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Phone Tapping Case: ट्विटर विवाद के बाद फिर चर्चा में सीएम OSD लोकेश, फोन टैपिंग मामले में पहुंचेंगे दिल्ली

ट्विटर पर अपने पोस्ट से चर्चित हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) के ओएसडी लोकेश शर्मा (OSD Lokesh Sharma) आज दिल्ली जायेंगे. फोन टैपिंग मामले (Phone Tapping Case) में उन्हें कल (22 अक्टूबर 2021) दिल्ली क्राइम ब्रांच के सामने पेश होना है.

Phone Tapping Case
ट्विटर विवाद के बाद फिर चर्चा में सीएम OSD लोकेश
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Published : Oct 21, 2021, 11:07 AM IST

Updated : Oct 21, 2021, 2:14 PM IST

जयपुर: अपने Tweets को लेकर अकसर चर्चा का सबब बने रहने वाले लोकेश शर्मा फिर सुर्खियों मे हैं. इस बार वजह ट्वीट नहीं बल्कि फोन टैपिंग का जिन्न है. जो बोतल से बाहर कुछ यूं निकला है कि लोकेश शर्मा को दिल्ली का रुख करना पड़ा है. बहुचर्चित Phone Tapping Case जिसमें विधायकों, सांसदों और जनप्रतिनिधियों की बातें टैप करने का आरोप था. बताया जा रहा है कि ईमेल के जरिए दिल्ली क्राइम ब्रांच ने उन्हें पूछताछ का नोटिस भेजा था जिस पर दिल्ली जाने के लिए लोकेश शर्मा ने सहमति दे दी है.

सुर्खियों में ट्वीट्स

हाल ही में लोकेश शर्मा ने केंद्रीय मंत्री बघेल के एक बयान को लेकर ट्विटर पर निशाना साधा था. अभी इसकी आंच धीमी भी नहीं पड़ी थी कि बीते दिनों उन्होंने एक और धमाकेदार ट्वीट किया. इस ट्वीट में नसीहत भरा पैगाम छिपा था. मुद्दा सीएम गहलोत के दिल्ली दौरे के दौरान राहुल गांधी से मुलाकात को लेकर था. उन्होंने ट्विटर पर इसे सिरे से खारिज किया. इससे पहले चर्चा में शुमार तब हुए जब शायराना अंदाज में - 'नया 9 दिन चले, सौ दिन चले पुराना बहुत मुश्किल है, इस जमाने में भरोसेमंद मिल जाना' वाली पोस्ट की. ये नवजोत सिंह सिद्धू बनाम अमरिंदर मसले पर था. इसके बाद उनके इस्तीफे की पेशकश की भी खबर आई थी.

ये भी पढ़ें-मुख्यमंत्री के ओएसडी ने कहा राहुल से नहीं, सचिन पायलट की शिकायत सुनने वाली कमेटी से मिले थे गहलोत

फोन टैपिंग मामले में हाईकोर्ट से मिली राहत

फोन टैपिंग मामले में दिल्ली हाईकोर्ट में 3 बार सुनवाई हो चुकी है. आखिरी सुनवाई के बाद OSD लोकेश शर्मा को राहत दी गई. कोर्ट ने उनके खिलाफ 13 जनवरी तक कोई कार्रवाई नहीं करने का आदेश दिया था. लोकेश शर्मा ने अपने खिलाफ दर्ज FIR को निरस्त करने की मांग की है. दरअसल लोकेश शर्मा के खिलाफ केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने पिछले 26 मार्च को फोन टैपिंग का आरोप लगाते हुए दिल्ली में FIR दर्ज कराई थी.

राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ कांग्रेस नेताओं की बगावत के समय शेखावत का नाम आया था. केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री की ओर से दर्ज शिकायत में कहा गया कि 17 जुलाई 2020 को कई मीडिया चैनल पर एक टेलिफोनिक कन्वर्सेशन (Telephonic Conversation) चलाया गया. यह MLA भंवर सिंह, संजय जैन और शिकायतकर्ता के बीच की बातचीत का बताया गया. यह कॉल अवैध तरीके से रिकॉर्ड की गई थी, जो उनकी निजता का हनन है.

