जयपुर. राज्य बजट में घरेलू उपभोक्ताओं को 50 यूनिट तक बिजली फ्री देने और इससे अधिक पर कुछ अनुदान देने की योजना का सरकार ने सियासी लाभ लेने के लिए बिजली बिलों पर मुख्यमंत्री की फोटो के साथ इसका विज्ञापन भी शुरू कर दिया है. ऐसा होना लाजमी भी था, लेकिन बीजेपी ने इस पर (Politics on Power Crisis in Rajasthan) आपत्ति जताई है. बीजेपी का कहना है कि केवल 50 यूनिट फ्री बिजली देने का ही नहीं, बल्कि प्रदेश में चल रहे बिजली संकट और पावर कट का श्रेय भी मुख्यमंत्री को लेना चाहिए.
दरअसल, हाल ही में जयपुर डिस्कॉम की ओर से जारी हुए बिजली के बिलों पर मुख्यमंत्री घरेलू विद्युत अनुदान योजना और मुख्यमंत्री किसान मित्र योजना को लेकर विज्ञापन प्रदर्शित किया गया है. इसमें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का फोटो भी लगाया गया है. मतलब हर बिजली उपभोक्ताओं के घर सरकार की इन दोनों योजनाओं को पहुंचाने और सियासी रूप से इसका फायदा लेने की जुगत सरकार ने की है. लेकिन इस पर सियासत भी शुरू हो गई. भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री रहे अरुण चतुर्वेदी और जयपुर शहर भाजपा उपाध्यक्ष अनिल शर्मा ने इस मामले में प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री पर तंज कसा है.
केवल सियासी लाभ नहीं, नैतिक जिम्मेदारी भी लें सीएम : भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी ने कहा कि मुख्यमंत्री का यह स्वभाव हो चुका है कि केवल घोषणाएं करो, लेकिन काम (Arun Chaturvedi on CM Gehlot) कुछ मत करो. चतुर्वेदी ने कहा कि 50 यूनिट तक बिजली फ्री देने की योजना का श्रेय तो मुख्यमंत्री लेते हैं, लेकिन देशभर में जो सर्वाधिक महंगी बिजली राजस्थान के उपभोक्ताओं को मिल रही है और बिजली संकट के बीच जो पावर कट लगाया जा रहा है, उसके बारे में भी मुख्यमंत्री को श्रेय और जिम्मेदारी लेनी चाहिए.
वहीं, जयपुर शहर भाजपा उपाध्यक्ष अनिल शर्मा के अनुसार केवल 50 यूनिट बिजली फ्री देने और उसकी वाहवाही लेने से ही उपभोक्ताओं को राहत नहीं मिलती, क्योंकि आज बिजली कटौती घरेलू उपभोक्ताओं के साथ औद्योगिक इकाइयों और किसानों को मिलने वाली बिजली में भी की जा रही है. उससे जो नुकसान हो रहा है, उसका श्रेय भी मुख्यमंत्री को लेना चाहिए, साथ ही मुख्यमंत्री के पास वह विभाग भी है. पिछले दिनों करौली और जोधपुर में जिस प्रकार की हिंसा हुई, उसकी नाकामी की जिम्मेदारी भी मुख्यमंत्री को ही लेना चाहिए.
शर्मा ने कहा कि हालात इस कदर खराब हो चुके हैं कि प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री के पुत्र पर (Allegation of Rape Against Mahesh Joshi Son) बलात्कार और ब्लैकमेलिंग के मामले दिल्ली में दर्ज हो रहे हैं. क्योंकि पीड़िता को राजस्थान में अपनी जान का भी खतरा है और न्याय मिलने की उम्मीद भी नहीं है. ऐसे में मुख्यमंत्री को इसकी भी जिम्मेदारी लेते हुए अपने मंत्री का इस्तीफा लेना चाहिए.