जयपुर. कोरोना महामारी ने इंसानी जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है. लेकिन संकट की इस घड़ी में लगे लॉकडाउन का हमारे पर्यावरण पर सकारात्मक असर देखने को मिल रहा है. इंसान घर में तो कैद है, लेकिन शुद्ध सांस ले रहा है. सड़कों पर वाहन जहर नहीं उगल रहे. आसमान साफ है और प्रकृति मुस्कुरा रही है.
ऐसे में यह सवाल उठता है कि लॉकडाउन से निखरा प्रकृति का यह स्वरूप क्या इसके बाद भी यूं ही बरकरार रहेगा. पर्यावरण विद् बाबूलाल जाजू की मानें तो लॉकडाउन ने मानव जीवन को बहुत कुछ दिया है. वाहनों की रेलम पेल बंद होने से प्रकृति को काफी राहत मिली है. बाबूलाल जाजू ने सरकार से मांग की है कि सप्ताह में एक दिन वाहनों का संचालन बंद होना चाहिए.
इन दिनों गंगा का पानी स्वच्छ हो गया है और चंबल साफ हो गई है. वहीं हवा साफ हुई तो शहरों से दूरदराज की पहाड़ियां भी दिखने लग गईं हैं. धुंध और स्मोक से धुंधला दिखने वाला इंडिया गेट साफ दिखने लग गया. इस दौरान हर शहर का पर्टिकुलेट मैटर भी 2.5 नीचे आ गया है. लॉकडाउन के बाद पेट्रोलियम की बर्बादी कम हो रही है और पानी का दोहन भी कम हो रहा है.
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वहीं इन दिनों वन्यजीवों के सड़क पर उतर आने की तस्वीरें और विडियो भी लगातार सामने आ रहे हैं. वन्यजीव संरक्षणकर्ता एवं वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर अनिल रोजर्स ने बताया कि लॉकडाउन में उन्होंने बटरफ्लाइज की 15 प्रजातियों को उदयपुर स्थित घर में रिकॉर्ड किया है. अब तक कुल 43 प्रजातियों को रिकॉर्ड कर चुके हैं. वहीं भीलवाड़ा से प्रोफेसर वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर डॉ. अनिल त्रिपाठी ने भी लगभग 8 से 10 तितली की प्रजातियों को घर में रिकॉर्ड किया है. वह भी भीलवाड़ा से कुल 40 से अधिक प्रजातियां रिकॉर्ड कर चुके हैं. वहीं जयपुर से भी कई वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर घर से लिए गए पक्षियों के फोटोज सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं.