जयपुर. राजस्थान में गर्मी की दस्तक के साथ ही सूर्य भगवान के अलावा सबसे ज्यादा तीखे तेवर प्याज ने दिखाए हैं. लगातार बढ़ती प्याज की कीमतों ने प्याज काटे बिना ही लोगों की आंखों में आंसू ला दिए हैं. राजधानी में प्याज के दाम आसमान को छू रहे हैं और प्याज 50 से 70 रुपए प्रति किलो तक बिक रहा है. लगातार बढ़ती महंगाई और रोज इस्तेमाल होने वाली चीजों के दामों में हो रही बढ़ोतरी ने सबके होश उड़ा दिए हैं और उन सब में सबसे ज्यादा प्याज ने आमजन को हैरत में डाल दिया है.
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घरेलू गैस के दामों में लगातार हो रही बढ़ोतरी के बाद अब रसोई का जायका भी आसमान छूने लगा है. जिसके चलते रसोई का बजट बिगड़ता जा रहा है और आम आदमी की जेब ढीली होती जा रही है. अब प्याज के बढ़ते भावों की वजह से घर की थाली में से प्याज गायब होते जा रहे हैं.
मंडी में सब्जी खरीदने पहुंचे मन्नू मीणा बताते है कि वो मध्यम परिवार से आते हैं और पहले प्याज के भाव 20-30 रुपए प्रतिकिलो हुआ करते थे तो 2-4 किलो प्याज मंडी से ले जाया करते थे, लेकिन अब प्याज खरीदने आए तो प्याज के दाम दम तोड़ने जैसे हैं. पहले क मुकाबले 50-60 रुपए प्रतिकिलो प्याज बिक रहा है. इस भाव में प्याज आम इंसान कैसे खरीद सकता है. ऐसे में इस तरह से प्याज के भाव बढ़ते रहे तो मध्यम परिवारों की रसोई के जायके से प्याज गायब हो जाएगा.
जयपुर की मुहाना मंडी में प्याज की आपूर्ति मुख्य रूप से सीकर, नासिक, भावनगर से हो रही है. जयपुर के खुदरा बाजार में सीकर का प्याज 40 रुपए, 50 रुपए नासिक, 30 रुपए सफेद प्याज, 45 रुपए भावनगर, 30 रुपए सफेद अंडा, 35 रुपए कुचामन के भाव चल रहे हैं, जो आम आदमी की रसोई तक पहुंचते पहुंचते 50 से 70 रुपए तक हो जाते हैं. यही हाल रहा तो प्याज के दाम आने वाले दिनों में इससे भी ज्यादा हो सकते हैं.
वासुदेव लालवाणी बताते है कि पिछले 20 सालों से मंडी में वो सब्जी बेच रहे हैं लेकिन प्याज को लेकर पहली बार ऐसी मंदी देखी है. पहले कोरोना के चलते मंदी झेली और अब प्याज के बढ़ते दामों के बाद लोग प्याज से मुंह मोड़ रहे हैं. जिसके चलते घाटे का सामना करना पड़ रहा है, जबकि सरकार को इसको लेकर सोचना चाहिए. वो बताते है कि मुहाना मंडी से प्याज की बोरी वो 40 रु प्रतिकिलो लेकर आते हैं और लालकोठी मंडी तक आते 45 रु तक पड़ जाती है. ऐसे में जब 50 रुपए प्रतिकिलो ग्राहक को दाम बताते ही वो आगे निकल जाते हैं.
इसके अलावा होटल में परोसे जाने पकवानों के साथ दिए जाने वाले सलाद में भी प्याज ने आंखे मूंद ली हैं. महंगे प्याज की वजह से सलाद में अब प्याज की जगह दूसरे सलाद दिए जा रहे हैं, जो प्याज से काफी किफायती रहते हैं. रेस्टोरेंट में खाना बनाने वाले कुक पंकज मेहरा कहते है कि प्याज के दाम बढ़ने से दिक्कतें आ रही हैं. खाने के साथ सलाद देने में प्याज की जगह मूली, टमाटर ने ले ली है. वहीं सब्जियों में भी प्याज बहुत कम मात्रा में डाला जा रहा है. हालांकि प्याज के बिना सब्जी अधूरी मानी जाती है लेकिन फिर भी खानापूर्ति के लिए प्याज डाला जाता है, लेकिन फिर ग्राहक भी प्याज की मांग करते हैं.
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कारोबारियों के अनुसार पहले तो प्याज 20-25 रु किलो था लेकिन निर्यात शुरू होने से करीब 40 से 50 रु प्रतिकिलो हो गया. हालांकि जयपुर और सीकर का प्याज चालू होने से दाम कम होने की उम्मीद है. उससे पहले खपत कम हो गई थी और गुजरात का प्याज काफी महंगा है. अब जब खपत बढ़ेगी तो लोकल सीकर का प्याज कम दाम में मिलने की उम्मीद है.
हालांकि अभी प्याज गीला आ रहा है और सूखा आने के बाद थोड़ा बढ़िया आएगा. उसी के साथ खपत में भी बढ़ोतरी होगी. दाम बढ़ने के पीछे थोक व्यापारी कहते है कि, काम करते नहीं है और बेरोजगार होने की वजह से प्याज की खपत कम हो गई है. हालांकि व्यापारियों की ओर से उम्मीद जताई जा रही है कि आगामी महीने में लोकल प्याज की आवक होने पर दामों में स्थिरता आ सकती है.