ETV Bharat / city

SPECIAL: ऑनलाइन क्लास किसी के लिए सपना, तो किसी के स्वास्थ्य पर भारी - rajasthan news

पूरे देश में लगातार कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे हैं. जिसे देखते हुए केंद्र सरकार ने 31 जुलाई तक स्कूलों को बंद रखने के निर्देश दिए हैं. जिसके बाद स्कूल प्रशासन ने बच्चों को ऑनलाइन क्लासेज के माध्यम से पढ़ाना शुरू किया है. लेकिन इस ऑनलाइन शिक्षा ने कुछ अभिभावकों पर बोझ डाल दिया है. देखें जयपुर से स्पेशल रिपोर्ट...

राजस्थान न्यूज, jaipur news
ऑनलाइन क्लासेस का बच्चों पर कैसा असर...
author img

By

Published : Jul 11, 2020, 3:52 PM IST

जयपुर. कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए केंद्र सरकार ने गाइडलाइन जारी करते हुए 31 जुलाई तक स्कूलों को बंद रखने के निर्देश दिए हैं. ऐसे में ऑनलाइन शिक्षा ने विद्यार्थियों और शिक्षकों के बीच सेतु का काम किया है. हालांकि ये शिक्षा केवल उन लोगों तक सीमित होकर रह गई है जो आधुनिक तकनीक की समझ रखते हैं या जिनके पास डिजिटल डिवाइस मौजूद है. जबकि प्रदेश का एक बड़ा तबका आज भी तकनीक के इस दौर में आर्थिक स्थिति के कारण पिछड़ा हुआ है.

ऑनलाइन क्लासेस का बच्चों पर कैसा असर...

वहीं, दूसरी ओर जिन प्राइवेट संस्थानों के छात्र इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के जरिए ऑनलाइन क्लास ले रहे हैं, उन्हें स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों का भी सामना करना पड़ रहा है. इसके अलावा अभिभावक भी स्कूलों से ऑनलाइन शिक्षा के नाम पर वसूली जा रही फीस से खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं.

अभिभावकों पर पड़ रहा बोझ..

ईटीवी भारत के संवाददाता ने की अभिभावकों से बात

कोरोना काल में क्लास रूम की जगह लैपटॉप और मोबाइल ने ले ली है. इन दिनों ज्यादातर प्राइवेट स्कूलों की ओर से ऑनलाइन क्लासेस चलाई जा रही है. नई कक्षा में प्रवेश के साथ बच्चों को नया सिलेबस पढ़ाया जा रहा है.

ऐसे में यह पढ़ाई उन परिवारों के लिए चुनौती साबित हो रही है जिनके बच्चों के एडमिशन RTE के तहत बड़े प्राइवेट स्कूलों में तो पहुंच गए, लेकिन वे उन्हें ऑनलाइन पढ़ा पाने में सक्षम नहीं हैं. उन परिवारों की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि वे मुफलिसी के इस दौर में बच्चों को पढ़ाने के लिए महंगे मोबाइल फोन या लैपटॉप खरीद सकें.

जिन अभिभावकों के पास एन्ड्रॉयड 4G फोन और इंटरनेट नहीं है, उन्हें भी घर के बिगड़े बजट के बीच बच्चों को पढ़ाने के लिए नया फोन खरीदना पड़ रहा है. इससे इतर जो अभिभावक आर्थिक रूप से सक्षम नहीं है उनके बच्चों के लिए ऑनलाइन एजुकेशन सपने के समान ही है.

ऑनलाइन पढ़ाई को लेकर टीचर से बातचीत

बच्चों के हाथ में देने पड़ रहे गैजेट..

ऑनलाइन क्लासेज से छात्र और उनके अभिभावक जरा भी संतुष्ट नहीं हैं. स्कूल टाइम टेबल की तर्ज पर सुबह 8:00 बजे से कक्षाएं शुरू हो जाती हैं, जो तकरीबन 3 से 4 घंटे चलती हैं. जो अभिभावक पहले अपने बच्चों को मोबाइल और लैपटॉप से दूर रखते थे, अब मजबूरी में उनके हाथ में गैजेट थमाना पड़ रहा है. यही नहीं ऑनलाइन क्लास के फेर में अभिभावकों की जेब भी ढीली हो रही है.

कुछ पेरेंट्स का तो यह भी कहना है कि ऑनलाइन क्लासेस बच्चों को पढ़ाने का नहीं, फीस वसूली का जरिया है. छोटे बच्चों की भी ऑनलाइन क्लास चल रही है जिस कारण बच्चों के साथ-साथ पेरेंट्स को भी क्लास के दौरान पूरा समय देना पड़ता है.

