंग्रेजी में कन्वर्ट करने के सरकार के फैसले के ​खिलाफ अब संयुक्त अभिभावक संघ भी खड़ा हो गया (Protest of converting Hindi schools in English Medium) है. संघ का कहना है कि अंग्रेजी समय की जरूरत है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि हिंदी के महत्व को खत्म कर दिया जाए. संघ ने हिंदी स्कूलों को बंद करने के खिलाफ सड़कों पर उतरने की बात कही है.

Protest of converting Hindi schools in English Medium, parents union wars agitation
हिंदी स्कूलों को बंद करने के विरोध में आंदोलन, मातृभाषा को बचाने के लिए सड़कों पर उतरेंगे अभिभावक
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Published : Jul 20, 2022, 9:30 PM IST

जयपुर. प्रदेश में लगातार हिंदी स्कूलों को बंद कर अंग्रेजी स्कूलों में कन्वर्ट किया जा रहा है. इसे लेकर अब संयुक्त अभिभावक संघ मैदान में उतरा है. संघ ने राजस्थान सरकार पर प्रदेश में निजी स्कूलों को बढ़ावा देने के लिए रास्ते खोजने का आरोप लगाया. साथ ही हिंदी स्कूलों को बंद करने के फैसले को मातृभाषा और देश की संस्कृति के खिलाफ बताते हुए सड़कों पर उतरने की चेतावनी (Parents union protest of schools conversion) दी.

संयुक्त अभिभावक संघ ने कहा कि अंग्रेजी वर्तमान समय की जरूरत है, लेकिन वो इस शर्त पर लागू नहीं होनी चाहिए कि हिंदी का ही महत्व खत्म कर दिया जाए. अगर देश से हिंदी का महत्व खत्म कर दिया गया, तो वो देश की संस्कृति और सभ्यता पर सीधा वार होगा. राजस्थान सरकार ने बीते दो साल में अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए प्रदेश में अंग्रेजी स्कूलों को खोलने की घोषणा तो कर दी, लेकिन सरकार ने कभी भी अपनी घोषणाओं में ये नहीं कहा था कि स्कूलों को कन्वर्ट किया जाएगा.

पढ़ें: 10 thousand posts will be recruited: गहलोत सरकार अंग्रेजी स्कूलों के लिए निकालेगी 10 हजार पदों पर भर्ती, 2 हजाए नए स्कूल खुलेंगे

संघ का कहना है कि अंग्रेजी स्कूल खोलने को लेकर नए नियम बनाए गए, उन नियमों के आधार पर स्कूलों में पहले से पढ़ रहे बच्चों की संख्या भी कम की जा रही है. उन्होंने कहा कि हिंदी स्कूलों के बंद होने से पूरे राजस्थान में करीबन 10 लाख से ज्यादा बच्चों की शिक्षा प्रभावित होगी. अगर हिंदी स्कूलों को बंद किया तो पूरे राजस्थान के प्रत्येक गांव, कस्बों और शहरों में आंदोलन होगा. ऐसे में अपनी मातृभाषा हिंदी को बचाने के लिए अभिभावक सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेगा.

पढ़ें: राजस्थान: महात्मा गांधी अंग्रेजी मीडियम स्कूलों में प्रवेश की संशोधित प्रक्रिया 15 जुलाई से होगी शुरू

वहीं संयुक्त अभिभावक संघ ने आरोप लगाया कि शिक्षा को बढ़ाने के नाम पर सरकार दिखावा कर रही है. स्कूलों में ना शिक्षा है, ना सुरक्षा है और ना टीचर है. ऐसे में बच्चों को शिक्षा कैसे मिलेगी. उन्होंने सवाल भी उठाया कि जब विधायकों के लिए पुराने आवास को तोड़ कर नए आवास बनाए जा सकते हैं, तो बच्चों की बेहतर शिक्षा के लिए हिंदी और अंग्रेजी स्कूलों के अलग-अलग भवन क्यों नहीं बनाए जा सकते.

जयपुर. प्रदेश में लगातार हिंदी स्कूलों को बंद कर अंग्रेजी स्कूलों में कन्वर्ट किया जा रहा है. इसे लेकर अब संयुक्त अभिभावक संघ मैदान में उतरा है. संघ ने राजस्थान सरकार पर प्रदेश में निजी स्कूलों को बढ़ावा देने के लिए रास्ते खोजने का आरोप लगाया. साथ ही हिंदी स्कूलों को बंद करने के फैसले को मातृभाषा और देश की संस्कृति के खिलाफ बताते हुए सड़कों पर उतरने की चेतावनी (Parents union protest of schools conversion) दी.

संयुक्त अभिभावक संघ ने कहा कि अंग्रेजी वर्तमान समय की जरूरत है, लेकिन वो इस शर्त पर लागू नहीं होनी चाहिए कि हिंदी का ही महत्व खत्म कर दिया जाए. अगर देश से हिंदी का महत्व खत्म कर दिया गया, तो वो देश की संस्कृति और सभ्यता पर सीधा वार होगा. राजस्थान सरकार ने बीते दो साल में अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए प्रदेश में अंग्रेजी स्कूलों को खोलने की घोषणा तो कर दी, लेकिन सरकार ने कभी भी अपनी घोषणाओं में ये नहीं कहा था कि स्कूलों को कन्वर्ट किया जाएगा.

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संघ का कहना है कि अंग्रेजी स्कूल खोलने को लेकर नए नियम बनाए गए, उन नियमों के आधार पर स्कूलों में पहले से पढ़ रहे बच्चों की संख्या भी कम की जा रही है. उन्होंने कहा कि हिंदी स्कूलों के बंद होने से पूरे राजस्थान में करीबन 10 लाख से ज्यादा बच्चों की शिक्षा प्रभावित होगी. अगर हिंदी स्कूलों को बंद किया तो पूरे राजस्थान के प्रत्येक गांव, कस्बों और शहरों में आंदोलन होगा. ऐसे में अपनी मातृभाषा हिंदी को बचाने के लिए अभिभावक सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेगा.

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वहीं संयुक्त अभिभावक संघ ने आरोप लगाया कि शिक्षा को बढ़ाने के नाम पर सरकार दिखावा कर रही है. स्कूलों में ना शिक्षा है, ना सुरक्षा है और ना टीचर है. ऐसे में बच्चों को शिक्षा कैसे मिलेगी. उन्होंने सवाल भी उठाया कि जब विधायकों के लिए पुराने आवास को तोड़ कर नए आवास बनाए जा सकते हैं, तो बच्चों की बेहतर शिक्षा के लिए हिंदी और अंग्रेजी स्कूलों के अलग-अलग भवन क्यों नहीं बनाए जा सकते.

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