ETV Bharat / city

पंचायत समिति और जिला परिषद के चुनाव की प्रक्रिया सरकार बदल सकती थी, लेकिन...

राजस्थान में जनप्रतिनिधियों की आवाज के बाद गहलोत सरकार ने बिना पार्टी सिंबल के चुनाव करवाने का निर्णय त्याग दिया है. प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि कार्यकर्ता की भावना के अनुरूप पार्टी सिंबल पर ही पंचायत समिति और जिला परिषद के चुनाव होंगे.

Zila Parishad elections in Rajasthan,  Panchayat Samiti elections in Rajasthan
गोविंद सिंह डोटासरा
author img

By

Published : Oct 24, 2020, 7:55 PM IST

Updated : Oct 24, 2020, 9:01 PM IST

जयपुर. राजस्थान में शनिवार को 21 जिलों में पंचायत समिति और जिला परिषद के चुनाव की घोषणा हो गई है. साथ ही प्रदेश में चल रही उस सबसे बड़ी चर्चा पर भी विराम लग गया है, जिस पर हर किसी की नजर थी. चर्चा थी कि क्या इस बार जिला परिषद और पंचायत समिति के चुनाव पार्टी के सिंबल पर ना होकर बिना सिंबल के लड़े जाएंगे.

पार्टी सिंबल पर होगा चुनाव

शनिवार को आदर्श आचार संहिता लगने के साथ ही यह तय हो गया है कि चुनाव पुरानी प्रक्रिया जिसमें पार्टियां अपने सिंबल देती थी उसी अनुसार होंगे. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि चर्चाएं होती रहती हैं, लेकिन जो मौजूदा नियम है कि सिंबल पर चुनाव होंगे वह आज की तारीख में नियम चल रहा है. ऐसे में सिंबल पर ही आगामी जिला परिषद और पंचायत समिति के चुनाव होंगे.

सरकार चुनाव प्रक्रिया बदल सकती थी, लेकिन...

डोटासरा ने कहा कि अगर सरकार चाहती कि चुनाव बिना सिंबल के करवाने हैं तो वह चुनाव प्रक्रिया बदल सकती थी. लेकिन यह एक बड़ा फैसला था, जिसके साथ कार्यकर्ताओं की भावना जुड़ी हुई थी. ऐसे में तमाम लोगों से भी यह चर्चा आई और प्रतिपक्ष के नेताओं से भी जब चर्चा की गई कि क्या यह चुनाव बिना सिंबल के हो तो दोनों तरीके की ही प्रतिक्रिया लोगों की थी. ऐसे में इस मामले पर विचार-विमर्श जरूर किया गया, लेकिन सरकार ने यह बिल्कुल भी तय नहीं किया था कि हम बिना सिंबल के चुनाव लड़ना चाहते हैं.

पढ़ें- नगर निगम चुनाव: भाजपा ने बगावत करने वाले कार्यकर्ताओं पर की कार्रवाई, 6 साल के लिए किया निष्कासित

सिंबल पर ही लड़ेंगे चुनाव

प्रदेश सरकार कार्यकर्ताओं की भावना के अनुरूप सिंबल पर ही चुनाव लड़ेगी. डोटासरा ने कहा कि यह चुनाव पहले परिसीमन और फिर कोरोना संक्रमण के चलते 12 महीने लेट हो रहे हैं. अब राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव कार्यक्रम जारी कर दिया है तो कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता नेता और कांग्रेस पार्टी चुनाव के लिए तैयार है.

70 से 80 फीसदी सरपंच जीत कर आए

डोटासरा ने कहा कि प्रदेश में हाल ही में जो सरपंचों के चुनाव हुए थेस उनमें कांग्रेस पार्टी की विचारधारा वाले सरपंच 70 से 80 फीसदी तक जीत कर आए हैं. यह इसका स्पष्ट प्रमाण है कि कांग्रेस की सरकार राजस्थान में अच्छा काम कर रही है. 2 साल में जो काम हुए हैं चाहे वह मनरेगा, बिजली, सड़क या नौकरी देने की बात हो, इन सब कामों में विशेषकर कोरोना के समय बेहतरीन प्रबंधन राज्य सरकार का रहा.

यह सब बता रही गहलोत सरकार के सुशासन की छाप

गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि यह सब चीजें प्रदेश सरकार के सुशासन की छाप बता रही है. इससे लगता है कि जनता खुश है और कांग्रेस के सिंबल पर लड़ने वाले नेताओं को जनता जीता कर बहुमत ही नहीं देगी, बल्कि जिस हिसाब से प्रदेश में सरपंच चुनकर आए हैं उस हिसाब से कांग्रेस के प्रतिनिधि इन चुनाव में जीत कराएंगे और ग्रामीण क्षेत्रों का विकास करवाएंगे.

इन 12 जिलों में अभी नहीं होगा चुनाव

बता दें अलवर, भरतपुर, बारां, दौसा, धौलपुर, जयपुर, जोधपुर, करौली, कोटा, श्रीगंगानगर, सवाई माधोपुर और सिरोही में अभी पंचायत समिति सदस्य, जिला परिषद सदस्य, प्रधान और जिला प्रमुख के चुनाव नहीं होंगे. 18 नई नगरपालिका के गठन के चलते इस मामले में हाईकोर्ट का स्टे है. इसके चलते इन 12 जिलों की 48 पंचायतें प्रभावित हो रही है. यह साफ नहीं है कि यह पंचायतें रहेगी या नगरपालिका सीमा में आएंगी. इसके कारण इनमें चुनाव फिलहाल रोक दिए गए हैं. विवाद का समाधान होने के बाद अलग से इन 12 जिलों के चुनाव घोषित किए जाएंगे.

