जयपुर. देश में सरकारी अस्पतालों के साथ-साथ प्राइवेट अस्पतालों को भी कोरोना इलाज के लिए ICMR (Indian Council of Medical Research) की ओर से अनुमति मिली है. ऐसे में माना जा रहा था कि बड़ी संख्या में लोग अपनी जांच कराने अस्पतालों में पहुंचेंगे, लेकिन अभी तक ऐसा देखने को नहीं मिला है. राजस्थान में अभी भी सिर्फ सरकारी अस्पतालों में ही कोरोना का इलाज किया जा रहा है. जयपुर में इसे लेकर एक डेडिकेट कोविड-19 सेंटर भी तैयार किया गया है, जहां पॉजिटिव मरीजों का इलाज हो रहा है.
जयपुर के प्रतापनगर स्थित आरयूएचएस अस्पताल को कोरोना डेडीकेट सेंटर के रूप में तैयार किया गया है, जहां मरीजों का इलाज हो रहा है. आमतौर पर पॉजिटिव आने के बाद मरीजों को इस अस्पताल में भर्ती किया जा रहा है, वहीं एसिंप्टोमेटिक मरीजों को घर पर ही क्वॉरेंटाइन किया जा रहा है. चिकित्सकों का कहना है कि अभी भी लोगों में कोरोना का डर बना हुआ है और सिम्टम्स आने के बावजूद भी लोग इलाज करवाने के लिए अस्पताल नहीं पहुंच रहे हैं. इसी के चलते संक्रमण का खतरा भी लगातार बढ़ रहा है. चिकित्सकों का कहना है कि यदि लोग समय पर इलाज कराने अस्पताल पहुंचे तो काफी हद तक संक्रमण के प्रसार को रोका जा सकता है.
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प्राइवेट लैब के हालात
हाल ही में सरकार ने प्राइवेट लैब में कोरोना जांच की कीमतों में भी कमी की है और इन प्राइवेट लैब को पाबंद किया गया है कि वे 2200 रुपए में ही कोरोना की जांच करेंगे. लेकिन इसके बावजूद भी महज कुछ लोग ही अपने स्तर पर जांच कराने पहुंच रहे हैं या फिर प्राइवेट अस्पतालों में जिन मरीजों का ऑपरेशन होना है उन्हीं मरीजों की जांच इन लैब में की जा रही है.
प्रदेश में मौजूदा एक्टिव केस
प्रदेश में इस समय करीब 29 हजार से अधिक पॉजिटिव केस सामने आए हैं, जिसमें एक्टिव केस की बात की जाए तो प्रदेश में सोमवार सुबह तक एक्टिव केस की संख्या 7486 और हर दिन एक्टिव की संख्या में लगातार इजाफा देखने को मिल रहा है.
प्रदेश के सबसे बड़े सवाई मानसिंह अस्पताल के हालात की बात करें तो अस्पताल में एक आईएलआई (इनफ्लुएंजा लाइक इलनेस सेंटर) भी बनाया गया है, जहां अस्पताल की ओपीडी में आने वाले मरीजों को चिकित्सकीय परामर्श दिया जाता है. लेकिन यहां भी महज 30 से 40 लोग ही अपना इलाज कराने पहुंच रहे हैं.