जयपुर. 7 सूत्री मांगों को लेकर प्रोग्रेसिव स्कूल ओर्गेनाइजेशन राजस्थान की ओर से मंगलवार को जयपुर में पैदल मार्च निकाला गया. बीजेपी ऑफिस से सिविल लाइन तक पैदल मार्च निकालने की चेतावनी थी, लेकिन भारी पुलिस जाब्ते ने अनुमति नहीं होने का हवाला देते हुए सिविल लाइन कूच की अनुमति नहीं मिली.
इसके बाद निजी स्कूल संचालकों ने बीजेपी कार्यालय से शहीद स्मारक तक रैली निकाली. इस दौरान स्कूल संघ प्रदेशाध्यक्ष महेश शर्मा ने बताया कि पिछले डेढ़ सालों में छोटे निजी स्कूलों के आर्थिक हालात बहुत खराब हो गए हैं. ऐसे में सरकार इन स्कूलों की ओर ध्यान दे. इस साल करीब 4 हजार स्कूलों ने मान्यता के लिए आवेदन किया था, लेकिन इनमें से महज 350 स्कूलों को ही मान्यता दी गई.
जबकि राजस्व विभाग ने लैंड कंवर्जन पर छूट दी है. ऐसे करीब 41 स्कूलों को मान्यता दी गई है. उन्होंने सवाल किया कि दूसरे स्कूलों को मान्यता क्यों नहीं दी गई. इसके साथ ही आरटीई की राशि का भुगतान करने की मांग करते हुए 7 दिन का अल्टीमेटम दिया. मांग नहीं माने जाने पर निजी स्कूलों के लाखों शिक्षक और कर्मचारियों के साथ आंदोलन करने की चेतावनी दी.
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ये हैं प्रमुख मांगें
विगत सत्रों 2017-18 / 2018-19 / 2019-20 की बकाया RTE पुर्नभरण राशि का क्लेम बिल जनरेट करें और शैक्षणिक सत्र 2020-21 में RTE में अध्ययनरत विद्यार्थियों का बिना भौतिक सत्यापन के पुर्नभरण राशि के भुगतान की स्वीकृति जारी हो. शैक्षणिक सत्र 2020-21 तक नवीन मान्यता कमोन्नती अतिरिक्त माध्यम, अतिरिक्त विषय, स्थान नाम परिवर्तन के लिए आवेदन करने वाली समस्त संस्थाओं को लैंड कनवर्जन नियमों में शिथिलन देकर उनके द्वारा पूर्व अदा शुल्क को आधार मानकर दोबारा आवेदन लेकर मान्यता जारी की जाये.
जिन गैर सरकारी स्कूलों को कृषि विज्ञान को विज्ञान संकाय में शामिल कर शिक्षा विभाग के आदेश पर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा विषय के रूप में मान्यता प्रदान की गयी थी, अब शिक्षा विभाग दोबारा कृषि विज्ञान को संकाय के रूप में मान्यता का आदेश जारी कर चुका है. ऐसी मान्यता स्कूलों को कृषि संकाय की मान्यता प्रदान की जाए. माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान से अस्थाई और स्थाई सम्बद्धता के लिए विलम्ब शुल्क के रूप में लगने वाली पेनल्टी को मासिक की जगह वार्षिक कर संस्थाओं से भुगतान के बाद उनको अस्थाई और स्थाई सम्बद्धता प्रमाण पत्र जारी हो, साथ ही शैक्षणिक सत्र अन्तराल शुल्क माफ किया जाए.
नियमित अध्ययनरत विद्यार्थियों का प्रवेश टीसी स्थानान्तरण पत्र से ही वैद्य माना जाए, सत्र 2021-22 की RTE प्रवेश प्रक्रिया शुरू की जाए ताकि दुर्बल और असुविधाग्रस्त बालकों को निजि स्कूलों में पढ़ने का अवसर मिले, शैक्षणिक सत्र 2020-21 में RTE में निशुल्क अध्ययनरत विद्यार्थियों की रेड लाइन को हटाकर पुर्नभरण राशि का बिल जनरेट किया जाए.