जयपुर. राजस्थान और भारत की सांस्कृतिक राजदूत के तौर पर अपनी पहचान बना चुकी दुनिया की 10 सर्वश्रेष्ठ लग्जरी टूरिस्ट ट्रेन में शुमार पैलेस ऑन व्हील्स कोरोना की चपेट में आ गई है. डू बिफोर डाई लिस्ट में शुमार इस हेरिटेज लग्जरी टूरिस्ट ट्रेन का मार्च और अप्रैल के 7 फेरे रद्द करने पड़े.
दरअसल, अप्रैल महीने में पैलेस ऑन व्हील्स का सत्र समाप्त होता है. इसके बाद शाही ट्रेन अगले 4 महीने के लिए अजमेर स्थित रेलवे वर्कशॉप में वार्षिक रखरखाव और अपग्रेडेशन के लिए चली जाती है. इस बार कोरोना के कारण रेलवे की गुड्स को छोड़कर तमाम गतिविधियां बंद हैं. ऐसे में पैलेस ऑन व्हील्स का ना तो रखरखाव समय पर हो पाएगा और ना ही अपग्रेडेशन. सितंबर में पैलेस ऑन व्हील्स को अगला सत्र शुरू होना है, जिसकी बुकिंग 12 महीने पहले ही शुरू हो जाती है.
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बात दें कि पैलेस ऑन व्हील्स के सितंबर 2020 से शुरू होने वाले सत्र के लिए 400 से अधिक एडवांस बुकिंग मिल भी गई थी. लेकिन अब कोरोना के चलते ट्रैवल ऑपरेटर्स ने इन बुकिंग को फिलहाल रद्द करने के लिए पर्यटन निगम को पत्र भेज दिया है. उधर, अप्रैल में संपन्न हो रहे सत्र के भी 7 फेरे रद्द होने से पर्यटन निगम को 553 पर्यटकों की बुकिंग रद्द करनी पड़ी, जिससे करीब 3.50 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है.
जानकारी के अनुसार इस भारी नुकसान के कारण पर्यटन निगम के एमडी डॉ. भंवरलाल ने रेलवे बोर्ड को पत्र लिखकर रेलवे की 56 फीसदी हिस्सेदारी देने में असमर्थता जताई है. साथ ही रेलवे से आग्रह किया है कि वह इस सत्र में कोरोना से हुए घाटे के चलते अपने हिस्सेदारी छोड़ दे और अगले सत्र के लिए जो 7.50 करोड़ रुपए शाही ट्रेन के रिफर्बिशमेंट के लिए राशि मिलनी थी उसको भी शीघ्र जारी करने का आग्रह किया है.
पर्यटन निगम के 600 से अधिक कार्मिकों की जीवन रेखा पैलेस ऑन व्हील्स को समझा जाता है. पैलेस ऑन व्हील्स से पर्यटन निगम को सालाना करीब 10 करोड़ रुपए राजस्व मिलता है, जिससे इन कार्मिकों की रोजी रोटी चलती है. ट्रैवल थ्रेड से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि देश के बाहर से आने वाले पर्यटक अब कोरोना संकट के कारण अगले 2 वर्ष तक ट्रेवल नहीं करेंगे. ऐसे में सिर्फ घरेलू पर्यटकों के सहारे पैलेस ऑन व्हील्स का चलना मुश्किल है.