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Rajasthan Phone Tapping Case : सीएम गहलोत के OSD ने केंद्रीय मंत्री शेखावत की FIR को दिल्ली हाईकोर्ट में दी चुनौती, सुनवाई आज - Gajendra Singh shekhawat FIR Phone tapping case

राजस्थान के फोन टैपिंग विवाद (Rajasthan Phone tapping case) पर एक बार फिर सियासी हलचल शुरू हो गई है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के ओएसडी लोकेश शर्मा (OSD Lokesh Sharma) ने केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत (Gajendra Singh Shekhawat) की एफआईआर को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है. लोकेश शर्मा ने अपनी याचिका के जरिए मामले को राजस्थान में ट्रांसफर करने की मांग की है. इस याचिका पर आज दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है.

Phone Tapping Case Rajasthan
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Published : Jun 3, 2021, 8:26 AM IST

Updated : Jun 3, 2021, 9:37 AM IST

जयपुर. राजस्थान की राजनीति में एक बार फिर फोन टैपिंग (Phone Tapping Case Rajasthan) का जिन्न बोतल से बाहर निकलने लगा है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ओएसडी लोकेश शर्मा ने फोन टैपिंग से जुड़े प्रकरण में दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर कर मामले को राजस्थान हाई कोर्ट में ट्रांसफर करने की मांग की है. लोकेश शर्मा ने एफआईआर के क्षेत्राधिकार और कई तकनीकी पहलुओं के आधार पर चुनौती दी है.

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दरअसल पिछले साल सचिन पायलट खेमे की बगावत के समय राजस्थान सरकार पर फोन टैपिंग के आरोप लगे थे. केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के परिवाद के बाद 25 मार्च को दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एफआईआर दर्ज की थी. एफआईआर में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत (Gajendra Singh Shekhawat) ने जनप्रतिनिधियों के फोन टैप करने और उनकी छवि खराब करने का आरोप लगाया था. केन्द्रीय मंत्री की इस FIR में सीएम गहलोत के ओएसडी लोकेश शर्मा समेत अज्ञात पुलिस अफसरों को भी आरोपी बनाया गया था. इस मामले में दिल्ली क्राइम ब्रांच अभी जांच कर रही है.

सीएम के ओएसडी लोकेश शर्मा ने अपनी याचिका मेंं एफआईआर के क्षेत्राधिकार को भी चुनौती दी है. याचिका में तर्क दिया है कि फोन टैपिंग मामले में राजस्थान में पहले से ही एफआईआर दर्ज है, जिस पर जांच चल रही है, इसलिए उसी मामले में राजस्थान से बाहर एफआईआर का औचित्य नहीं है. याचिका में यह भी तर्क दिया गया है कि अगर एफआईआर को रद्द नहीं भी की जाती है तो इसे जीरो एफआईआर मानते हुए राजस्थान ट्रांसफर किया जाए.

क्या है फोन टैपिंग विवाद (Phone Tapping Case)

राजस्थान में भूचाल ला देने वाला फोन टैपिंग विवाद बीते साल सुर्खियों में रहा था. इस बीच सत्ता परिवर्तन की सुगबुगाहट के चलते प्रदेश के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट अपने 19 विधायकों को लेकर बगावत पर उतर आए थे. पायलट को उपमुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष दोनों पद गंवाने पड़े थे. इस बगावत के बाद अगस्त 2020 के विधानसभा सत्र में कालीचरण सराफ के सवाल का जवाब देते हुए सरकार ने फोन टैपिंग की बात स्वीकार की थी. इसके बाद विपक्ष ने मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग की थी.

पढे़ंः बड़ा फैसला : राजस्थान में 10वीं और 12वीं बोर्ड की परीक्षा रद्द...शिक्षा राज्य मंत्री ने की घोषणा

केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत इस मामले को लेकर हमलावर हुए और बाद में उन्होंने निजता के हनन सहित कई आरोप लगाते हुए लेकर राज्य सरकार, सीएम के ओएसडी और पुलिस अफसरों के खिलाफ दिल्ली में एफआईआर दर्ज करवाई थी. इस एफआईआर में उन्होंने विधानसभा में शांति धारीवाल के जवाब को आधार बनाया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि ऑडियो मुख्यमंत्री के ओएसडी ने वायरल किए थे.

