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जयपुर: बच्चों की फीस के लिए अभिभावकों ने बाजारों में घूमकर मांगी भीख

जयपुर में संयुक्त अभिभावक समिति की ओर से बुधवार को बच्चों की फीस को लेकर बाजारों में घूमकर भीख मांगी गई. इस दौरान अभिभावकों ने 'नो स्कूल, नो फीस, और 'सरकार मुर्दाबाद' के नारे भी लगाए.

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Published : Sep 16, 2020, 10:03 PM IST

जयपुर समाचार, jaipur news
अभिभावकों ने बाजारों में घूमकर मांगी भीख

जयपुर. 'दे दाता के नाम तुझको अल्लाह रखे' यही गीत गाते हुए भिखारी भीख मांगता है और अपना घर खर्च चलाता है. बुधवार को यही गीत जयपुर शहर के बाजारों में सुनने को मिला, लेकिन यहां भिखारी नहीं थे. अपने बच्चों की स्कूल फीस जमा कराने के लिए जयपुर के अभिभावकों ने जोहरी बाजार से लेकर छोटी चौपड़ तक 'दे दाता के नाम तुझको अल्लाह रखे' गीत गाते हुए भीख मांगी. इस दौरान अभिभावकों ने नो स्कूल नो फीस और सरकार मुर्दाबाद के नारे भी लगाए.

अभिभावकों ने बाजारों में घूमकर मांगी भीख

हाई कोर्ट के निर्णय के बाद भी अभिभावक संतुष्ट नहीं है और स्कूल फीस माफ कराने को लेकर लगातार संघर्ष कर रहे हैं. इसी कड़ी में संयुक्त अभिभावक समिति के बैनर तले अभिभावकों ने जोहरी बाजार में भीख मांग कर स्कूल फीस माफ करने की मांग की. इस दौरान अभिभावकों ने कहा कि यदि हमारे पास 70 फीसदी फीस होती तो हम पूरी फीस ही दे देते.

संयुक्त अभिभावक समिति के बैनर तले सभी अभिभावक सांगानेरी गेट स्थित हनुमान मंदिर पर एकत्र हुए और वही से भीख मांगना शुरू किया. वे दुकानदारों के पास गए और कहा कि लॉकडाउन में उनकी हालत आर्थिक रूप से कमजोर हो चुकी है. इसलिए वह बच्चों की फीस नहीं दे सकते. इसीलिए दुकानदारों से उन्होंने भीख मांगी और सरकार का विरोध जताया.

पढ़ें- जर्जर होती जा रही है जयपुर की 1500 से ज्यादा हवेलियां और परकोटा, पग-पग पर मंडरा रहा खतरा

अभिभावकों ने कहा कि वह फीस माफ करने को लेकर सरकार के और निजी स्कूलों के पास भी गए. लेकिन दोनों ने उनकी कोई सुनवाई नहीं कर रहे. इसी से आहत होकर आज अभिभावक यहां भीख मांग रहे हैं. अभिभावकों का कहना है कि जब से लॉकडाउन हुआ है उनके काम धंधे चौपट हो गए. कई अभिभावकों की नौकरियां भी चली गई. अभिभावक आर्थिक रूप से कमजोर हैं और स्कूलों की फीस देने में असमर्थ है.

संयुक्त अभिभावक समिति के प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने बताया कि भीख मांगने पर जो भी फीस एकत्र होगी, उसे स्कूलों में जमा कराया जाएगा. अभिषेक जैन ने कहा कि हाईकोर्ट के निर्णय को लेकर अभिभावक खुश नहीं है. यदि यह संतुष्ट होते तो डबल बेंच में नहीं जाते. अभिभावक समिति आज ही डबल बेंच गई है और कल उस पर सुनवाई होनी है.

महिला अभिभावक अमृता सक्सेना का कहना है कि यदि हमारे पास फीस देने के लिए पैसे होते तो यहां भीख मांगने की मजबूरी नहीं होती. लॉकडाउन में काम धंधे चौपट हो गये. वर्तमान में हमारे पास ना तो कोई रोजगार है, न ही कोई काम धंधा है. एक अन्य महिला अभिभावक ने कहा कि कोर्ट का आदेश भी कई स्कूल संचालक नहीं मान रहे हैं और पूरी फीस देने के लिए दबाव बना रहे हैं. बता दें कि हाईकोर्ट ने निर्णय किया था कि जो भी स्कूल ऑनलाइन क्लासेज पढ़ा रहे हैं. वह ट्यूशन फीस की 70 फीसदी फीस ले सकते हैं. अभिभावक जनवरी तक तीन किस्तों में फीस जमा करा सकते हैं.

