जयपुर. केंद्र सरकार की ओर से पेश किए जा रहे नेशनल कमिशन ऑफ इंडियन मेडिकल बिल में योग और नेचुरोपैथी को शामिल नहीं करने का विरोध हो रहा है. इसे लेकर इंडियन नेचुरोपैथी एंड योगा ग्रैजुएट्स एसोसिएशन ने केंद्र सरकार पर कथनी और करनी में अंतर का आरोप लगाते हुए, बीजेपी प्रदेश कार्यालय पर प्रदर्शन किया.
दरअसल, देश के 15 राज्यों में योग और नेचुरोपैथी चिकित्सकों का विधिक एक्ट की ओर से रजिस्ट्रेशन किया जा रहा है. राज्यसभा में भी 5 मई 2015 को आयुष मंत्री ने योग और नेचुरोपैथी चिकित्सकों के रजिस्ट्रेशन के लिए बैचलर ऑफ नेचुरोपैथी योगिक साइंस की डिग्री को मान्य माना था. केंद्रीय योग और प्राकृतिक चिकित्सा अनुसंधान परिषद की ओर से भी ऐसे चिकित्सकों का रजिस्ट्रेशन किया जा रहा है. बावजूद इसके योग और नेचुरोपैथी को नेशनल कमिशन ऑफ इंडियन मेडिकल बिल में शामिल नहीं किया जा रहा. जिसको लेकर इंडियन नेचुरोपैथी एंड योगा ग्रैजुएट्स एसोसिएशन ने बीजेपी प्रदेश कार्यालय पर विरोध दर्ज कराते हुए धरना दिया.
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उन्होंने केंद्र सरकार पर कथनी और करनी में अंतर का आरोप लगाते हुए बताया कि, नीति आयोग द्वारा तैयार ड्राफ्ट और पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमिटी फॉर हेल्थ एंड वेलफेयर के तरफ से भी नेशनल बिल में योग और नेचुरोपैथी को शामिल करने की सिफारिश की गई थी, लेकिन केंद्र सरकार के बिल में इन्हें शामिल नहीं किया गया है. ऐसे में योगा नेचरोपैथी से जुड़े युवा डॉक्टर और इसकी पढ़ाई कर रहे हैं. छात्रों ने सरकार से इस बिल में योग और नेचुरोपैथी को शामिल करने की मांग की.
एक तरफ तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी योग और नेचुरोपैथी को बढ़ावा देने के लिए देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी काम कर रहे हैं और यहां इसके साथ दोहरा व्यवहार किया जा रहा है. डॉक्टर ने स्पष्ट किया कि, यदि बीएनवाईएस की रेगुलेटरी बॉडी नहीं बन पाएगी, तो फर्जी संस्थाएं पनपने लगेंगी. जिससे योग और नेचुरोपैथी पहले से भी पिछड़ जाएगी. डॉक्टर से छात्रों ने इस संबंध में राज्यसभा सांसद नारायण लाल पंचारिया और विधानसभा उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ को पीएम के नाम ज्ञापन भी सौंपा.