जयपुर. पुजारी शंभू शर्मा की मौत मामले में भड़की सियासत अब महुआ से जयपुर तक पहुंच चुकी है. गुरुवार को इस मामले में अचानक भाजपा के नेता सिविल लाइन फाटक पहुंचे और वहां प्रदर्शन कर धरने पर बैठ गए. जैसे ही राज्यसभा सांसद किरोड़ी मीणा शव को लेकर जयपुर के सिविल लाइन फाटक पहुंचे तो अधिकारी भी सक्रिय हो गए.
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इसके बाद शाम 4:30 बजे भाजपा के 9 प्रतिनिधियों और ब्राह्मण समाज के 2 प्रतिनिधियों को वार्ता के लिए राजस्व मंत्री हरीश चौधरी के निवास पर बुलाया गया. करीब 1 घंटे चली वार्ता अंत में असफल रही. इसके बाद भाजपा नेताओं ने साफ कर दिया कि जब तक उनकी मांग नहीं मानी जाती है तब तक वे धरने से नहीं उठेंगे.
भाजपा नेताओं ने कहा कि बॉडी को जयपुर में मुख्यमंत्री की नाक के नीचे लाकर रखी तब जाकर प्रशासन जागा ओर वार्ता के लिए तैयार हुआ. मुख्यमंत्री ने हरीश चौधरी को बात करने के लिए अधिकृत किया, लेकिन यहां आने के बाद हमें पता लगा कि सरकार की मंशा नकारात्मक है और वो इस मसले को सुलझाना नहीं चाहते.
उन्होंने कहा कि इस मसले में सरकार उन गलती करने वाले अधिकारियों को प्रश्रय दे रही है. हमारी मांग है कि एडीएम, ईओ और तहसीलदार को वहां से हटाया जाए ताकि जो जांच बैठे वो ईमानदारी से हो, लेकिन यहां आने के बाद मंत्री का रुख देखने से पता लगा कि सरकार की मंशा मामला सुलझाने की नहीं है. भाजपा नेताओं ने साफ कर दिया कि अब चाहे कितने भी दौर की वार्ता हो हमारा धरना जारी रहेगा.
वहीं, पूर्व भाजपा प्रदेशाध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी ने कहा कि बातचीत के बाद लगा कि राजनीति हावी है. जो जिम्मेदार अधिकारी है उनको हटाने की मांग को सरकार हटाने को तैयार नहीं है. उन्होंने कहा कि एडीएम लोकेश मीणा को बचाने के लिए प्रयास हो रहे हैं. हमारी मांग है कि प्रदेश में जितनी भी मंदिर माफी की जमीन है उन पर से कब्जा हटाया जाए और सरकार ऑर्डिनेंस लाकर इसपर कानून बनाएं.