जयपुर. राष्ट्रपति पद के चुनाव में एनडीए प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू के नामांकन में राजस्थान से जनजाति समाज के 5 भाजपा विधायक प्रस्तावकों के रूप में शामिल किए गए थे. भाजपा ने मुर्मू के जरिए आदिवासी कार्ड (Tribal Card in Presidential Election) खेला है, जिसका असर साल 2023 में होने वाले राजस्थान विधानसभा चुनाव में भी पड़ने की उम्मीद भाजपा नेताओं को है. हालांकि, भाजपा नेता द्रौपदी मुर्मू को प्रत्याशी बनाए जाने के मामले को वोट बैंक पॉलिटिक्स से जोड़कर नहीं देखने की बात कहते हैं. लेकिन साथ ही यह भी कहते हैं कि जनजातीय लोगों में भरोसा पैदा करने के चलते ही यह निर्णय लिया गया है.
राजस्थान में साल 2023 के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं. प्रदेश में अनुसूचित जनजाति की 25 रिजर्व सीट हैं. वहीं, मौजूदा विधायकों की बात की जाए तो 200 में से 33 विधायक आदिवासी और जनजाति क्षेत्र के ही हैं. ऐसे में भाजपा ने आदिवासी समाज से आने वाली द्रौपदी मुर्मू को (Presidential Election 2022) राष्ट्रपति पद के लिए प्रत्याशी बनाकर जनजाति और आदिवासी समाज को भाजपा से जोड़ने के मकसद से आदिवासी कार्ड खेला है.
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया का कहना है कि कांग्रेस की तरह (Poonia Targets Congress) हर निर्णय को वोट बैंक से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए. लेकिन समाज में भरोसा पैदा करने के लिए भी समय समय पर संदेश देना होता है. पूनिया के अनुसार लोकतंत्र बहुल्यवादी है और इसकी यही खासियत है कि यहां हर रंग और छटा के लोग हैं. लोकतंत्र में अच्छी जिम्मेदारी मिले और सही जगह सुशोभित किया जाए तो देश के लोगों में भरोसा पैदा होता है. यही निर्णय प्रधानमंत्री ने द्रौपदी मुर्मू के रूप में लिया है.
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आदिवासी क्षेत्रों में बीजेपी की पकड़ को मजबूती मिलने की उम्मीदः आदिवासी क्षेत्रों में भाजपा की पकड़ पहले की तुलना में कमजोर हुई है. पिछले विधानसभा चुनाव में भारतीय ट्राइबल पार्टी के मैदान में आने और चुनाव में 2 सीटों पर कब्जा जमाने के बाद बीजेपी इस बात को भांप चुकी थी कि पार्टी अब आदिवासी समाज में अपनी पकड़ मजबूत नहीं रख पा रही. लेकिन अब राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू को प्रत्याशी बनाकर भाजपा ने आदिवासी कार्ड खेला है. साथ ही नामांकन में प्रस्तावक के रूप में 5 भाजपा विधायकों को शामिल करते हुए बड़ा सियासी संदेश दिया है. वर्तमान में राजस्थान में जनजाति समाज के 33 विधायक हैं. जिनमें से 17 कांग्रेस के और 9 विधायक भाजपा के हैं. जबकि 7 विधायक अन्य पार्टी से और निर्दलीय हैं.