जयपुर. प्रदेश में सोमवार को हुई बारिश ने निगम के तमाम दावों की पोल खोलकर रख दी. साथ ही स्मार्ट सिटी के काम पर भी सवाल खड़े किए. तेज बारिश से स्मार्ट रोड पानी से लबालब हो गई. दुकानों में पानी भर गया और बरामदे में रिसाव शुरू हो गया. ऐसे में अब व्यापारियों ने निगम प्रशासन को दो टूक चेतावनी देते हुए कहा कि जब तक व्यवस्थाएं दुरुस्त नहीं हो जाती, तब तक टैक्स नहीं दिया जाएगा.
राजधानी में सोमवार को हुई तेज बारिश से कई हिस्सों में जलजमाव की स्थिति बन गई. परकोटे के चांदपोल बाजार, चौड़ा रास्ता और ब्रह्मपुरी में दुकानों के अंदर डेढ़ से दो फीट तक पानी भर गया. जिससे लाखों के माल और फर्नीचर का नुकसान हुआ. इसी पीड़ा को लेकर मंगलवार को व्यापार महासंघ और विभिन्न व्यापार मंडलों के पदाधिकारी नगर निगम में महापौर और कमिश्नर से वार्ता करने पहुंचे.
इस दौरान व्यापारियों ने स्मार्ट सिटी के काम पर सवाल उठाते हुए कहा कि जिन बाजारों में स्मार्ट रोड बनाई गई है, वहां भी पानी भर रहा है. व्यापारियों को नुकसान हो रहा है. यही नहीं जिन बरामदों की बीते डेढ़ साल से मरम्मत का काम चल रहा है, उनमें भी रिसाव हो रहा है. इसके साथ ही व्यापारियों ने परकोटे के बाजारों में पार्किंग और कचरा डिपो की समस्या भी गिनाई. व्यापारियों ने चेतावनी दी कि यदि 1 सप्ताह में इन व्यवस्थाओं को बेहतर नहीं किया जाता, तो व्यापारी मजबूर होकर सड़कों पर उतरेंगे और निगम के किसी भी तरह के टैक्स को अदा नहीं किया जाएगा.
व्यापारियों ने लॉकडाउन के दौरान बंद रहे व्यापारिक प्रतिष्ठानों के यूडी टैक्स को माफ करने की भी मांग की. व्यापारियों की मांगों पर महापौर मुनेश गुर्जर ने कहा कि बाजारों में ड्रेनेज सिस्टम, अतिक्रमण और बरामदों को लेकर व्यापारियों की शिकायत है. जिनका जल्द समाधान किया जाएगा और जहां तक कोविड-19 के दौर में बंद रहे व्यापारिक प्रतिष्ठानों के यूडी टैक्स को माफ करने की मांग है, तो इस पर भी विचार विमर्श किया जाएगा.
वहीं, निगम कमिश्नर स्मार्ट सिटी के सीईओ अवधेश मीणा ने कहा कि पार्किंग जुड़ी समस्या का तुरंत समाधान किया जाएगा. इसके अलावा पानी के बहाव को रोकने के लिए संसार चंद्र रोड पर बने कैचमेंट एरिया के ड्रेन पर शिफ्ट कर दिया जाएगा और बरामदों का काम 3 महीने में पूरा कर लिया जाएगा.
बहरहाल, निगम प्रशासन और स्मार्ट सिटी के काम पर बारिश ने कई सवाल खड़े किए हैं. जिसे लेकर अब व्यापारी आक्रोशित हैं और यदि इसका जल्द समाधान नहीं निकाला जाता, तो ये आक्रोश निगम के रेवेन्यू पर भी असर डालेगा.