राजस्थान न्यूज, jaipur news
ऑनलाइन क्लासेस से बच्चों पर पड़ रहा मानसिक दबाव

हालांकि शिक्षा मंत्री ने फिलहाल प्राइवेट स्कूलों की ओर से वसूली जा रही है फीस को आगामी आदेश तक स्थगित करने के निर्देश जारी कर अभिभावकों को कुछ राहत जरूर दी है. ये अलग बात ये कि इस सरकारी आदेश का कितने स्कूल पालन करते हैं.

यह भी पढ़ें- Corona Update: प्रदेश में कोरोना के 170 नए केस, कुल आंकड़ा 23,344...अब तक 499 की मौत

आंखें कमजोर और सिरदर्द की हो रही परेशानी

ऑनलाइन क्लास से बच्चे भी परेशान हो रहे हैं. कुछ की आई साइड वीक हो रही है, तो कुछ सिरदर्द जैसी परेशानियों से जूझ रहे हैं. ऑनलाइन क्लास में छात्रों को कुछ समझ आ रहा हो या न आ रहा हो लेकिन स्कूल प्रशासन के दबाव में क्लास अटेंड करनी पड़ रही है बच्चों की मानें तो क्लास के दौरान खराब नेटवर्क की समस्या से भी उन्हें दिक्कत का सामना करना पड़ता है.

बढ़ रहा शारीरिक और मानसिक दबाव..

राजस्थान न्यूज, jaipur news
इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स से बच्चों के स्वास्थ्य पर भी पड़ रहा असर

मनोरोग चिकित्सक डॉ. आरके सोलंकी बताते हैं कि कोरोना महामारी की वजह से पारंपरिक क्लासेस की जगह ऑनलाइन क्लासेस ने ले ली है. लेकिन इन कक्षाओं में छात्रों का कंसंट्रेशन और अटेंशन नहीं रह पाता है. उन पर शारीरिक के साथ-साथ मानसिक दबाव भी रहता है. लंबे समय तक स्क्रीन के सामने बैठने से आंखों पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है. इसके साथ ही कुछ न समझ आने पर छात्र सरलता से शिक्षक से पूछ भी नहीं पाते हैं और उलझन की स्थिति बनी रहती है.

राजस्थान न्यूज, jaipur news
बच्चे कर रहे ऑनलाइन क्लासेज के जरिए पढ़ाई

वैसे तो पारंपरिक शिक्षा का अलग ही महत्व है. लेकिन कोरोना काल में यह संभव नहीं है. ऐसे में 'कुछ ना' से 'कुछ' के विकल्प को चुनते हुए ऑनलाइन एजुकेशन बढ़ावा दिया जा रहा है. ऑनलाइन एजुकेशन छात्र और शिक्षक के बीच आशा की किरण तो बनकर उभरी है, लेकिन साथ ही यह अपने साथ कई तरह की चुनौतियाँ भी लेकर आई है. ऐसे में छात्रों के साथ अभिभावकों के लिए भी यह टेढ़ी खीर ही साबित हो रही है.

जयपुर. कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए केंद्र सरकार ने गाइडलाइन जारी करते हुए 31 जुलाई तक स्कूलों को बंद रखने के निर्देश दिए हैं. ऐसे में ऑनलाइन शिक्षा ने विद्यार्थियों और शिक्षकों के बीच सेतु का काम किया है. हालांकि ये शिक्षा केवल उन लोगों तक सीमित होकर रह गई है जो आधुनिक तकनीक की समझ रखते हैं या जिनके पास डिजिटल डिवाइस मौजूद है. जबकि प्रदेश का एक बड़ा तबका आज भी तकनीक के इस दौर में आर्थिक स्थिति के कारण पिछड़ा हुआ है.

ऑनलाइन क्लासेस का बच्चों पर कैसा असर...

वहीं, दूसरी ओर जिन प्राइवेट संस्थानों के छात्र इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के जरिए ऑनलाइन क्लास ले रहे हैं, उन्हें स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों का भी सामना करना पड़ रहा है. इसके अलावा अभिभावक भी स्कूलों से ऑनलाइन शिक्षा के नाम पर वसूली जा रही फीस से खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं.

अभिभावकों पर पड़ रहा बोझ..

ईटीवी भारत के संवाददाता ने की अभिभावकों से बात

कोरोना काल में क्लास रूम की जगह लैपटॉप और मोबाइल ने ले ली है. इन दिनों ज्यादातर प्राइवेट स्कूलों की ओर से ऑनलाइन क्लासेस चलाई जा रही है. नई कक्षा में प्रवेश के साथ बच्चों को नया सिलेबस पढ़ाया जा रहा है.

ऐसे में यह पढ़ाई उन परिवारों के लिए चुनौती साबित हो रही है जिनके बच्चों के एडमिशन RTE के तहत बड़े प्राइवेट स्कूलों में तो पहुंच गए, लेकिन वे उन्हें ऑनलाइन पढ़ा पाने में सक्षम नहीं हैं. उन परिवारों की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि वे मुफलिसी के इस दौर में बच्चों को पढ़ाने के लिए महंगे मोबाइल फोन या लैपटॉप खरीद सकें.