क्या था ऑडियो में

दरअसल, इस ऑडियो में किसी संजय जैन नाम के शख्स की कथित कांग्रेस विधायक भंवरलाल शर्मा के बीच बातचीत रिकॉर्ड थी. इस बातचीत में कई बार कथित तौर पर गजेंद्र सिंह नाम का भी लिया गया था. इसी रिकॉर्डिंग को लेकर विधानसभा के मुख्य सचेतक महेश जोशी ने एसीबी और एसओजी में सरकार गिराने की साजिश को लेकर एफआईआर दर्ज कराई थी.

जयपुर. राजस्थान की राजनीति में एक बार फिर फोन टैपिंग (Phone Tapping Case Rajasthan) का जिन्न बोतल से बाहर निकलने लगा है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ओएसडी लोकेश शर्मा ने फोन टैपिंग से जुड़े प्रकरण में दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर कर मामले को राजस्थान हाई कोर्ट में ट्रांसफर करने की मांग की है. लोकेश शर्मा ने एफआईआर के क्षेत्राधिकार और कई तकनीकी पहलुओं के आधार पर चुनौती दी है.

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दरअसल पिछले साल सचिन पायलट खेमे की बगावत के समय राजस्थान सरकार पर फोन टैपिंग के आरोप लगे थे. केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के परिवाद के बाद 25 मार्च को दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एफआईआर दर्ज की थी. एफआईआर में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत (Gajendra Singh Shekhawat) ने जनप्रतिनिधियों के फोन टैप करने और उनकी छवि खराब करने का आरोप लगाया था. केन्द्रीय मंत्री की इस FIR में सीएम गहलोत के ओएसडी लोकेश शर्मा समेत अज्ञात पुलिस अफसरों को भी आरोपी बनाया गया था. इस मामले में दिल्ली क्राइम ब्रांच अभी जांच कर रही है.

सीएम के ओएसडी लोकेश शर्मा ने अपनी याचिका मेंं एफआईआर के क्षेत्राधिकार को भी चुनौती दी है. याचिका में तर्क दिया है कि फोन टैपिंग मामले में राजस्थान में पहले से ही एफआईआर दर्ज है, जिस पर जांच चल रही है, इसलिए उसी मामले में राजस्थान से बाहर एफआईआर का औचित्य नहीं है. याचिका में यह भी तर्क दिया गया है कि अगर एफआईआर को रद्द नहीं भी की जाती है तो इसे जीरो एफआईआर मानते हुए राजस्थान ट्रांसफर किया जाए.

क्या है फोन टैपिंग विवाद (Phone Tapping Case)

राजस्थान में भूचाल ला देने वाला फोन टैपिंग विवाद बीते साल सुर्खियों में रहा था. इस बीच सत्ता परिवर्तन की सुगबुगाहट के चलते प्रदेश के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट अपने 19 विधायकों को लेकर बगावत पर उतर आए थे. पायलट को उपमुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष दोनों पद गंवाने पड़े थे. इस बगावत के बाद अगस्त 2020 के विधानसभा सत्र में कालीचरण सराफ के सवाल का जवाब देते हुए सरकार ने फोन टैपिंग की बात स्वीकार की थी. इसके बाद विपक्ष ने मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग की थी.

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केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत इस मामले को लेकर हमलावर हुए और बाद में उन्होंने निजता के हनन सहित कई आरोप लगाते हुए लेकर राज्य सरकार, सीएम के ओएसडी और पुलिस अफसरों के खिलाफ दिल्ली में एफआईआर दर्ज करवाई थी. इस एफआईआर में उन्होंने विधानसभा में शांति धारीवाल के जवाब को आधार बनाया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि ऑडियो मुख्यमंत्री के ओएसडी ने वायरल किए थे.

क्या था ऑडियो में

दरअसल, इस ऑडियो में किसी संजय जैन नाम के शख्स की कथित कांग्रेस विधायक भंवरलाल शर्मा के बीच बातचीत रिकॉर्ड थी. इस बातचीत में कई बार कथित तौर पर गजेंद्र सिंह नाम का भी लिया गया था. इसी रिकॉर्डिंग को लेकर विधानसभा के मुख्य सचेतक महेश जोशी ने एसीबी और एसओजी में सरकार गिराने की साजिश को लेकर एफआईआर दर्ज कराई थी.

Last Updated : Jun 3, 2021, 9:37 AM IST
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