जयपुर. सुप्रीम कोर्ट ने पदोन्नति में आरक्षण से संबंधित मामले में राजस्थान हाईकोर्ट को कहा है कि वह राज्य सरकार की 11 सितंबर 2011 की अधिसूचना और भटनागर समिति से संबंधित सभी याचिकाओं का निपटारा जल्द कर दें. और जहां तक संभव हो वहां तक और प्राथमिकता के आधार पर छह महीने में करें.इसके साथ ही अदालत ने मामले में राज्य सरकार के तत्कालीन मुख्य सचिव और डीओपी सचिव के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई को बंद कर दिया.
न्यायाधीश यूयू ललित की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने यह आदेश बजरंग लाल शर्मा की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया. पदोन्नति में आरक्षण को चुनौती देने के संबंध में समता आंदोलन समिति सहित अन्य की याचिकाएं हाईकोर्ट में लंबित चल रही हैं.
गौरतलब है कि राज्य सरकार ने 11 सितंबर 2011 की अधिसूचना से आरक्षित वर्ग को पारिणामिक वरिष्ठता का लाभ दिया मतलब जिस तारीख से आरक्षित वर्ग के कर्मचारी पदोन्नत हुए, उसी तारीख से उन्हें वरिष्ठता का लाभ दिया गया. इसके अलावा इस अधिसूचना से राज्य सरकार ने दिसंबर 2002 और अप्रैल 2008 की अधिसूचनाओं को वापस ले लिया और सरकारी सेवाओ में पदोन्नति में आरक्षण के संबंध में सेवा नियमों में संशोधन कर दिया.
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जिसे समता आंदोलन समिति ने हाईकोर्ट में चुनौती दे रखी है. इसके अलावा भटनागर समिति की नौकरियों में आरक्षित वर्ग के प्रतिनिधित्व के संबंध में एकत्रित किए गए आंकड़ों को भी हाईकोर्ट में चुनौती दे रखी है. याचिका में कहा है कि भटनागर समिति ने रिपोर्ट में गलत आंकड़े दिए हैं.