एक तरफ जहां राजस्थान के मुख्य सचिव का दावा था कि उन्होंने इस टेलिफोनिक इंटरसेप्शन के लिए इजाजत नहीं दी. वहीं, मीडिया हाउस ने नोटिस के जवाब में बताया कि मुख्यमंत्री के OSD लोकेश शर्मा ने ही ऑडियो क्लिप उन्हें दी थी. राजनीति के तहत उनकी इस बातचीत का इस्तेमाल किया गया.

क्या है फोन टैपिंग विवाद

राजस्थान में भूचाल ला देने वाला फोन टैपिंग विवाद बीते साल (2020) सुर्खियों में रहा था. इस बीच सत्ता परिवर्तन की सुगबुगाहट के चलते प्रदेश के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट अपने 19 विधायकों को लेकर बगावत पर उतर आए थे. पायलट को उपमुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष दोनों पद गंवाने पड़े थे. इस बगावत के बाद अगस्त 2020 के विधानसभा सत्र में कालीचरण सराफ के सवाल का जवाब देते हुए सरकार ने फोन टैपिंग की बात स्वीकार की थी. इसके बाद विपक्ष ने मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग की थी.

केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत इस मामले को लेकर हमलावर हुए और बाद में उन्होंने निजता के हनन सहित कई आरोप लगाते हुए लेकर राज्य सरकार, सीएम के ओएसडी और पुलिस अफसरों के खिलाफ दिल्ली में एफआईआर दर्ज करवाई थी. इस एफआईआर में उन्होंने विधानसभा में शांति धारीवाल के जवाब को आधार बनाया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि ऑडियो मुख्यमंत्री के ओएसडी ने वायरल किए थे.

क्या था ऑडियो में

दरअसल, इस ऑडियो में किसी संजय जैन नाम के शख्स की कथित कांग्रेस विधायक भंवरलाल शर्मा के बीच बातचीत रिकॉर्ड थी. इस बातचीत में कई बार कथित तौर पर गजेंद्र सिंह नाम का भी लिया गया था. इसी रिकॉर्डिंग को लेकर विधानसभा के मुख्य सचेतक महेश जोशी ने एसीबी और एसओजी में सरकार गिराने की साजिश को लेकर एफआईआर दर्ज कराई थी. बीती 26 जुलाी को इस मामले में मुख्य आरोपी संजय जैन ने अतिरिक्त मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट में वॉयस सैंपल देने से इनकार कर दिया है. प्रकरण में सुनवाई के दौरान आरोपी संजय जैन अपने अधिवक्ता के साथ अदालत मेंं पेश हुआ.

जयपुर: अपने Tweets को लेकर अकसर चर्चा का सबब बने रहने वाले लोकेश शर्मा फिर सुर्खियों मे हैं. इस बार वजह ट्वीट नहीं बल्कि फोन टैपिंग का जिन्न है. जो बोतल से बाहर कुछ यूं निकला है कि लोकेश शर्मा को दिल्ली का रुख करना पड़ा है. बहुचर्चित Phone Tapping Case जिसमें विधायकों, सांसदों और जनप्रतिनिधियों की बातें टैप करने का आरोप था. बताया जा रहा है कि ईमेल के जरिए दिल्ली क्राइम ब्रांच ने उन्हें पूछताछ का नोटिस भेजा था जिस पर दिल्ली जाने के लिए लोकेश शर्मा ने सहमति दे दी है.

सुर्खियों में ट्वीट्स

हाल ही में लोकेश शर्मा ने केंद्रीय मंत्री बघेल के एक बयान को लेकर ट्विटर पर निशाना साधा था. अभी इसकी आंच धीमी भी नहीं पड़ी थी कि बीते दिनों उन्होंने एक और धमाकेदार ट्वीट किया. इस ट्वीट में नसीहत भरा पैगाम छिपा था. मुद्दा सीएम गहलोत के दिल्ली दौरे के दौरान राहुल गांधी से मुलाकात को लेकर था. उन्होंने ट्विटर पर इसे सिरे से खारिज किया. इससे पहले चर्चा में शुमार तब हुए जब शायराना अंदाज में - 'नया 9 दिन चले, सौ दिन चले पुराना बहुत मुश्किल है, इस जमाने में भरोसेमंद मिल जाना' वाली पोस्ट की. ये नवजोत सिंह सिद्धू बनाम अमरिंदर मसले पर था. इसके बाद उनके इस्तीफे की पेशकश की भी खबर आई थी.