जयपुर. राजस्थान में शनिवार को 21 जिलों में पंचायत समिति और जिला परिषद के चुनाव की घोषणा हो गई है. साथ ही प्रदेश में चल रही उस सबसे बड़ी चर्चा पर भी विराम लग गया है, जिस पर हर किसी की नजर थी. चर्चा थी कि क्या इस बार जिला परिषद और पंचायत समिति के चुनाव पार्टी के सिंबल पर ना होकर बिना सिंबल के लड़े जाएंगे.

पार्टी सिंबल पर होगा चुनाव

शनिवार को आदर्श आचार संहिता लगने के साथ ही यह तय हो गया है कि चुनाव पुरानी प्रक्रिया जिसमें पार्टियां अपने सिंबल देती थी उसी अनुसार होंगे. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि चर्चाएं होती रहती हैं, लेकिन जो मौजूदा नियम है कि सिंबल पर चुनाव होंगे वह आज की तारीख में नियम चल रहा है. ऐसे में सिंबल पर ही आगामी जिला परिषद और पंचायत समिति के चुनाव होंगे.

सरकार चुनाव प्रक्रिया बदल सकती थी, लेकिन...

डोटासरा ने कहा कि अगर सरकार चाहती कि चुनाव बिना सिंबल के करवाने हैं तो वह चुनाव प्रक्रिया बदल सकती थी. लेकिन यह एक बड़ा फैसला था, जिसके साथ कार्यकर्ताओं की भावना जुड़ी हुई थी. ऐसे में तमाम लोगों से भी यह चर्चा आई और प्रतिपक्ष के नेताओं से भी जब चर्चा की गई कि क्या यह चुनाव बिना सिंबल के हो तो दोनों तरीके की ही प्रतिक्रिया लोगों की थी. ऐसे में इस मामले पर विचार-विमर्श जरूर किया गया, लेकिन सरकार ने यह बिल्कुल भी तय नहीं किया था कि हम बिना सिंबल के चुनाव लड़ना चाहते हैं.

पढ़ें- नगर निगम चुनाव: भाजपा ने बगावत करने वाले कार्यकर्ताओं पर की कार्रवाई, 6 साल के लिए किया निष्कासित

सिंबल पर ही लड़ेंगे चुनाव

प्रदेश सरकार कार्यकर्ताओं की भावना के अनुरूप सिंबल पर ही चुनाव लड़ेगी. डोटासरा ने कहा कि यह चुनाव पहले परिसीमन और फिर कोरोना संक्रमण के चलते 12 महीने लेट हो रहे हैं. अब राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव कार्यक्रम जारी कर दिया है तो कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता नेता और कांग्रेस पार्टी चुनाव के लिए तैयार है.

70 से 80 फीसदी सरपंच जीत कर आए

डोटासरा ने कहा कि प्रदेश में हाल ही में जो सरपंचों के चुनाव हुए थेस उनमें कांग्रेस पार्टी की विचारधारा वाले सरपंच 70 से 80 फीसदी तक जीत कर आए हैं. यह इसका स्पष्ट प्रमाण है कि कांग्रेस की सरकार राजस्थान में अच्छा काम कर रही है. 2 साल में जो काम हुए हैं चाहे वह मनरेगा, बिजली, सड़क या नौकरी देने की बात हो, इन सब कामों में विशेषकर कोरोना के समय बेहतरीन प्रबंधन राज्य सरकार का रहा.

यह सब बता रही गहलोत सरकार के सुशासन की छाप

गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि यह सब चीजें प्रदेश सरकार के सुशासन की छाप बता रही है. इससे लगता है कि जनता खुश है और कांग्रेस के सिंबल पर लड़ने वाले नेताओं को जनता जीता कर बहुमत ही नहीं देगी, बल्कि जिस हिसाब से प्रदेश में सरपंच चुनकर आए हैं उस हिसाब से कांग्रेस के प्रतिनिधि इन चुनाव में जीत कराएंगे और ग्रामीण क्षेत्रों का विकास करवाएंगे.

इन 12 जिलों में अभी नहीं होगा चुनाव

बता दें अलवर, भरतपुर, बारां, दौसा, धौलपुर, जयपुर, जोधपुर, करौली, कोटा, श्रीगंगानगर, सवाई माधोपुर और सिरोही में अभी पंचायत समिति सदस्य, जिला परिषद सदस्य, प्रधान और जिला प्रमुख के चुनाव नहीं होंगे. 18 नई नगरपालिका के गठन के चलते इस मामले में हाईकोर्ट का स्टे है. इसके चलते इन 12 जिलों की 48 पंचायतें प्रभावित हो रही है. यह साफ नहीं है कि यह पंचायतें रहेगी या नगरपालिका सीमा में आएंगी. इसके कारण इनमें चुनाव फिलहाल रोक दिए गए हैं. विवाद का समाधान होने के बाद अलग से इन 12 जिलों के चुनाव घोषित किए जाएंगे.

Last Updated : Oct 24, 2020, 9:01 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.