जयपुर. 'दे दाता के नाम तुझको अल्लाह रखे' यही गीत गाते हुए भिखारी भीख मांगता है और अपना घर खर्च चलाता है. बुधवार को यही गीत जयपुर शहर के बाजारों में सुनने को मिला, लेकिन यहां भिखारी नहीं थे. अपने बच्चों की स्कूल फीस जमा कराने के लिए जयपुर के अभिभावकों ने जोहरी बाजार से लेकर छोटी चौपड़ तक 'दे दाता के नाम तुझको अल्लाह रखे' गीत गाते हुए भीख मांगी. इस दौरान अभिभावकों ने नो स्कूल नो फीस और सरकार मुर्दाबाद के नारे भी लगाए.

अभिभावकों ने बाजारों में घूमकर मांगी भीख

हाई कोर्ट के निर्णय के बाद भी अभिभावक संतुष्ट नहीं है और स्कूल फीस माफ कराने को लेकर लगातार संघर्ष कर रहे हैं. इसी कड़ी में संयुक्त अभिभावक समिति के बैनर तले अभिभावकों ने जोहरी बाजार में भीख मांग कर स्कूल फीस माफ करने की मांग की. इस दौरान अभिभावकों ने कहा कि यदि हमारे पास 70 फीसदी फीस होती तो हम पूरी फीस ही दे देते.

संयुक्त अभिभावक समिति के बैनर तले सभी अभिभावक सांगानेरी गेट स्थित हनुमान मंदिर पर एकत्र हुए और वही से भीख मांगना शुरू किया. वे दुकानदारों के पास गए और कहा कि लॉकडाउन में उनकी हालत आर्थिक रूप से कमजोर हो चुकी है. इसलिए वह बच्चों की फीस नहीं दे सकते. इसीलिए दुकानदारों से उन्होंने भीख मांगी और सरकार का विरोध जताया.

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अभिभावकों ने कहा कि वह फीस माफ करने को लेकर सरकार के और निजी स्कूलों के पास भी गए. लेकिन दोनों ने उनकी कोई सुनवाई नहीं कर रहे. इसी से आहत होकर आज अभिभावक यहां भीख मांग रहे हैं. अभिभावकों का कहना है कि जब से लॉकडाउन हुआ है उनके काम धंधे चौपट हो गए. कई अभिभावकों की नौकरियां भी चली गई. अभिभावक आर्थिक रूप से कमजोर हैं और स्कूलों की फीस देने में असमर्थ है.

संयुक्त अभिभावक समिति के प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने बताया कि भीख मांगने पर जो भी फीस एकत्र होगी, उसे स्कूलों में जमा कराया जाएगा. अभिषेक जैन ने कहा कि हाईकोर्ट के निर्णय को लेकर अभिभावक खुश नहीं है. यदि यह संतुष्ट होते तो डबल बेंच में नहीं जाते. अभिभावक समिति आज ही डबल बेंच गई है और कल उस पर सुनवाई होनी है.

महिला अभिभावक अमृता सक्सेना का कहना है कि यदि हमारे पास फीस देने के लिए पैसे होते तो यहां भीख मांगने की मजबूरी नहीं होती. लॉकडाउन में काम धंधे चौपट हो गये. वर्तमान में हमारे पास ना तो कोई रोजगार है, न ही कोई काम धंधा है. एक अन्य महिला अभिभावक ने कहा कि कोर्ट का आदेश भी कई स्कूल संचालक नहीं मान रहे हैं और पूरी फीस देने के लिए दबाव बना रहे हैं. बता दें कि हाईकोर्ट ने निर्णय किया था कि जो भी स्कूल ऑनलाइन क्लासेज पढ़ा रहे हैं. वह ट्यूशन फीस की 70 फीसदी फीस ले सकते हैं. अभिभावक जनवरी तक तीन किस्तों में फीस जमा करा सकते हैं.

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