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बड़ा फैसला : अब एक से दूसरे जिले में जाने के लिए पास की अनिवार्यता खत्म

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रविवार देर रात बड़ा ऐलान किया है. इसके तहत अब एक जिले से दूसरे जिले में जाने के लिए पास की अनिवार्यता खत्म कर दी गई है. अंतर जिला पास को लेकर जारी किए गए ये दिशा-निर्देश तुरंत प्रभाव से लागू कर दिए गए हैं.

CM Ashok Gehlot, राजस्थान न्यूज़
पास की अनिवार्यता खत्म
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Published : May 11, 2020, 8:10 AM IST

जयपुर. कोरोना संकट के बीच चल रहे लॉकडाउन से हो रही परेशानी के बीच अब एक राहत भरी खबर है. राजस्थान में एक जिले से दूसरे जिले जाने के लिए सरकार ने अब पास की अनिवार्यता खत्म कर दी है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रविवार देर रात इसका ऐलान किया.

पढ़ें: रेलवे की 12 मई से 15 ट्रेनें चलाने की तैयारी, आज से शुरू होगी बुकिंग

हालांकि ये छूट सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे तक ही मिलेगी. इस दौरान जिले की सीमा में भी बिना पास के कहीं भी आया और जाया जा सकेगा. वहीं, कर्फ्यू वाले क्षेत्रों में ये छूट नहीं मिलेगी. अंतर जिला पास को लेकर जारी किए गए ये दिशा-निर्देश तुरंत प्रभाव से लागू कर दिए गए हैं.

पढ़ें:CM ने वीसी के जरिए लिए सांसद विधायकों के सुझाव, वसुंधरा राजे सहित भाजपा विधायक भी जुड़े

नई व्यवस्था के तहत दूसरे राज्यों में खुद के वाहनों से जाने वाले लोगों को कलेक्टर, एसपी, उपखंड अधिकारी, पुलिस उप अधीक्षक, तहसीलदार, आरटीओ, डीटीओ और एसएचओ भी पास जारी कर सकेंगे. वहीं, जिला उद्योग अधिकारी, एसई माइनिंग, महाप्रबंधक, डीआईसी रीको के जिला स्तरीय अधिकारी और अन्य जिला स्तरीय अधिकारी अपने विभाग से जुड़ी गतिविधियों के लिए पास जारी कर सकेंगे. इन अधिकारियों द्वारा जारी पास की जानकारी प्रतिदिन कलेक्टर को देनी होगी. वहीं, दूसरे राज्यों में बस और ट्रेन से यात्रा के लिए जिला कलेक्टर पास जारी कर सकेंगे।

कलेक्टर ही जारी कर सकेंगे एनओसी...
जारी किए गए दिशा-निर्देश में अन्य प्रदेशों से राज्य में आने वाले लोगों के लिए संबंधित राज्य द्वारा जारी पास ही मान्य होंगे. लेकिन, अगर वो प्रदेश सरकार से अनापत्ति प्रमाण पत्र मांगता है तो फिर संबंधित जिले के कलेक्टर ही एनओसी जारी कर सकेंगे. वही, किसी अधिकारी से फोन पर संपर्क नहीं हो पाता है तो ऐसे लोग प्रदेश के वॉर रूम नंबर 181 पर संपर्क कर सकते हैं. दिशानिर्देशों में यह भी साफ कर दिया गया है कि बाहरी राज्यों से राजस्थान में आने वाले लोगों के लिए 14 दिन का क्वॉरेंटाइन किया जाना अनिवार्य होगा. बता दें कि प्रदेश सरकार ने संकट के समय में कोई भूखा ना सोए, इसके लिए सामाजिक सुरक्षा पेंशन के तहत 78 लाख लाभार्थियों को 2 महीने की पेंशन का अग्रिम भुगतान कर दिया है. वहीं, राजस्थान में करीब 33 लाख गरीब असहाय बीपीएल और अन्य जरूरतमंद लोगों को 2500-2500 रुपयों की मदद की गई है.

जयपुर. कोरोना संकट के बीच चल रहे लॉकडाउन से हो रही परेशानी के बीच अब एक राहत भरी खबर है. राजस्थान में एक जिले से दूसरे जिले जाने के लिए सरकार ने अब पास की अनिवार्यता खत्म कर दी है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रविवार देर रात इसका ऐलान किया.

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हालांकि ये छूट सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे तक ही मिलेगी. इस दौरान जिले की सीमा में भी बिना पास के कहीं भी आया और जाया जा सकेगा. वहीं, कर्फ्यू वाले क्षेत्रों में ये छूट नहीं मिलेगी. अंतर जिला पास को लेकर जारी किए गए ये दिशा-निर्देश तुरंत प्रभाव से लागू कर दिए गए हैं.

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नई व्यवस्था के तहत दूसरे राज्यों में खुद के वाहनों से जाने वाले लोगों को कलेक्टर, एसपी, उपखंड अधिकारी, पुलिस उप अधीक्षक, तहसीलदार, आरटीओ, डीटीओ और एसएचओ भी पास जारी कर सकेंगे. वहीं, जिला उद्योग अधिकारी, एसई माइनिंग, महाप्रबंधक, डीआईसी रीको के जिला स्तरीय अधिकारी और अन्य जिला स्तरीय अधिकारी अपने विभाग से जुड़ी गतिविधियों के लिए पास जारी कर सकेंगे. इन अधिकारियों द्वारा जारी पास की जानकारी प्रतिदिन कलेक्टर को देनी होगी. वहीं, दूसरे राज्यों में बस और ट्रेन से यात्रा के लिए जिला कलेक्टर पास जारी कर सकेंगे।

कलेक्टर ही जारी कर सकेंगे एनओसी...
जारी किए गए दिशा-निर्देश में अन्य प्रदेशों से राज्य में आने वाले लोगों के लिए संबंधित राज्य द्वारा जारी पास ही मान्य होंगे. लेकिन, अगर वो प्रदेश सरकार से अनापत्ति प्रमाण पत्र मांगता है तो फिर संबंधित जिले के कलेक्टर ही एनओसी जारी कर सकेंगे. वही, किसी अधिकारी से फोन पर संपर्क नहीं हो पाता है तो ऐसे लोग प्रदेश के वॉर रूम नंबर 181 पर संपर्क कर सकते हैं. दिशानिर्देशों में यह भी साफ कर दिया गया है कि बाहरी राज्यों से राजस्थान में आने वाले लोगों के लिए 14 दिन का क्वॉरेंटाइन किया जाना अनिवार्य होगा. बता दें कि प्रदेश सरकार ने संकट के समय में कोई भूखा ना सोए, इसके लिए सामाजिक सुरक्षा पेंशन के तहत 78 लाख लाभार्थियों को 2 महीने की पेंशन का अग्रिम भुगतान कर दिया है. वहीं, राजस्थान में करीब 33 लाख गरीब असहाय बीपीएल और अन्य जरूरतमंद लोगों को 2500-2500 रुपयों की मदद की गई है.

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