जयपुर. महात्मा गांधी की 150वीं जयन्ती वर्ष पर एचसीएम रीपा के सभागार में एचसीएम रीपा और आईएएस एसोसिएशन के संयुक्त तत्वावधान में 'गांधी एक सचित्र जीवनी' पुस्तक पर चर्चा का आयोजन हुआ. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि मुख्य सचिव डीबी गुप्ता रहे. मुख्य सचिव ने कार्यक्रम से पहले सभागार के बाहर स्थल पर 121 फीट खादी पर गांधी का सचित्र जीवन की प्रदर्शनी का उद्घाटन किया.
मुख्य सचिव डी.बी. गुप्ता ने कहा कि प्रदेश में महात्मा गांधी का 150वां जयन्ती वर्ष को 2 अक्टूबर, 2020 तक और मनाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में शीघ्र ही नए विभाग के रूप में शांति और अंहिसा विभाग का स्थायी गठन किया जाएगा. जिसकी अनुशंषाए संबंधित विभागों की ओर से क्रियान्वित की जाएगी. उन्होंने कहा कि गांधी पैनोरमा बनाया जाएगा.
उन्होंने कहा कि गांधी के योगदान को आने वाली पीढ़ियां भी याद रखे, इसके लिए प्रत्येक जिले में गांधी विलेज विकसित किया जाएगा.
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इसके साथ ही सरकारी और निजी स्कूलों में गांधी की प्रदर्शनी, विद्यालयों में गांधी कार्नर, सप्ताह में एक बार गांधी पर चर्चा, डिजिटल कटेंट से महात्मा गांधी, गांधी पोर्टल से स्कूल शिक्षा और कॉलेज शिक्षा को जोड़ना, गांधी के जीवन और स्वतंत्रता आंदोलन में उनके योगदान को स्कूल शिक्षा पाठ्यक्रम में नए स्वरूप में शामिल किया जाएगा. उन्होंने कहा कि विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून को गांधी के परिप्रेक्ष्य में मनाया जाएगा.
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पद्मश्री डॉ. पुष्पेश पंत ने पुस्तक के लेखक प्रमोद कुमार से संवाद करते हुए कहा कि यह पुस्तक एक होम्योपैथिक डोज के समान है. जिसकी आदत होने पर इसे बार-बार लेना पड़ता है. इसमें सरल शब्दों और चित्रों का अद्भुत संकलन है, जो हर बार कुछ न कुछ नई चीज देता है. उन्होंने लेखक से गांधी के जीवन पर प्रश्न किये जिस पर लेखक ने कहा कि गांधी एक कॉमन मैन थे इसलिए वे महात्मा बन पाए. व्यक्ति को गांधीवाद विचाराधारा पर चलने से पूर्व स्वयं के जीवन में गांधीवाद को उतारना होगा. गांधी का जीवन हमेशा सत्याग्रह पर चलता रहता था. उन्होंने कहा कि गांधी शुरू से लेकर अंत तक समर्पित और अनुशासन प्रिय शिक्षक भी थे और उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी उनका स्तंभ थी.
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आईएएस एसोसिएशन की साहित्यिक सचिव मुग्धा सिन्हा ने कहा कि 150 वर्ष के बाद भी गांधी को नए-नए दृष्टिकोण से देखते है. पढ़कर या बोलकर भी गांधी को नहीं समेटा जा सकता. एसोसिएशन अपने कार्यक्रमों की ओर से समाज में समरसता, सद्भाव और देश के नव-निर्माण में योगदान देने वाले ऎसे अनेक महापुरूषों के व्यक्तित्व और कृतित्व के पहलुओं को समाज के समक्ष रखता है ताकि समाज और देश उनके बताये रास्ते पर चल सके.