ये भी पढ़ें-मुख्यमंत्री के ओएसडी ने कहा राहुल से नहीं, सचिन पायलट की शिकायत सुनने वाली कमेटी से मिले थे गहलोत

फोन टैपिंग मामले में हाईकोर्ट से मिली राहत

फोन टैपिंग मामले में दिल्ली हाईकोर्ट में 3 बार सुनवाई हो चुकी है. आखिरी सुनवाई के बाद OSD लोकेश शर्मा को राहत दी गई. कोर्ट ने उनके खिलाफ 13 जनवरी तक कोई कार्रवाई नहीं करने का आदेश दिया था. लोकेश शर्मा ने अपने खिलाफ दर्ज FIR को निरस्त करने की मांग की है. दरअसल लोकेश शर्मा के खिलाफ केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने पिछले 26 मार्च को फोन टैपिंग का आरोप लगाते हुए दिल्ली में FIR दर्ज कराई थी.

राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ कांग्रेस नेताओं की बगावत के समय शेखावत का नाम आया था. केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री की ओर से दर्ज शिकायत में कहा गया कि 17 जुलाई 2020 को कई मीडिया चैनल पर एक टेलिफोनिक कन्वर्सेशन (Telephonic Conversation) चलाया गया. यह MLA भंवर सिंह, संजय जैन और शिकायतकर्ता के बीच की बातचीत का बताया गया. यह कॉल अवैध तरीके से रिकॉर्ड की गई थी, जो उनकी निजता का हनन है.

एक तरफ जहां राजस्थान के मुख्य सचिव का दावा था कि उन्होंने इस टेलिफोनिक इंटरसेप्शन के लिए इजाजत नहीं दी. वहीं, मीडिया हाउस ने नोटिस के जवाब में बताया कि मुख्यमंत्री के OSD लोकेश शर्मा ने ही ऑडियो क्लिप उन्हें दी थी. राजनीति के तहत उनकी इस बातचीत का इस्तेमाल किया गया.

क्या है फोन टैपिंग विवाद

राजस्थान में भूचाल ला देने वाला फोन टैपिंग विवाद बीते साल (2020) सुर्खियों में रहा था. इस बीच सत्ता परिवर्तन की सुगबुगाहट के चलते प्रदेश के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट अपने 19 विधायकों को लेकर बगावत पर उतर आए थे. पायलट को उपमुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष दोनों पद गंवाने पड़े थे. इस बगावत के बाद अगस्त 2020 के विधानसभा सत्र में कालीचरण सराफ के सवाल का जवाब देते हुए सरकार ने फोन टैपिंग की बात स्वीकार की थी. इसके बाद विपक्ष ने मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग की थी.

केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत इस मामले को लेकर हमलावर हुए और बाद में उन्होंने निजता के हनन सहित कई आरोप लगाते हुए लेकर राज्य सरकार, सीएम के ओएसडी और पुलिस अफसरों के खिलाफ दिल्ली में एफआईआर दर्ज करवाई थी. इस एफआईआर में उन्होंने विधानसभा में शांति धारीवाल के जवाब को आधार बनाया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि ऑडियो मुख्यमंत्री के ओएसडी ने वायरल किए थे.

क्या था ऑडियो में

दरअसल, इस ऑडियो में किसी संजय जैन नाम के शख्स की कथित कांग्रेस विधायक भंवरलाल शर्मा के बीच बातचीत रिकॉर्ड थी. इस बातचीत में कई बार कथित तौर पर गजेंद्र सिंह नाम का भी लिया गया था. इसी रिकॉर्डिंग को लेकर विधानसभा के मुख्य सचेतक महेश जोशी ने एसीबी और एसओजी में सरकार गिराने की साजिश को लेकर एफआईआर दर्ज कराई थी. बीती 26 जुलाी को इस मामले में मुख्य आरोपी संजय जैन ने अतिरिक्त मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट में वॉयस सैंपल देने से इनकार कर दिया है. प्रकरण में सुनवाई के दौरान आरोपी संजय जैन अपने अधिवक्ता के साथ अदालत मेंं पेश हुआ.

Last Updated : Oct 21, 2021, 2:14 PM IST
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