जयपुर. एक तरफ कोरोना महामारी ने जिंदगी की रफ्तार को धीमी कर दी है और अब पूरे देश में बढ़ते पेट्रोल और डीजल के दामों ने गाड़ियों की रफ्तार पर ब्रेक लगा दी. लगातार बढ़ रहे पेट्रोल और डीजल के दामों पर सियासत भी तेज हो रही है. वहीं दूसरी और अब प्राइवेट बस ऑपरेटर्स एसोसिएशन के द्वारा भी बढ़ते दामों को लेकर लगातार विरोध किया जा रहा है.
राजधानी में प्राइवेट बस ऑपरेटर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष कैलाश चंद शर्मा ने बताया कि कोविड-19 की वजह से लॉकडाउन की अवधि में केंद्र और राज्य सरकार ने महामारी को देखते हुए समस्त यात्री बसों का संचालन बंद कर दिया था. जोकि 2 महीने और 10 दिन तक बंद रहा था और एक तारीख से दोबारा से यात्री बसों का संचालन शुरू हो गया है. इसके साथ ही उनको अनुमति मिल गई है, लेकिन अनुमति मिलने के बाद जब मार्गों पर बस मालिकों ने बस चलाकर देखा तो वहां पर यात्रीभार ना के बराबर मिला.
उसके बाद भी प्राइवेट बस ऑपरेटर्स आमजन की समस्याओं को देखते हुए फिर भी बस चला रहे हैं. कैलाश चंद शर्मा ने कहा कि, केंद्र के द्वारा लगातार पेट्रोल और डीजल के दामों को बढ़ाकर ट्रांसपोर्टर्स को काफी परेशानी का सामना भी करना पड़ रहा है. कैलाश चंद शर्मा ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार दोनों को डीजल और पेट्रोल के दामों में कटौती करनी चाहिए.
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शर्मा ने बताया कि केंद्र और राज्य सरकार पेट्रोल और डीजल के दामों में इतनी कटौती तो करें, जिससे प्राइवेट बसों पर इसका व्यापक असर ना पड़े. शर्मा ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार से ट्रांसपोर्टर्स यही मांग करते हैं कि डीजल के दामों में टैक्स वृद्धि को कम किया जाए. जिससे यात्री बसें, ट्रक, टेंपो और टैक्सी जैसे छोटे-बड़े जो भी कमर्शियल वाहन संसाधन है वह राज्य में चल सके. उन्होंने कहा कि इससे उनको राहत मिल सके और उनको राहत मिलने की वजह से वह जनता की सेवा भी कर सकेंगे.