जयपुर. पूर्व सीएम को आजीवन सुविधाएं देने संबंधी कानून पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा सरकार की एसएलपी खारिज करने का मामला सुर्खियों में है. प्रदेश सरकार में उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का स्वागत किया और साथ ही यह भी कहा कि अब जब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एसएलपी खारिज करके अपनी मंशा जता दी है, तो सरकार को भी इसकी पालना करनी चाहिए.
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट ने कहा कि विधानसभा में जब कानून बना था तब सरकार ने विपक्ष में रहते हुए कानून का विरोध किया था और हाईकोर्ट के निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया था. उन्होंने इस मामले को विरोधाभास भी बताया लेकिन सुप्रीम कोर्ट का निर्णय मानना पड़ेगा.
पायलट ने कहा कि विपक्ष में रहते हुए इस बात को रखा था और दिग्गज नेता घनश्याम तिवाड़ी ने जब बीजेपी छोड़ी थी तब उन्होंने भी इस बात को रखी थी और हम आज भी उस बात पर कायम है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट का जो निर्णय है उसकी पालना की जाएगी.
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सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश के पूर्व सीएम को आजीवन सरकारी बंगला, ड्राइवर और वाहन सहित नौ जनों का स्टाफ मैया कराने के संशोधित कानून मामले में हाईकोर्ट के आदेश में दखल से इनकार करते हुए राज्य सरकार की एसएलपी खारिज कर दी है.
जानकारी के अनुसार हाईकोर्ट ने 4 सितंबर 2019 को मिलापचंद डांडिया और विजय भंडारी की जनहित याचिकाओं को मंजूर कर राज्य सरकार के पूर्व सीएम को सुविधाएं देने वाले संशोधित कानून को रद्द कर दिया था. हाईकोर्ट के इस आदेश को राज्य सरकार ने एसएलपी के जरिए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
वहीं दूसरी और आदेश का पालन नहीं होने पर प्रार्थी ने हाईकोर्ट में राज्य सरकार और मुख्य सचिव डीबी गुप्ता के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की थी. हाईकोर्ट ने अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए नवंबर महीने में राज्य सरकार और मुख्य सचिव को अवमानना नोटिस जारी कर जवाब मांगा था.