जिन अभिभावकों के पास एन्ड्रॉयड 4G फोन और इंटरनेट नहीं है, उन्हें भी घर के बिगड़े बजट के बीच बच्चों को पढ़ाने के लिए नया फोन खरीदना पड़ रहा है. इससे इतर जो अभिभावक आर्थिक रूप से सक्षम नहीं है उनके बच्चों के लिए ऑनलाइन एजुकेशन सपने के समान ही है.

ऑनलाइन पढ़ाई को लेकर टीचर से बातचीत

बच्चों के हाथ में देने पड़ रहे गैजेट..

ऑनलाइन क्लासेज से छात्र और उनके अभिभावक जरा भी संतुष्ट नहीं हैं. स्कूल टाइम टेबल की तर्ज पर सुबह 8:00 बजे से कक्षाएं शुरू हो जाती हैं, जो तकरीबन 3 से 4 घंटे चलती हैं. जो अभिभावक पहले अपने बच्चों को मोबाइल और लैपटॉप से दूर रखते थे, अब मजबूरी में उनके हाथ में गैजेट थमाना पड़ रहा है. यही नहीं ऑनलाइन क्लास के फेर में अभिभावकों की जेब भी ढीली हो रही है.

कुछ पेरेंट्स का तो यह भी कहना है कि ऑनलाइन क्लासेस बच्चों को पढ़ाने का नहीं, फीस वसूली का जरिया है. छोटे बच्चों की भी ऑनलाइन क्लास चल रही है जिस कारण बच्चों के साथ-साथ पेरेंट्स को भी क्लास के दौरान पूरा समय देना पड़ता है.

राजस्थान न्यूज, jaipur news
ऑनलाइन क्लासेस से बच्चों पर पड़ रहा मानसिक दबाव

हालांकि शिक्षा मंत्री ने फिलहाल प्राइवेट स्कूलों की ओर से वसूली जा रही है फीस को आगामी आदेश तक स्थगित करने के निर्देश जारी कर अभिभावकों को कुछ राहत जरूर दी है. ये अलग बात ये कि इस सरकारी आदेश का कितने स्कूल पालन करते हैं.

यह भी पढ़ें- Corona Update: प्रदेश में कोरोना के 170 नए केस, कुल आंकड़ा 23,344...अब तक 499 की मौत

आंखें कमजोर और सिरदर्द की हो रही परेशानी

ऑनलाइन क्लास से बच्चे भी परेशान हो रहे हैं. कुछ की आई साइड वीक हो रही है, तो कुछ सिरदर्द जैसी परेशानियों से जूझ रहे हैं. ऑनलाइन क्लास में छात्रों को कुछ समझ आ रहा हो या न आ रहा हो लेकिन स्कूल प्रशासन के दबाव में क्लास अटेंड करनी पड़ रही है बच्चों की मानें तो क्लास के दौरान खराब नेटवर्क की समस्या से भी उन्हें दिक्कत का सामना करना पड़ता है.

बढ़ रहा शारीरिक और मानसिक दबाव..

राजस्थान न्यूज, jaipur news
इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स से बच्चों के स्वास्थ्य पर भी पड़ रहा असर

मनोरोग चिकित्सक डॉ. आरके सोलंकी बताते हैं कि कोरोना महामारी की वजह से पारंपरिक क्लासेस की जगह ऑनलाइन क्लासेस ने ले ली है. लेकिन इन कक्षाओं में छात्रों का कंसंट्रेशन और अटेंशन नहीं रह पाता है. उन पर शारीरिक के साथ-साथ मानसिक दबाव भी रहता है. लंबे समय तक स्क्रीन के सामने बैठने से आंखों पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है. इसके साथ ही कुछ न समझ आने पर छात्र सरलता से शिक्षक से पूछ भी नहीं पाते हैं और उलझन की स्थिति बनी रहती है.

राजस्थान न्यूज, jaipur news
बच्चे कर रहे ऑनलाइन क्लासेज के जरिए पढ़ाई

वैसे तो पारंपरिक शिक्षा का अलग ही महत्व है. लेकिन कोरोना काल में यह संभव नहीं है. ऐसे में 'कुछ ना' से 'कुछ' के विकल्प को चुनते हुए ऑनलाइन एजुकेशन बढ़ावा दिया जा रहा है. ऑनलाइन एजुकेशन छात्र और शिक्षक के बीच आशा की किरण तो बनकर उभरी है, लेकिन साथ ही यह अपने साथ कई तरह की चुनौतियाँ भी लेकर आई है. ऐसे में छात्रों के साथ अभिभावकों के लिए भी यह टेढ़ी खीर ही साबित हो रही है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.